भारत की चिकित्सा बिरादरी विशेषकर महामारी के बाद दुनिया भर में प्रतिष्ठित हो चुकी है : डॉ जितेंद्र सिंह
डॉ जितेंद्र सिंह ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित आयुर्विज्ञान संस्थान (आईएमएस) के 62वें वार्षिक दिवस को सम्बोधित किया
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 17अक्टूबर। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने रविवार को कहा कि भारत के लिए चिकित्सा शिक्षण के एकीकृत मॉडल विकसित करने का समय आ गया है और यह भी जोड़ा कि पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा सन 1916 में स्थापित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) एकीकृत शिक्षण का एक ऐसा अनूठा मॉडल प्रस्तुत करता है, जिसमें एक ही परिसर में एकीकृत चिकित्सा शिक्षण शामिल है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि बीएचयू आज संभवत: सबसे बड़ा आवासीय शैक्षणिक केंद्र है, जिसमें एक ही परिसर में कई विविध शैक्षणिक धाराएं हैं और इसके साथ ही वे चरित्र निर्माण और सलाह पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। इनमें शामिल जीवन विज्ञान, चिकित्सा, इंजीनियरिंग, कला, सामाजिक विज्ञान, प्रौद्योगिकी आदि ऐसे ही कुछ विषय हैं।
बीएचयू में मुख्य अतिथि के रूप में वार्षिक दिवस समारोह की अध्यक्षता करते हुए, डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि बीएचयू में संचालित आईएमएस इस अर्थ में विश्वविद्यालय का एक ऐसा अनूठा चिकित्सा केंद्र है कि इसमें एलोपैथी और अन्य आधुनिक या पश्चिमी प्रणालियों की दवा के साथ दंत चिकित्सा विज्ञान सहित आयुर्वेद के संकाय के साथ-साथ स्वदेशी चिकित्सा प्रणाली भी है। अब इसी परिसर में योग और आयुष अध्ययन शुरू करने की भी योजना है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि आईएमएस भारत के शीर्ष पांच चिकित्सा संस्थानों में शामिल है और आगे जोड़ा कि बीएचयू में यह संस्थान एकीकृत और समग्र दृष्टिकोण की उस भावना को आत्मसात करता है जहां छात्र एक ही परिसर में सभी चिकित्सा धाराओं तक पहुंच सकते हैं।
चिकित्सा विशेषज्ञों की अभिन्न और अनूठी प्रकृति को आगे विस्तार देते करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत की चिकित्सा बिरादरी की विशेष रूप से कोविड महामारी के बाद दुनिया भर में प्रशंसा की जा रही है। उन्होंने कहा कि, ऐसे कठिन समय में जब दुनिया भर के चिकित्सक कोविड महामारी के रूप में एक असामान्य भयावह घटना से आश्चर्यचकित थे, तब यह भारत के चिकित्सा कर्मी थे, जिन्होंने न केवल रातों-रात कमर कस ली, बल्कि इस चुनौती को हराने के लिए खुद को प्रशंसनीय भी बनाया। इस तरीके से कि इस कार्यवाही ने बाकी दुनिया के सामने एक मिसाल कायम की है। उन्होंने आगे कहा कि इस एक एकीकृत इकोसिस्टम की सहायता से, यह भारत था जो न केवल पहला डीएनए वैक्सीन लेकर आया, बल्कि उसने इसे बाकी दुनिया को भी प्रदान किया।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि महामारी की शुरुआत में जब दुनिया आशंकित थी कि भारत जैसे आबादी वाले देश में आपदा का प्रकोप अन्य देशों के लिए भी खतरा पैदा करेगा, तब यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का केंद्रित दृष्टिकोण और दिन-प्रतिदिन की निगरानी ही थी जिसने भारत की आधी से भी कम आबादी वाले कई यूरोपीय देशों की तुलना में भारत को बेहतर प्रदर्शन करने में मदद की।
एक चौथाई सदी से अधिक समय तक खुद एक शिक्षक और मेडिसिन के प्रोफेसर रहे डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि वह उन युवा रेजिडेंट डॉक्टरों की बहुत सराहना करते हैं, जिन्होंने महामारी के दौरान पूरे संकट को अपने ऊपर लिया और वह भी इसलिए कि पिछले दो दशकों के दौरान चिकित्सा का ध्यान नैदानिक शिक्षण गैर-संचारी रोगों जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, दिल के दौरे आदि में स्थानांतरित हो गया था और तब संचारी रोगों के शिक्षण को समान प्राथमिकता नहीं दी गई थी। उन्होंने आगे कहा लेकिन उसके बाद भी भारत में हमारे चिकित्सकों को प्रदान किए जाने वाले बहुमुखी और विविध नैदानिक शिक्षण ने चिकित्सकों को इस अवसर पर तुरंत उठने में सक्षम बनाया।
बीएचयू स्थित आईएमएस में 2600 बिस्तरों वाला सर सुंदर लाल अस्पताल है, जो पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और नेपाल के आसपास के जिलों की जनसंख्या की चिकित्सा जरूरतों को पूरा करता है। सीमित संसाधनों के साथ संस्थान रोगियों को सर्वोत्तम सेवा देने के साथ ही विभिन्न श्रेणी के चिकित्सा स्नातकों और स्नातकोत्तर छात्रों को प्रशिक्षण दे रहा है। बीएचयू के ईएमएस की देश के सर्वश्रेष्ठ 5 मेडिकल कॉलेजों में गिनती होती है।
मंत्री महोदय ने संकाय और छात्रों को विशिष्ट प्रदर्शन के लिए पुरस्कार प्राप्त करने पर बधाई भी दी।
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