अजय रमोला/स्निग्धा श्रीवास्तव
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 26मई। जहां भारत में कुछ राजनीतिक दल.. कोविड 19 के खिलाफ जंग में भारत की आलोचनात्मक टिप्पणी कर बाधक बनने का काम कर रहे है वहीं ऐसे कई संगठन है जो कोरोना महामारी के दौरान मानवता की नई मिशाल पेश कर रहे है। ये संगठन कोरोना महामारी के दौरान ना सिर्फ भारत की मदद कर रहे है बल्कि ऐसी भंयकर आपदा में भी भारत का उत्साहवर्धन करने का काम कर रहे है और कोविड -19 संकट से निपटने में खुल कर सामने आ रहे है।
ऐसा ही एक संगठन है फेडरेशन ऑफ इंडियन फिजिशियन एसोसिएशन,फेडरेशन ऑफ इंडियन फिजिशियन एसोसिएशन (एफआईपीए) के अध्यक्ष डॉ राज भयानी के नेतृत्व में भारतीय-अमेरिकी समुदाय के डॉक्टर, उनके संगठन के सदस्यों के साथ मिलकर बड़े पैमाने पर भारत में फ्रंटलाइन वर्कर्स को लॉजिस्टिक, तकनीकी और वित्तीय सहायता देकर कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में भारत माता की मदद कर रहे है।
डॉ राज भयानी एक प्रसिद्ध पेशेवर चिकित्सक हैं और वे भारत में पहले ईएनटी सर्जन हैं जिन्होंने न्यूरोसर्जरी में प्रशिक्षण पूरा किया है और फेशियल प्लास्टिक और माइक्रो वैस्कुलर सर्जरी में फेलोशिप है।
डॉ भयानी का मानना है कि अगर हम एकजुट हो तो कोरोना को हरा सकते है साथ ही भारत को जल्द ही कोविड-19 वायरस मुक्त बनाने के लिए तेजी से टीकाकरण करना ही हमारा एक मात्र लक्ष्य होना चाहिए।
डॉ भयानी ने कहा कि बचाव ही उपाय है। कोविड दिशा-निर्देशों का पालन करें, घर पर भी हर समय मास्क का प्रयोग करें, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें और वैक्सीन लें। देश को इस महामारी के इलाज में सहायक सभी प्रोटोकॉल का पालन करें।
समग्र भारत के साथ न्यूयॉर्क, यूएसए से एक विशेष साक्षात्कार में, उन्होंने अपने संगठन की भूमिका और उन तरीकों की जानकारी दी जिनसे उनका संगठन भारत में कोरोना महामारी को नियंत्रित करने में मदद कर रहा है।
पेश हैं न्यूयॉर्क से टेलीफोन पर लिए गए डॉ राज भयानी के विशेष साक्षात्कार के खास अंश:-
भारत, कोविड-19 महामारी के खिलाफ इस जंग को कैसे संभाल रहा है?
जैसा कि सभी जानते है कि भारत के विशाल देश है और यहां की जनसंख्या बहुत ज्यादा है उस हिसाब से हमारे पास सीमित संसाधन है। पहली लहर को बहुत अच्छी तरह से संभाला लिया गया जिसके बाद लोग ओवरकांफिडेन्स हो गए। यहां तक पीएम मोदी की चेतावनी के बावजूद राज्य सरकारों और जनता ने बहुत ज्य़ादा कोरोना के नियमों का उल्लंघन किया और नतीजे हमारे सामने हैं। दूसरी लहर एक ऐसी समस्या है जिसे एक आदमी संभाल नहीं सकता है। यह एक अभूतपूर्व स्थिति है और लोग विभिन्न राजनीतिक समानताओं और कारणों के लिए मोदी को दोष देने में लगे है। विपक्ष इस संकट को आगामी चुनावों के मद्देनजर मोदी को नीचा दिखाने और राजनीतिक रूप से आहत करने की कोशिश में लगा है।
इस संकट में विभिन्न राजनीतिक दलों की भूमिका के बारे में आप क्या कहना चाहते है?
