समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 31 जनवरी। एक हालिया आर्थिक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2025-26 में 6.9% की दर से बढ़ने की संभावना है। यह अनुमान देश की मजबूत विकास गति, नीतिगत सुधारों और वैश्विक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए लगाया गया है।
आर्थिक वृद्धि के प्रमुख कारक
भारत की आर्थिक प्रगति में कई महत्वपूर्ण कारकों की भूमिका होगी:
- उद्योग और विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि
- सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘पीएलआई (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) योजना’ से विनिर्माण क्षेत्र में तेजी आई है।
- ऑटोमोबाइल, फार्मा, और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में निवेश बढ़ा है, जिससे रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा।
- सेवा क्षेत्र में मजबूती
- आईटी और डिजिटल सेवाओं का निरंतर विस्तार हो रहा है, जिससे वैश्विक बाजारों में भारत की उपस्थिति मजबूत बनी हुई है।
- फिनटेक, हेल्थटेक और ई-कॉमर्स क्षेत्र में भी उन्नति जारी है।
- बुनियादी ढांचे में बड़े निवेश
- सरकार हाईवे, रेलवे, बंदरगाहों और स्मार्ट सिटी परियोजनाओं में निवेश कर रही है।
- ‘गति शक्ति’ योजना के तहत लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्ट को मजबूत किया जा रहा है।
- उपभोग और ग्रामीण अर्थव्यवस्था
- कृषि क्षेत्र में सुधार और किसानों को मिल रही सहूलियतों से ग्रामीण मांग में तेजी आई है।
- खुदरा बिक्री और उपभोक्ता खर्च में भी इजाफा देखा जा रहा है।
वैश्विक आर्थिक परिदृश्य और चुनौतियां
हालांकि, वैश्विक आर्थिक मंदी, भू-राजनीतिक तनाव और ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव कुछ चुनौतियां पेश कर सकते हैं। लेकिन भारत की मजबूत आंतरिक मांग, व्यापार सुधार और स्टार्टअप इकोसिस्टम इसे संतुलित करने में सहायक होंगे।
सरकार और विशेषज्ञों की राय
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अगर संरचनात्मक सुधार जारी रहते हैं और निवेश में वृद्धि होती है, तो भारत की जीडीपी विकास दर और भी बेहतर प्रदर्शन कर सकती है। सरकार भी व्यापार अनुकूल नीतियों और वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
निष्कर्ष
2025-26 में 6.9% की अनुमानित वृद्धि भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है। यदि सुधार और विकास परियोजनाएं सही दिशा में जारी रहती हैं, तो भारत आने वाले वर्षों में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में अपना स्थान बनाए रखेगा।
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