मणिपुर में सुरक्षा अभियान के बीच स्वेच्छा से हथियार सरेंडर करने की पहल

समग्र समाचार सेवा
इंफाल,27 फरवरी।
मणिपुर में हथियार और गोला-बारूद स्वेच्छा से सरेंडर करने की प्रक्रिया तेज हो गई है। राज्य के पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में लोगों द्वारा बड़ी संख्या में अवैध रूप से रखे गए हथियारों को सुरक्षा बलों के हवाले किया जा रहा है। अधिकारियों ने मंगलवार को इस बात की पुष्टि की कि यह पहल राज्यपाल अजय कुमार भल्ला की अपील के बाद देखने को मिल रही है, जिसमें उन्होंने लूटे गए और अवैध रूप से रखे गए हथियारों को लौटाने का आग्रह किया था।

सुरक्षा बलों को मिली बड़ी संख्या में हथियार

मंगलवार सुबह, इंफाल में सुरक्षा बलों को भारी मात्रा में हथियार सौंपे गए, जिनमें शामिल थे:

  • 12 सीएमजी गन
  • 2 .303 राइफल
  • 2 एसएलआर राइफल
  • 4 एसबीबीएल राइफल
  • कई मैगजीन, आईईडी और जिंदा कारतूस

अधिकारियों ने मीडिया के सामने सरेंडर किए गए हथियारों को प्रदर्शित किया और इसे जनता की कानून के प्रति जागरूकता का संकेत बताया।

सरकार की चेतावनी और समयसीमा

राज्यपाल भल्ला ने 20 फरवरी को घोषणा की थी कि जो भी व्यक्ति स्वेच्छा से हथियार सौंपेगा, उसके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। इस पहल के तहत अभी तक विभिन्न जिलों में 30 से अधिक लूटे गए हथियार सुरक्षा बलों को सौंपे जा चुके हैं।

मणिपुर के मुख्य सचिव पी.के. सिंह ने रविवार को कहा कि हथियार सरेंडर करने के लिए सात दिन की समय सीमा पर्याप्त है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि निर्धारित अवधि के बाद भी हथियार नहीं लौटाए गए, तो सुरक्षा बल सख्त कार्रवाई करते हुए इन्हें जब्त करेंगे।

मणिपुर में जारी जातीय हिंसा और राष्ट्रपति शासन

मणिपुर पिछले वर्ष मई 2023 से मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा से जूझ रहा है। इस हिंसा में अब तक 250 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। राज्य में लगातार बिगड़ते हालात को देखते हुए 13 फरवरी 2025 को केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया, जिसके बाद राज्य विधानसभा को निलंबित कर दिया गया। इसके साथ ही मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने इस्तीफा दे दिया था।

सुरक्षा व्यवस्था कड़ी, आगे की रणनीति

सरकार और सुरक्षा एजेंसियां सुनिश्चित कर रही हैं कि हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में शांति बनी रहे। हथियार सरेंडर करने की प्रक्रिया को देखते हुए राज्य प्रशासन को उम्मीद है कि इससे मणिपुर में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होगी और तनावग्रस्त इलाकों में कानून-व्यवस्था बहाल करने में मदद मिलेगी।

अब सभी की नजरें इस पर टिकी हैं कि क्या सरकार की इस पहल से मणिपुर में स्थायी शांति लौट पाएगी या आगे भी सख्त सुरक्षा अभियान जारी रहेगा।

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