जनभागीदारी सुनिश्चित करके प्रधानमंत्री के सिकल सेल रोग मुक्त भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने की पहल: अर्जुन मुंडा
अर्जुन मुंडा ने 'सिकल सेल एनीमिया के उन्मूलन के लिए जागरूकता अभियान और प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण' की, की शुरुआत
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 30अगस्त। केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने नई दिल्ली में ‘सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन’ के एक हिस्से के रूप में ‘जागरूकता अभियान और प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण’ की शुरुआत की। कार्यक्रम में जमीनी स्तर के पदाधिकारियों के प्रशिक्षण की परिकल्पना की गई है ताकि जनता के बीच, विशेषकर आदिवासी क्षेत्रों में इस दिशा में जागरूकता पैदा की जा सके।
हाल ही की एक घोषणा में, सरकार ने 2023-24 के बजट में 2047 तक सिकल सेल एनीमिया को खत्म करने के लिए एक मिशन की घोषणा की। इस मिशन में जागरूकता सृजन, प्रभावित आदिवासी क्षेत्रों में 0-40 वर्ष के आयु वर्ग के 7 करोड़ लोगों की जांच और केंद्रीय मंत्रालयों और राज्य सरकारों के सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से परामर्श शामिल होगा। मिशन को औपचारिक रूप से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 1 जुलाई, 2023 को मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में लॉन्च किया गया था।
लॉन्च के बाद मीडिया से बात करते हुए, अर्जुन मुंडा ने कहा कि यह पहल सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सिकल सेल रोग मुक्त भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाएगी। अर्जुन मुंडा ने कहा कि उनके प्रेरणादायक नेतृत्व में, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और जनजातीय कार्य मंत्रालय सिकल सेल रोग उन्मूलन मिशन के लिए जागरूकता सृजन पहल शुरू करने के लिए सहयोग कर रहे हैं।
अर्जुन मुंडा ने इस पहल को सफल बनाने में चुनौतियों और अवसरों की भी पहचान की। उन्होंने कहा कि बुनियादी चुनौती जनभागीदारी सुनिश्चित करके मिशन को जमीनी स्तर का आंदोलन बनाना होगा। इसके लिए जनता के बीच गलत धारणाओं का मुकाबला करने और बीमारी को खत्म करने के लिए वास्तव में सहभागी पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के लिए उन्हें साथ लाने की आवश्यकता होगी।अर्जुन मुंडा ने प्रभावित आबादी का स्वास्थ्य देखभाल डेटाबेस बनाने के महत्व पर जोर दिया, जो अनुसंधान और स्थायी समाधान खोजने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर ही इस बीमारी के संक्रमण को रोकना और आने वाली पीढ़ियों को बचाना संभव होगा।
अर्जुन मुंडा ने राज्य स्तर पर मास्टर प्रशिक्षकों के रूप में बड़ी संख्या में तृतीयक देखभाल चिकित्सकों को नामित करने में राज्य सरकारों की प्रतिक्रिया पर प्रसन्नता व्यक्त की। चिकित्सा पेशेवर बीमारी के बारे में गलत सूचना को रोकने और इसे खत्म करने के साथ-साथ बीमारी, इसके लक्षणों और इसकी पीड़ा की समझ को बढ़ावा देने के लिए जनजातीय समुदायों के साथ काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि परिणामस्वरूप, जनजातीय कार्य मंत्रालय ने जागरूकता बढ़ाने और हितधारकों की काउंसलिंग पर एक मॉड्यूल प्रकाशित करने के लिए चिकित्सा पेशेवरों, रोगी सहायता संगठनों और अन्य हितधारकों सहित विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया है। उन्होंने कहा कि ये मॉड्यूल मिशन के लॉन्च इवेंट में जारी किए गए थे।
अर्जुन मुंडा ने बताया कि जागरूकता सृजन की विशाल पहल की जा रही है और अंतिम छोर तक पहुंचने के लिए विभिन्न स्तरों पर प्रशिक्षण मॉड्यूल की योजना बनाई जा रही है।अर्जुन मुंडा ने बताया कि सामुदायिक स्तर पर नेताओं को शामिल करने की योजना बनाई गई है जो मिशन में जनता की व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए, जागरूकता अभियानों का जनजातीय भाषाओं में अनुवाद किया जा रहा है ताकि जमीनी स्तर पर संदेश का व्यापक विस्तार सुनिश्चित किया जा सके।
इस अवसर पर बोलते हुए, सचिव (जनजातीय कार्य) अनिल कुमार झा ने बताया कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि लोग नैदानिक परीक्षण के लिए हमसे संपर्क करने के लिए पर्याप्त रूप से प्रेरित हों, हम राज्य, जिला और ग्राम स्तर पर तीन-स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम लागू कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त, राज्य सरकारों ने तृतीयक देखभाल चिकित्सकों को राज्य स्तर पर मास्टर प्रशिक्षकों के रूप में नामित किया है। साथ ही, जिला स्तर के प्रशिक्षक स्थानीय प्रभावशाली लोगों और राय देने वालों को प्रशिक्षित करेंगे।
अपर सचिव आर जया ने कहा कि यह आयोजन जागरूकता अभियान की शुरुआत का प्रतीक है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि मंत्रालय इस क्षेत्र के सभी हितधारकों के साथ जुड़ रहा है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मिशन एक जन आंदोलन बन जाए। उन्होंने मास्टर प्रशिक्षकों से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया कि वे प्रशिक्षण को आगे बढ़ाएं और जिला-स्तरीय मास्टर प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित करें जो संदेश को स्थानीय-ग्रामीण स्तर तक ले जाएंगे। अंतिम छोर तक पहुंचने के लिए सभी स्तरों पर सभी हितधारकों को शामिल करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, मंत्रालय जागरूकता बढ़ाने के लिए क्षेत्रीय कार्यशालाएं और प्रचार अभियान चलाने और स्वास्थ्य और सिकल सेल कॉर्नर जैसे ऑनलाइन संसाधनों का उपयोग करने का भी इरादा रखता है।
इन विषयों पर तीन तकनीकी सत्र आयोजित किए गए (i) ‘जागरूकता मॉड्यूल और निवारक उपाय के रूप में इसका महत्व’ पर सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. दीप्ति जैन, नागपुर मेडिकल कॉलेज, महाराष्ट्र और समिति की अध्यक्ष द्वारा; (ii) ‘सिकल सेल में निदान महत्वपूर्ण है’ पर डॉ. अनुपम सचदेवा, विभागाध्यक्ष, बाल चिकित्सा हेमेटोलॉजी और ऑन्कोलॉजी, सर गंगा राम अस्पताल, दिल्ली द्वारा और (iii) ‘सिकल सेल की रोकथाम और प्रबंधन में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की भूमिका’ पर डॉ. नीता राधाकृष्णन, एसोसिएट प्रोफेसर, एसएसपीजीआई, नोएडा द्वारा।
इस अवसर पर द इंटरनेशनल पीडियाट्रिक एसोसिएशन (आईपीए) के अध्यक्ष डॉ. नवीन ठाकर, एम्स देवघर के निदेशक डॉ. सौरभ वार्ष्णेय, अन्य चिकित्सा विशेषज्ञों, विभिन्न हितधारकों और सभी समिति सदस्यों ने अपने विचार साझा किए।
असित गोपाल, आयुक्त-एनईएसटीएस; डॉ. नवल जीत कपूर, संयुक्त सचिव; विश्वजीत दास, डीडीजी, विनीता श्रीवास्तव, स्वास्थ्य सलाहकार और जनजातीय कार्य मंत्रालय के अन्य अधिकारी भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।
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