नवाचार और प्रौद्योगिकी नागरिकों की दैनिक जीवन की असुविधाओं का समाधान कर प्रदान सकती है: डॉ. जितेंद्र सिंह

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,19फरवरी। केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि नवाचार और प्रौद्योगिकी नागरिकों की दैनिक जीवन की असुविधाओं का समाधान प्रदान कर सकती है।

उन्होंने कहा कि नवाचार केवल वैज्ञानिकों का क्षेत्र नहीं है, बल्कि कोई भी व्यक्ति मानसिकता और दृष्टिकोण में बदलाव के साथ नवाचार को प्रोत्साहन दे सकता है।

केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी; राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान; प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री ने नई दिल्ली में क्षमता निर्माण आयोग (सीबीसी) द्वारा संकलित सार्वजनिक प्रशासन में नवाचारों पर प्रबंध को औपचारिक रूप से शुरू करते हुए यह बात कही।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि प्रौद्योगिकी विकास में नवाचार और संस्थागत के माध्यम से नागरिकों के जीवन को आसान बनाना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दृष्टिकोण है।

उन्होंने कहा कि नवप्रवर्तन का विचार जीवन जीने की सरल सुविधा से परे है और व्यवहार में सामाजिक परिवर्तन लाकर समग्र रूप से समाज को कई लाभ प्रदान करता है।

उन्होंने कहा, “इनमें से कई नवाचार मौजूदा परिवेश में उपलब्ध प्रौद्योगिकी को देखते हुए कई विकल्पों के साथ हमारे नागरिकों को जागृत करेंगे।”

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शब्दों से प्रेरणा लेते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रौद्योगिकी के उपयोग से शासन और न्याय वितरण प्रणाली सबसे गरीब, हाशिए पर रहने वाले लोगों और भीतरी इलाकों में रहने वाली महिलाओं तक पहुंच सकेगी।

उन्होंने कहा, “भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में बदलने के लिए अगले दशक में शासन के लिए डिजिटल नवाचार एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।”

कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्री महोदय ने क्षमता निर्माण आयोग को फिल्मों और वीडियो के माध्यम से सार्वजनिक प्रशासन में नवाचारों को और अधिक प्रचारित करने का निर्देश दिया, क्योंकि इसकी सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर व्यापक दर्शकों तक पहुंच है।

प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से नवाचार की शुरुआत करने वाले सभी सिविल सेवकों को बधाई देते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने सुझाव दिया कि नवाचार को प्रोत्साहन देने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा विश्लेषण का उपयोग किया जाना चाहिए।

इस अवसर पर बोलते हुए, क्षमता निर्माण आयोग (सीबीसी) के अध्यक्ष, आदिल ज़ैनुलभाई ने कहा कि प्रबंधन ‘वन इंडिया, वन टीम’ के विचार से प्रेरित है। उन्होंने कहा, इसका उद्देश्य पूरे भारत में और विभिन्न स्तरों पर सिविल सेवकों के लिए केस स्टडीज का एक बड़ा डेटाबेस तैयार करना है ताकि नवाचारों के भंडार तक पहुंच बनाई जा सके और अन्य नागरिकों को प्रेरित किया जा सके।

क्षमता निर्माण आयोग (सीबीसी) के सदस्य प्रवीण परदेशी ने नवाचारों पर प्रस्तुति देते हुए, स्थानीय रूप से तैयार उत्पादों जैसे दूध, ताजे फल और सब्जियां और स्थानीय लोगों को सशक्त और कुशल बनाना, जिससे भारतीय सेना का मानवीय चेहरा प्रदर्शित होता है, की खरीद के लिए सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) पोर्टल पर सीमावर्ती क्षेत्रों के पास जम्मू-कश्मीर के स्थानीय समुदायों को शामिल करने के मामले के अध्ययन का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया।

असम में मशरूम की खेती पर ‘एक जिला एक उत्पाद’ का ऐसा ही एक अन्य केस अध्ययन भी प्रदर्शित किया गया।

क्षमता निर्माण आयोग (सीबीसी) के सदस्य डॉ. आर बालासुब्रमण्यम ने कहा कि आयोग को कृषि, रेलवे, आजीविका, जल संरक्षण आदि जैसे 13 विषयगत क्षेत्रों में 25 राज्यों से 243 नवाचार प्राप्त हुए। उन्होंने कहा कि इनमें से 15 नवाचारों को तीन स्तर की चयन प्रक्रिया में कड़ी मेहनत के बाद प्रबंधन में शामिल किया गया है।

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