विभिन्न हितधारकों को उनके लिए प्रासंगिक नई तकनीकों से अवगत कराएं : डॉ. जितेंद्र सिंह

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 10दिंसबर। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज विभिन्न हितधारकों को उनके लिए प्रासंगिक नई तकनीकों से अवगत कराने का आह्वान किया और कहा कि ऐसा अनुसंधान और उद्योग के बीच एक इष्टतम समन्वयन के माध्यम से ही संभव है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) के अंतर्गत लोक उपक्रम (पीएसयू) सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (सीईएल) के एक कार्यक्रम में बोलते हुए, मंत्री महोदय ने खेद व्यक्त कि कभी- कभी सर्वश्रेष्ठ अनुसन्धान एवं विकास (आर एंड डी ) संस्थान एक प्तानोंमुखी प्रक्रिया का पालन करते हैं, उनके द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों के लिए पर्याप्त खरीदार जैसा वहां कुछ भी नहीं होता है। उन्होंने संतोष के साथ कहा कि इतिहास में पहली बार सीईएल भारत सरकार को 7.26 करोड़ रुपये का लाभांश दे रहा है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने सीईएल के वैज्ञानिकों और अधिकारियों से रेलवे सुरक्षा और सिग्नलिंग सिस्टम, रक्षा अनुप्रयोगों के लिए सामरिक इलेक्ट्रॉनिक्स, सौर फोटोवोल्टिक और सुरक्षा और निगरानी प्रणाली के चार मुख्य व्यावसायिक कार्यक्षेत्रों को वैश्विक मानकों के लिए मजबूत और उन्नत करने का आह्वान किया। मंत्री महोदय ने कहा कि सीईएल पिछले 25 वर्षों से सौर संयंत्रों को चालू कर रहा है और उसे 1992 में भारत के पहले सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना का गौरव प्राप्त है। उन्होंने आगे कहा कि फिर भी भारत हाल के दिनों में ही सौर दुनिया के लिए अक्षय ऊर्जा विकल्प के प्रमुख स्रोत के रूप में उभरा है ।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा की सीईएल को पिछली सरकारों द्वारा कम करके आंका गया और इसलिए यह अलाभकारी अप्राप्य संगठन बना रहा, लेकिन यह प्रधानमंत्री मोदी थे, जिन्होंने 2014 से उच्च बजटीय आवंटन के माध्यम से और पथप्रदर्शक नीतिगत निर्णय लेकर वैज्ञानिक प्रयासों को सकारात्मक रूप से आगे बढ़ाया है ।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर गर्व का अनुभव किया कि सीईएल अब रणनीतिक रक्षा क्षेत्र में मिसाइल और रडार कार्यक्रमों के लिए स्वदेशी रूप से निर्मित फेज कंट्रोल मॉड्यूल ( पीसीएम ) प्रदान कर रहा है और अब तक विभिन्न स्थानों पर तैनात 80 से अधिक रक्षा रडार सिस्टम के लिए 4.8 लाख पीसीएम की आपूर्ति की जा चुकी है। मंत्री महोदय ने कहा की पीसीएम के लिए सीईएल देश की एकमात्र उत्पादन एजेंसी है और आयात लागत 4 गुना अधिक है, इस प्रकार 2000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत होती है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सीईएल रक्षा, रेलवे, स्वच्छ ऊर्जा, सूचना संवाद प्रौद्योगिकी ( आईसीटी ), सुरक्षा और निगरानी क्षेत्रों में टिकाऊ तरीके से प्रौद्योगिकी के अवसरों का पूर्वानुमान लगाकर कर उत्पाद और समाधान प्रदान करने में उत्कृष्ट है। इसके अलावा, सिरेमिक रडोम और दृष्टि ट्रांसमीसो मीटर प्रणाली में उनका प्रवेश प्रशंसनीय है। मंत्री महोदय ने कहा कि सीईएल डिजिटल एक्सल काउंटर के क्षेत्र में रेलवे क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है जो भारतीय रेलवे की सुरक्षा और सिग्नलिंग प्रणाली के लिए आवश्यक है ।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने याद किया कि सेन्ट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ( सीईएल ) ने 18 दिनों के रिकॉर्ड समय में सांबा जिले की पल्ली पंचायत में जम्मू में 24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस समारोह को चिह्नित करने के लिए 500 केडब्ल्यूपी सौर ऊर्जा संयंत्र को सफलतापूर्वक चालू किया था, जिसकी प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी यात्रा के दौरान पल्ली गांव को देश की पहली कार्बन शून्य ( न्यूट्रल ) पंचायत बनाने के लिए सराहना की थी। इस पहल से पल्ली पंचायत के तीन सौ चालीस घरों को सौर ऊर्जा का उपहार मिल रहा है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सीईएल अपने सभी व्यावसायिक कार्यक्षेत्रों में अब बहुत अच्छा कर रहा है और सरकारी क्षेत्रों को सुरक्षा, निगरानी और स्मार्ट समाधान प्रदान करने के साथ ही स्मार्ट बोर्ड के निर्माण में भी प्रवेश कर रहा है, जो प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने सीईएल के अधिकारियों और कर्मचारियों को पिछले वित्तीय वर्ष में अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए बधाई दी, जिससे सीईएल कर्मचारियों और पूर्व कर्मचारियों को 19 करोड़ रुपये के वेतन बकाया को चुकाने में मदद मिली। उन्होंने कहा कि अपनी सीएसआर गतिविधियों के एक हिस्से के रूप में, क्षेत्र के सरकारी अस्पतालों में सीईएल का योगदान भी नागरिकों और समाज के लिए एक सदाशयतापूर्ण विचार है।

तत्पश्चात डॉ. जितेंद्र सिंह ने सीईएल द्वारा एमएमजी जिला अस्पताल, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश को दान की गई दो एंबुलेंसों को भी हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

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