भाजपा विरोधी दलों के नेतृत्व वालें राज्यों ने ऑक्सीजन प्लांट बनाने के सुझाव को साफ तौर पर मना कर दिया। यदि उन्होंने अधिक जिम्मेदारी से काम किया होता तो निश्चित रूप से कोविड 19 से संक्रमित मरीज की ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों की संख्या कम होती।
भारत में इस महामारी की वर्तमान स्थिति पर अमेरिका में प्रवासी भावे रतीयों की क्या प्रतिक्रिया है?
भारतीय अप्रवासी लोग भारत की स्थिति को लेकर काफी चिंतित हैं। पिछले साल यूएसए में इसका सामना कर चुके हैं। मैं न्यूयॉर्क में रहता हूँ। मैंने यहां डरावने दृश्य देखें है। जिसके कारण बहुत ज्यादा निराशा और लाचारी महसूस करता हूं।
भारत में कोविड-19 संकट पर अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों की क्या प्रतिक्रिया है?
लोग अपनी मातृभूमि की मदद के लिए हर संभव प्रयास करना चाहते हैं और कर भी रहे है। वे उदारता से दान कर रहे हैं और चाहते हैं कि भारत के लोगों को पता चले कि हम एकजुटता से उनके साथ हैं और उनकी मदद के लिए कुछ भी और सब कुछ करेंगे। साथ ही लोग परेशान हैं। यह दोष देने का समय नहीं है। यह मदद करने और सभी को सभी के साथ होने का वक्त है।
क्या आपको लगता है कि कोविड-19 वायरस के जरिए भारत को अस्थिर करने की कोई अंतरराष्ट्रीय साजिश है?
भारत ने पहली लहर में बहुत अच्छे तरीके से कोरोना के खिलाफ जंग को संभाला इसलिए, लोगों को आश्चर्य होता है कि क्या यह नया स्ट्रेन विशेष रूप से भारत के लिए उत्परिवर्तित हुआ और जैव-हथियार के रूप में हमारे शहरों में फैल गया। हमारे दुश्मन हमारे देश को चोट पहुंचाने के लिए कुछ भी करेंगे, लेकिन हमारा देश भारत के बहुत ऊर्जावान और शक्तिशाली प्रधान मंत्री श्री मोदी जी के कारण बहुत अच्छे तरीके से इसका सामना कर रहा है।
एक चिकित्सा विशेषज्ञ के तौर पर, क्या आप इस वायरस के लिए चीन को जिम्मेदार मानते हैं?
चीन को दोषी मानने की बड़ी वजह है क्योंकि यह वायरस चीन के वुहान से आया और पुरी दुनिया में फैल गया हैरानी की बात यह है कि जब सारी दुनिया कोरोना से पीड़ित थी तब चीन में इसका प्रभाव ना के बराबर था। और हम उस संयोग को क्या मानें.. इसकी दूसरी लहर ने भारत को इतनी बुरी तरह प्रभावित किया और किसी अन्य दक्षिण एशियाई राष्ट्र को अधिकारियों द्वारा गहन जांच की आवश्यकता नहीं है और ऐसी भारत विरोधी ताकतों से निपटने की जरूरत है। अधिकारियों को इसकी जांच करनी चाहिए।
भारत में संकट की इस घड़ी में आपने और आपके संगठनों ने भारत के समर्थन में कैसे योगदान दिया है?
