भारत की अर्थव्यवस्था सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था-उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति ने गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों के साथ किया संवाद और लंच 

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 9 दिसंबर। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ आज अपनी एकदिवसीय यात्रा पर राजस्थान पहुंचे। इस दौरान उपराष्ट्रपति ने बांसवाडा के गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों के साथ संवाद किया तथा उनके साथ में लंच भी किया। इससे पूर्व उन्होंने माता त्रिपुरा सुंदरी के ऐतिहासिक मंदिर में डॉ. सुदेश धनखड़ के साथ दर्शन और पूजा अर्चना भी की।

जनजातीय विश्वविद्यालय के छात्रों को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि जुलाई 2022 में देश में एक ऐतिहासिक बदलाव देखने को मिला जब एक आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू जी को भारत का राष्ट्रपति चुना गया। उन्होंने आगे कहा कि संविधान निर्माताओं की आत्मा को यह देख कर कितना सुकून मिला होगा जब एक आदिवासी समाज से आने वाली महिला को भारत का प्रथम नागरिक चुना गया।

जनजातीय संस्कृति को बचाने के लिए एक छात्रा के प्रश्न का उत्तर देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ग्लोबल साउथ की आवाज सशक्त तरीके से उठा रहा है। जनजातीय आबादी वाले अफ्रीकी यूनियन को G20 में शामिल करवाना हमारी ऐतिहासिक उपलब्धि है।

उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि अंग्रेजों ने जो कानून बनाए अपनी सहूलियत के लिए बनाए, स्थानीय जनता और जनजातियों को काबू करने के लिए बनाए। अपने तंत्र को बचाने के लिए बनाए। बहुत गहन चिंतन के बाद, सरकार इनमे तीन बदलाव करने जा रही है।

उपराष्ट्रपति ने आगे महिला आरक्षण विधेयक का जिक्र करते हुए कहा कि मैं बांसवाड़ा की भूमि से यह बताना चाहता हूं कि 21 सितंबर को भारतीय संसद ने महिला आरक्षण बिल पास करके इतिहास रच दिया। उन्होंने कहा कि इस बिल के पास हो जाने से लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एक तिहाई महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। उपराष्ट्रपति धनखड़ बताया कि यह आरक्षण होरिजेंटल और वर्टिकल दोनों ही है मतलब इसमें यह भी निश्चित किया जाएगा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं को भी इस नियम के तहत आरक्षण मिलेगा। उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित किया कि यह आरक्षण सामाजिक समानता को सुनिश्चित करेगा।

शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि समाज में परिवर्तन लाने के लिए शिक्षा सबसे सशक्त माध्यम है। उन्होंने कहा कि संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर ने जो इतना बड़ा करिश्मा करके दिखाया उसका आधार शिक्षा ही था। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान करते हुए कहा कि विद्यार्थी शिक्षा को एक ऐसा माध्यम बनाएं, एक ऐसा सकारात्मक हथियार बनाएं कि वे स्वयं उस बदलाव का केंद्र बन सकें जो बदलाव वे देखना चाहते हैं। समाज में समानता लाने के लिए शिक्षा सबसे सशक्त माध्यम है इसीलिए मैं आप सबसे आह्वान करता हूं आप शिक्षा पर पूरा जोर दीजिए पूरी लगन से शिक्षा प्राप्त कीजिए, कभी तनाव मत रखिए, कोई टेंशन मत लीजिए।

देश के विभिन्न क्षेत्रों में हो रहे विकास का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि आज आपके पास में अवसरों की कमी नहीं है। पहले गांव में बिजली नहीं थी, सड़क नहीं थी, घर में शौचालय नहीं थे, नल नहीं थे, इंटरनेट नहीं था, टीवी नहीं थी, गांव के अंदर पांचवी कक्षा से ज्यादा के विद्यालय नहीं थे, पढ़ने के लिए बहुत दूर जाना पड़ता था, आज के दिन गांव में वह सब सुविधा उपलब्ध हैं जो शहरों में हैं।

