भारत का ‘अड़ियल’ रुख, ट्रंप प्रशासन ने मानी सच्चाई: व्यापार और टैरिफ विवाद में अमेरिकी वित्त मंत्री का बड़ा बयान

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 13 अगस्त: भारत और अमेरिका के बीच व्यापार और टैरिफ विवाद लगातार गहराता जा रहा है। इस बीच, ट्रंप प्रशासन ने पहली बार मान लिया है कि भारत किसी बाहरी दबाव में आकर फैसले लेने वाला देश नहीं है। अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट ने भारत के रवैये को लेकर खुलकर बयान देते हुए कहा कि व्यापार वार्ता में भारत “थोड़ा अड़ियल” रुख अपनाए हुए है।

अमेरिका की मान्यता — भारत पर दबाव बेअसर

अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा —

“भारत, अमेरिका के साथ व्यापारिक वार्ता में थोड़ा अड़ियल रहा है। यह एक कठिन लक्ष्य है, लेकिन हम अच्छी पोजिशन में हैं।”

उन्होंने साफ किया कि स्विट्जरलैंड और भारत ऐसे दो बड़े देश हैं जिनके साथ व्यापारिक सौदों पर अभी सहमति नहीं बन पाई है। उनके मुताबिक, अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीर और कानूनी टीमें इन समझौतों को अंतिम रूप देने में लगातार काम कर रही हैं।

टैरिफ विवाद ने बढ़ाई तल्खी

हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ लगाने का ऐलान किया था। इसमें से 25% टैरिफ भारत के रूस से तेल आयात करने के कारण लगाया गया है। यह निर्णय 27 अगस्त से लागू होगा।

विशेषज्ञों के मुताबिक, यह कदम अमेरिका की उस रणनीति का हिस्सा है जिसमें वह रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों पर आर्थिक दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने ऊर्जा हितों से समझौता नहीं करेगा।

बातचीत जारी, लेकिन रुख सख्त

दोनों देशों के बीच छठे दौर की व्यापार वार्ता के लिए अमेरिकी टीम 25 अगस्त को भारत आने वाली है। उम्मीद की जा रही थी कि इस बैठक में व्यापार समझौते पर अंतिम मुहर लग सकती है, लेकिन बेसेन्ट के बयान ने संकेत दे दिए हैं कि वार्ता आसान नहीं होगी।

भारत का रुख यह रहा है कि टैरिफ में कटौती और व्यापार संतुलन पर बातचीत तभी आगे बढ़ सकती है, जब अमेरिका भारतीय निर्यात पर लगाए गए शुल्कों को कम करे और वीजा व निवेश नीतियों में लचीलापन दिखाए।

भारतीय कूटनीति का असर

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका का यह बयान भारत की कूटनीतिक जीत है। वरिष्ठ विदेश नीति विशेषज्ञों का मानना है कि “भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी समझौते में अपने राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगा, चाहे सामने दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश ही क्यों न हो।”

इसके अलावा, रूस से तेल आयात पर अमेरिकी दबाव को लेकर भारत का रुख अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी चर्चा का विषय बना हुआ है। भारत ने साफ कहा है कि ऊर्जा सुरक्षा उसकी प्राथमिकता है और वह बहुपक्षीय संबंधों में संतुलन बनाए रखेगा।

आगे की राह

ट्रेड डील पर बातचीत का अगला चरण 25 अगस्त से शुरू होगा, और उसी के दो दिन बाद, यानी 27 अगस्त से अमेरिका का नया टैरिफ लागू हो जाएगा। ऐसे में विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले हफ्ते भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों के लिए बेहद अहम होंगे।

 

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