कोविड 19 की दूसरी लहर ने अप्रैल 2021 से भारत के अस्तित्व के लिए संकट पैदा कर दिया है। फेडरेशन ऑफ इंडियन फिजिशियन एसोसिएशन, भारत माता की मदद के लिए काम कर रहा है। हमने दान के लिए अपील की है और हमें जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली है। भारत के पहले रक्षक स्वास्थ्यकर्मी दिन रात देश को इस संकट से बचाने के लिए लड़ रहे है। मामलों की संख्या में अचानक वृद्धि ने बुनियादी ढांचे को कमजोर कर दिया है। मरीजों के इलाज के लिए चिकित्सा उपकरणों और दवाओं की अत्यधिक मांग हो रही है। FIPA , इस मुश्किल घड़ी में भारत के लोगों की मदद के लिए आगे आया है और हर संभव मदद करने का प्रयास कर रहा है।
वर्तमान समय में आपके लिए कौन सा क्षेत्र ज्यादा ध्यान देने योग्य हैं?
हमारा संगठन FIPA महत्वपूर्ण क्षेत्रों और केंद्रित रणनीति में भारत के लोगों की मदद कर रहा है जिसमें चिकित्सा आपूर्ति, उपकरण, ऑक्सीजन सांद्रता, पल्स ऑक्सीमीटर, BiPAP, वेंटिलेटर, PPE किट, दस्ताने, मास्क की व्यवस्था और भेजना शामिल है। स्रोत दवाएं जैसे रेमेडिसविर, रेजेनरॉन, टोसीलिज़ुमैब, एम्फ़ोटेरिसिन आदि। हम भारतीय चिकित्सकों से संपर्क करते है और उनके पेशेवर और सामुदायिक कार्य को आगे बढ़ाने में उनकी मदद करते हैं। शुरुआत से ही, हमारा उद्देश्य युवा पीढ़ी मेंटरशिप में रुचि रखते हुए भारत से चिकित्सकों की अधिक भागीदारी सुनिश्चित करना है।
क्या आप कोविड-19 पीड़ित लोगों की ऑनलाइन मदद करके जागरूकता पैदा करने की कोशिश कर रहे है?
हमारे पास तकनीकी और चिकित्सा विशेषज्ञों का एक समूह है जो लोगों को शिक्षित करके विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफार्मों के माध्यम से लगातार जागरूकता पैदा कर रहा है। FIPA ने भारत के रोगियों के लिए टेली हेल्थ एडवाइस हेल्पलाइन शुरू की है, ताकि वे चिकित्सकों से कोविड और संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं की फोन पर सलाह ले सकें। हमने भारत की मदद के लिए एक वैश्विक गठबंधन बनाने के लिए अन्य देशों के साथ संयुक्त राज्य सरकार से अपील की है और उसे शामिल भी किया है।
क्या आपको लगता है कि बड़े पैमाने पर कोविड टीकाकरण ही भारत की समस्या का समाधान है?
मैं यह बताना चाहूंगा कि संयुक्त राज्य अमेरिका में टीकाकरण अभियान शुरू होने के बाद ही स्थितियों में सुधार हुआ है। कोविड -19 दिशानिर्देशों का पालन करने के अलावा मेरा मानना है कि ..हाँ, सभी को टीकाकरण कराने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और जितनी जल्दी हो सके हमे राष्ट्र के लिए इसे जल्दी पूरा करना चाहिए क्योंकि हम सभी जानते है कि भारत अभी खराब आर्थिक स्थितियों का सामना कर रहा है।
वैक्सीन के बारे में नकारात्मक अफवाहें फैलाने और लोगों को इसके खिलाफ भड़काने वालों के बारे में आपका क्या कहना चाहेंगे है?
उनके लिए यही कहना है कि टीकाकरण से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होगी, यह बकवास है। सभी को टीके की पूरी खुराक लेनी चाहिए क्योंकि फिलहाल यही एकमात्र उपाय है। हमें कोविड प्रोटोकॉल का पालन करके बचाया जा सकता है। संयुक्त राज्य अमेरिका ऐसा ही कर रहा है और अब तक सफल रहा है।
भारत को सहायता प्रदान करने के लिए आप कितने संगठनों के साथ काम कर रहे हैं और अब तक क्या किया गया है?
