इंद्रेश कुमार ने आरएसएस पर प्रतिबंध मामले में कांग्रेस सांसद को सुनाई खरी खोटी

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 29सितंबर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता इंद्रेश कुमार ने कांग्रेस के एक नेता द्वारा आरएसएस की तुलना प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से करने की टिप्पणी की निंदा की.

आरएसएस नेता की टिप्पणी केरल कांग्रेस सांसद कोडिकुन्निल सुरेश की केंद्र द्वारा पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने के बाद आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की मांग के जवाब में आई है.

उन्होंने कहा,हम आरएसएस पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग करते हैं. पीएफआई पर प्रतिबंध कोई उपाय नहीं है, क्योंकि आरएसएस भी पूरे देश में हिंदू सांप्रदायिकता फैला रहा है. ”

इस मुद्दे पर कुमार ने कहा, आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने और इसे पीएफआई से जोड़ने की मांग पूरी तरह से असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक और अमानवीय है और देश के सम्मान के खिलाफ भी है.

उन्होंने कहा, जब भी किसी ने आरएसएस पर उंगली उठाई है, वह बेकार गया है. वामपंथ और कांग्रेस की धुनें वैसी ही हैं जैसी देश के बंटवारे के लिए जिम्मेदार थीं. आरएसएस को गालियां देकर कांग्रेस इस पाप को कभी नहीं धो सकती. उनका बेटा हमेशा उनके साथ रहेगा.

अतीत में जब तत्कालीन कांग्रेस सरकारों द्वारा आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, तो कुमार ने कहा कि पार्टी को हर बार हार का सामना करना पड़ा. उसके बाद संगठन लोकतंत्र के रक्षक के रूप में उभरा.

उन्होंने कहा,कांग्रेस ने 1948 में महात्मा गांधी की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाते हुए आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन वे कुछ भी साबित नहीं कर सके.

उन्हें अंततः प्रतिबंध हटाना पड़ा. इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगा दिया था और आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन उन्हें प्रतिबंध हटाना पड़ा, जिससे उनकी तानाशाही भी समाप्त हो गई.

आरएसएस लोकतंत्र के रक्षक के रूप में उभरा है. राम मंदिर जन्मभूमि पर अवैध ढांचा गिराए जाने के बाद कांग्रेस ने एक बार फिर आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

कुमार ने कहा,“न तो हिंदू और न ही हिंदुत्व सांप्रदायिक हो सकते हैं. पूरी दुनिया जानती है और मानती है कि हिंदू और हिंदुत्व को केवल सार्वभौमिक रूप से सम्मानित और स्वीकार किया जाता ह. ”

आरएसएस नेता ने पीएफआई पर प्रतिबंध का स्वागत किया और कहा कि संगठन ने हिंसा का सहारा लिया और इसलिए इसे प्रतिबंधित करना आवश्यक था.

पीएफआई एक राष्ट्र विरोधी संगठन है, जो हिंसा का सहारा लेता है. इस पर प्रतिबंध लगाना जरूरी था. यह लंबे समय से लंबित मांग थी जिसे केंद्र ने पूरा किया है. सरकार को ऐसा सबक सिखाना चाहिए कि भारत से आतंकवाद का खात्मा हो जाए.

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