समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 14 जुलाई: भारत ने ऐसा कदम उठाया है जिसकी पाकिस्तान ने कभी कल्पना भी नहीं की थी। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर के तीन दिवसीय चीन दौरे ने इस्लामाबाद की बेचैनी बढ़ा दी है। बीजिंग पहुंचते ही जयशंकर ने चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग से मुलाकात की और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के बहाने रिश्तों में जमी बर्फ को पिघलाने की कोशिश शुरू कर दी।
शहबाज शरीफ के लिए यह खबर किसी झटके से कम नहीं मानी जा रही। दशकों से चीन को अपना सबसे भरोसेमंद साथी मानने वाला पाकिस्तान अब असमंजस में है कि अगर चीन ने भारत के साथ रिश्तों में गर्माहट दिखाई तो उसकी कूटनीतिक स्थिति पर क्या असर पड़ेगा।
गलवान के बाद पहली चीन यात्रा, रिश्तों में नया मोड़
2020 में गलवान घाटी में हिंसक झड़पों के बाद भारत और चीन के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया था। ऐसे में चार साल बाद जयशंकर का यह दौरा नई उम्मीदों के तौर पर देखा जा रहा है। उन्होंने सोशल मीडिया पर साफ किया कि कैलाश मानसरोवर यात्रा में चीन का सहयोग भारत के लिए अहम है और इसी बहाने दोनों देशों में विश्वास बढ़ाने की कोशिश हो रही है।
Pleased to meet Vice President Han Zheng soon after my arrival in Beijing today.
Conveyed India’s support for China’s SCO Presidency.
Noted the improvement in our bilateral ties. And expressed confidence that discussions during my visit will maintain that positive trajectory. pic.twitter.com/F8hXRHVyOE
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) July 14, 2025
बीजिंग में हुई बातचीत के दौरान सीमा पर शांति बनाए रखने, व्यापारिक संबंधों को बढ़ाने और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सहयोग को मजबूत करने पर ज़ोर दिया गया। जानकार मानते हैं कि दोनों देशों के बीच इस तरह की सकारात्मक बातचीत पाकिस्तान के लिए किसी सिरदर्द से कम नहीं।
एससीओ बैठक और कूटनीतिक संकेत
जयशंकर केवल द्विपक्षीय बातचीत के लिए ही नहीं बल्कि एससीओ की विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने भी तियानजिन पहुंचे हैं। इस दौरान उन्होंने एससीओ के महासचिव नुरलान येरमेकबायेव से भी भेंट की। दोनों के बीच क्षेत्रीय स्थिरता और आपसी सहयोग बढ़ाने को लेकर विचार-विमर्श हुआ। जयशंकर ने इस मुलाकात को रचनात्मक बताया और कहा कि भारत क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने में हरसंभव योगदान देगा
पाकिस्तान को क्यों सताने लगी चिंता?
चीन और पाकिस्तान की दोस्ती का इतिहास पुराना है। कई वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान को चीन का समर्थन मिलता रहा है। मगर अब जब भारत चीन के साथ कूटनीतिक रिश्तों को मजबूत करने की दिशा में बढ़ रहा है तो पाकिस्तान को अपनी रणनीति पर नए सिरे से विचार करना होगा। चीन अगर भारत के साथ नए समझौते करता है, तो पाकिस्तान के लिए यह संकेत अच्छा नहीं माना जाएगा।
भारत की यह चाल न सिर्फ चीन के साथ तनाव को कम करेगी बल्कि पाकिस्तान के पारंपरिक ‘ऑल वेदर फ्रेंड’ समीकरण को भी कमजोर कर सकती है।
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