हम यूएसए के करीब 25 संगठनों के साथ काम कर रहे हैं और उन्हें एक साथ लाकर कई अन्य लोगों के साथ जुड़ रहे हैं। हम प्रत्येक संघ की ताकत और कमजोरियों का विश्लेषण करने के बाद समर्थन करते हैं। कुछ धन उगाहने में अच्छे हैं, कुछ रसद में अच्छे हैं, कुछ प्रौद्योगिकी में अच्छे हैं, कुछ चिकित्सा विशेषज्ञता में अच्छे हैं।
FIPA भारत के लिए सभी को एक साथ लाने के लिए एक कनेक्टिंग थ्रेड के रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। सबसे उल्लेखनीय संगठन व्हील्स ग्लोबल फाउंडेशन, एकल विद्यालय हैं। पैन आईआईटी, इराडा फाउंडेशन सत्य साई ट्रस्ट, राउंड टेबल के साथ सूची बढ़ रही है।
FIPA ने भारत में कोविड संकट के सामान्य एजेंडे पर उनके साथ काम करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के विभाग, USAID, WHO और कई अन्य संस्थाओं के साथ एक बैठक की थी।
पीएम मोदी शासन काल के पहले भारत में अच्छे स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे के लिए कोई ध्यान नहीं दिया गया था ।
क्या आपको लगता है कि अब अधिक बजट आवंटन करने का समय आ गया है?
70 वर्षों में हमारे स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे में खराब निवेश ही कोविड 19 के खिलाफ जंग में बाधक बनने का प्रमुख कारण है। हमें इजरायल को एक रोल मॉडल के रूप में देखना चाहिए और भारत को एक विकसित देश बनाना चाहिए। भारत जीडीपी का 2 प्रतिशत से कम खर्च करता है और यूएसए जीडीपी का 20 प्रतिशत खर्च करता है। इसे हमारे नागरिकों को स्वस्थ बनाने के लिए अधिक खर्च करना चाहिए।
बेहतर स्वास्थ्य सेवा के निर्माण के लिए पिछले 7 वर्षों में पीएम मोदी जी ने जबरदस्त काम किया है। सबसे बड़ी मुफ्त बीमा योजना, एक अभूतपूर्व विचार रही है और यह योजना भारत में लाखों लोगों की मदद कर रहा है। हालाँकि, यह सिर्फ शुरुआत थी और भी बहुत कुछ करने की जरूरत है लेकिन हमारा दुर्भाग्य है कि हमारी पूरी तैयारी से पहले ही कोविड-19 ने हम पर हमला कर दिया है।
पश्चिमी मीडिया द्वारा भारत की रिपोर्टिंग के बारे में आप क्या कहना चाहेंगे जो भारत को बदनाम करने के लिए जलते हुए श्मशान घाट आदि दिखा रहे है?
भारत में कुछ समाचार आउटलेट बहुत गैर-जिम्मेदार हैं और इसे सनसनीखेज बनाने के लिए इस महामारी के दुर्भाग्यपूर्ण पक्ष को दिखाते हैं ।भारत या दुनिया के किसी भी हिस्से में झूठी कहानियां दिखाते हैं तो इसकी घोर निंदा की जानी चाहिए।
क्या आपको लगता है कि डॉक्टरों आदि की कमी को पूरा करने के लिए देश में और अधिक अंतरराष्ट्रीय स्तर के मेडिकल कॉलेज और विश्वविद्यालय खोलने की आवश्यकता है?
हमें मेडिकल कॉलेजों में सीटें दोगुनी से भी ज्यादा करने की जरूरत है। चूंकि देश में डॉक्टरों की कमी है. ऐसे और विश्वविद्यालयों के लिए बुनियादी ढांचा तैयार करना भी जरुरी है। एक और बात जो होनी चाहिए वह है चिकित्सा देखभाल में एकरूपता और समानता..यहां अलग अलग अस्पताल में अलग अलग तरह की व्यवस्था सही नहीं है हमें भारत में एक प्रकार के चिकित्सा मानकीकरण की आवश्यकता है।***
*अजय रमोला/स्निग्धा श्रीवास्तव
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