उपराष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से कहा की सीखने के लिए आपको तकनीक का भरपूर प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने छात्र छात्राओं से हर सप्ताह श्रमदान करने की अपील की और विश्वविद्यालय परिसर में हरियाली बढ़ाने का आग्रह किया। उपराष्ट्रपति ने भ्रष्टाचार पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि कुछ समय पहले देश में भ्रष्टाचार का बोलबाला था। सरकारी दफ्तरों में दलालों का बोलबाला था, सत्ता के गलियारे दलालों से भरे पड़े थे, वे निर्णयों को प्रभावित करते थे, वह सब गायब हो गए हैं। सत्ता के गलियारों को दलालों से मुक्त कर दिया गया है।

उपराष्ट्रपति ने बढ़ती हुई तकनीकी सुविधाओं का जिक्र करते हुए कहा आप लोगों को बदलता हुआ भारत नजर आ रहा होगा, बिजली का बिल जमा करने, रेलवे की टिकट, पानी का बिल जमा करने के लिए लंबी लाइन लगती थी। पासपोर्ट लेने के लिए तो पता नहीं कितने पापड़ बेलने पड़ते थे। आज के दिन सर्विस डिलीवरी तकनीकी आधारित हो गई है, आपको सुविधाओं का लाभ सीधा मिलता है।यह देश में पिछले कुछ वर्षों में 40-50 करोड़ बैंक खाते खोले गए ताकि पारदर्शिता आए, शासन को पारदर्शी बनाया गया है।

उपराष्ट्रपति ने भारत की उपलब्धियां की सराहना करते हुए कहा कि आज दुनिया में भारत का डंका बज रहा है, हमारे यहां जितना डिजिटल ट्रांजेक्शन होता है वह अमेरिका, यूके, फ्रांस और जर्मनी के ट्रांजेक्शन से भी चार गुना अधिक है। उन्होंने कहा हमारी प्रतिभा का तो कोई मुकाबला ही नहीं है, हम टेक्नोलॉजी को सहज ही ग्रहण करते हैं।

अंतरिक्ष में भारत की बढ़ती ताकत का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमने 23 अगस्त 2023 को यह घोषणा की कि 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाया जाएगा क्योंकि भारत वह पहला देश है जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 को उतारा है। यह सिर्फ अकेला देश है ऐसा करने वाला जिसने इतिहास रच दिया है। अब वहां शिव शक्ति पॉइंट भी है और तिरंगा पॉइंट भी है, और यह सारी उपलब्धियां वैज्ञानिकों की मेहनत की बदौलत हैं, आज अमेरिका, यूके, सिंगापुर और कई विकसित देशों के सैटेलाइट हमारा इसरो अंतरिक्ष में भेजता है।

उन्होंने कहा कि आज हमें लीक से हटकर सोचना पड़ेगा। आपके पास सीखने के लिए तकनीकी है। कुछ ऐसी टेक्नोलॉजी है जिन पर चर्चा करते हैं तो लगता है दुनिया कितनी जल्दी बदल रही है क्वांटम कंप्यूटिंग, मशीन लर्निंग, के बारे में पता लगाइए क्या ह? हमारा देश इस क्षेत्र में काम कर रहा है। क्वांटम कंप्यूटिंग, ग्रीन हाइड्रोजन और मशीन लर्निंग के क्षेत्र में काफी आगे जा चुके हैं। उपराष्ट्रपति ने छात्रों से टेक्नोलॉजी से जुड़ने का आह्वान किया। उपराष्ट्रपति ने ट्राईबल पापुलेशन की प्रशंसा करते हुए कहा कि ट्राईबल पापुलेशन हमारी सांस्कृतिक धरोहर है। उपराष्ट्रपति ने छात्रों को भारतीय संसद देखने के लिए आमंत्रित किया।

अंत में उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमें अपने राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखना चाहिए। भारत का हित सर्वोपरि है, भारतीयता में हमारा विश्वास अटूट है, हमें भारतीय होने पर गर्व होना चाहिए, हमें अपनी ऐतिहासिक उपलब्धियां पर गर्व करना चाहिए। इस अवसर पर बांसवाड़ा के सांसद, श्री कनकमल कटारा, ट्राइबल यूनिवर्सिटी के कुलपति, प्रो के एस ठाकुर, विश्विद्यालय के शिक्षक, बड़ी संख्या में छात्र तथा कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

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