समग्र समाचार सेवा
भोपाल,13 अक्टूबर। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनावों में बड़ी हार के बाद कांग्रेस पार्टी अब तक आंतरिक खींचतान से उबर नहीं पाई है। प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, जो 10 महीने पहले इस पद पर नियुक्त हुए थे, अब तक अपनी पूरी टीम बनाने में सफल नहीं हो सके हैं।
2023 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की करारी हार के बाद कमलनाथ की जगह जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। हालांकि, प्रदेश कार्यकारिणी के गठन को लेकर कई उम्मीदें थीं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। कुछ पदाधिकारियों और मीडिया विभाग में नियुक्तियां हुई हैं, पर अधिकांश महत्वपूर्ण पद अभी भी खाली हैं।
राज्य में कांग्रेस लंबे समय से गुटबाजी की शिकार रही है, और एक बार फिर वही स्थिति बनने लगी है। वरिष्ठ नेताओं जैसे दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की सक्रियता में कमी के साथ नए चेहरों को मौका नहीं मिल पा रहा है। कार्यकर्ता और नेता भी प्रदेश कार्यकारिणी के गठन का इंतजार कर रहे हैं, ताकि उन्हें जिम्मेदारी मिल सके।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, प्रदेश अध्यक्ष पटवारी नई कार्यकारिणी का गठन करने के लिए दिल्ली में पार्टी नेतृत्व से कई बार संपर्क कर चुके हैं, लेकिन वरिष्ठ नेताओं के अपने समर्थकों को पद दिलाने की खींचतान के कारण आम सहमति नहीं बन पा रही है। इसके साथ ही, जातीय समीकरणों के आधार पर सभी को उचित प्रतिनिधित्व देना भी एक चुनौती बना हुआ है।
पार्टी के एक पदाधिकारी ने बताया कि इन नियुक्तियों की देरी का असर संगठन की गतिविधियों पर पड़ा है। राज्य सरकार के खिलाफ कई मुद्दे होने के बावजूद पार्टी कोई बड़ा आंदोलन खड़ा नहीं कर पा रही है। कार्यकर्ताओं और नेताओं के पास जब कोई पद नहीं है, तो उनकी सक्रियता भी कम होती जा रही है, जो कांग्रेस के लिए चिंता का विषय है।
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