“मोटे अनाज की अंतर्राष्ट्रीय पहचान भारतीय किसानों के लिए विश्व बाजार के द्वार खोल रही है”:प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री ने ‘कृषि और सहकारिता’ विषय पर बजट-उपरांत वेबिनार को सम्बोधित किया
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 24फरवरी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘कृषि और सहकारिता’ पर आज बजट-उपरांत वेबिनार को संबोधित किया। केंद्रीय बजट 2023 में घोषित होने वाली पहलों के कारगर क्रियान्वयन के लिये सुझाव और विचार आमंत्रित करने के क्रम में सरकार द्वारा आयोजित 12 बजट-उपरांत वेबिनारों में से यह दूसरा वेबिनार है।
उपस्थितजनों को संबोधित करते हुये प्रधानमंत्री ने इस वर्ष के बजट में कृषि सेक्टर को दिये जाने वाले महत्त्व के साथ पिछले आठ-नौ वर्षों के बजटों के महत्त्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि कृषि बजट, जो 2014 में 25 हजार करोड़ से कम था, वह आज बढ़कर 1 लाख 25 हजार करोड़ से भी अधिक हो गया है। मोदी ने कहा, “हाल के वर्षों में हर बजट को गांव, गरीब और किसान के लिये बजट कहा जाता है।”
स्वतंत्रता के बाद से ही भारत का कृषि सेक्टर लंबे समय तक दबाव में रहा है, जिसका उल्लेख करते हुये प्रधानमंत्री ने खाद्य सुरक्षा के लिये बाहरी दुनिया पर देश की निर्भरता की तरफ इशारा किया। उन्होंने रेखांकित किया कि भारत के किसानों ने न केवल देश को आत्मनिर्मर बनाकर, बल्कि अनाज का निर्यात करने में देश को सक्षम बनाकर कैसे इस परिस्थिति को बदल डाला। प्रधानमंत्री ने घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों तक किसानों की पहुंच बनाने के सरकारी प्रयासों पर प्रकाश डालते हुये कहा, “आज भारत अनेक प्रकार के कृषि उत्पादों का निर्यात कर रहा है।” उन्होंने यह भी कहा कि जब आत्मनिर्भरता या निर्यात की बात हो, तो भारत का लक्ष्य सिर्फ चावल या गेहूं तक ही सीमित नहीं रहना चाहिये। कृषि सेक्टर में आयातों को रेखांकित करते हुये प्रधानमंत्री ने 2001-22 में दलहन के आयात के लिये 17,000 करोड़ रुपये, मूल्य संवर्धित खाद्य उत्पादों के आयात के लिये 25,000 करोड़ रुपये और 2021-22 में खाद्य तेल के आयात पर 1.5 लाख करोड़ रुपये खर्च किये जाने का हवाला दिया। उन्होंने आगे कहा कि समस्त कृषि आयातों का कुल हिसाब लगभग दो लाख करोड़ रुपये था। प्रधानमंत्री ने जोर देते हुये कहा कि कृषि सेक्टर को प्रोत्साहित करने के लिये लगातार अनेक निर्णय लिए जा रहे हैं, ताकि राष्ट्र ‘आत्मनिर्भर’ बन सके तथा आयात के लिए इस्तेमाल होने वाला धन किसानों तक पहुंच सके। उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि, दलहन उत्पादन को प्रोत्साहन, खाद्य प्रसंस्करण पार्कों की संख्या में बढ़ोतरी तथा खाद्य तेल के सिलसिले में पूरी तरह आत्मनिर्भर बनने के लिये मिशन मोड पर होने वाले कामों का उदाहरण दिया।
प्रधानमंत्री ने जोर दिया कि सम्पूर्ण विकास का लक्ष्य तब तक प्राप्त नहीं किया जा सकता, जब तक कृषि सेक्टर से जुड़ी चुनौतियों का उन्मूलन न हो जाये। उन्होंने गौर किया कि निजी नवाचार और निवेश इस सेक्टर से दूरी बनाये हुये हैं, जिसके कारण अन्य सेक्टरों की तुलना में इस सेक्टर में भारत के युवाओं की भागीदारी कम है, जबकि अन्य सेक्टरों में उनकी सक्रिय भागीदारी हो रही है तथा उन सेक्टरों का विकास भी हो रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस खामी को दूर करने के लिये इस वर्ष के बजट में अनेक घोषणाएं की गई हैं। यूपीआई के खुले प्लेटफॉर्म का उदाहरण देते हुये प्रधानमंत्री ने कृषि सेक्टर में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर प्लेटफॉर्म का उल्लेख किया तथा इस बात पर गौर किया कि एग्री-टेक क्षेत्रों में निवेश व नवाचार की अपार संभावनायें हैं। प्रधानमंत्री ने लॉजिस्टिक्स में सुधार, बड़े बाजारों को और सुगम बनाने, प्रौद्योगिकी के जरिये ड्रिप सिंचाई को प्रोत्साहन, मेडिकल प्रयोगशालाओं की तरह ही मिट्टी की जांच करने के लिये प्रयोगशालाओं की स्थापना जैसे अवसरों का उल्लेख किया। उन्होंने युवाओं से आग्रह भी किया कि वे अपने नवाचारों के बारे में सरकार और किसान के बीच सूचना-सेतु बनाते समय सही समय पर सही सलाह देने की दिशा में काम करें तथा नीति निर्माण में भी सहायता करें। प्रधानमंत्री ने मौसमी बदलावों के बारे में वास्तविक समय पर सूचना उपलब्ध कराने के साथ-साथ फसल का आकलन करने के लिये ड्रोन के इस्तेमाल पर भी चर्चा की।
प्रधानमंत्री ने एग्री-टेक स्टार्ट-अप्स के लिये उत्प्रेरक निधियों के शुरू किये जाने के विषय में बताया और कहा कि सरकार न केवल डिजिटल अवसंरचना बना रही है, बल्कि वह वित्तपोषण के तरीकों को भी तैयार कर रही है। उन्होंने युवाओं और युवा उद्यमियों से आग्रह किया कि वे आगे बढ़कर अपने लक्ष्यों को हासिल करें। प्रधानमंत्री ने कहा कि जहां नौ वर्ष पहले एग्री-स्टार्टअप नहीं के बराबर थे, उसकी तुलना में आज भारत में 3000 से अधिक एग्री-स्टार्टअप हो गये हैं।
प्रधानमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष की चर्चा करते हुये कहा कि इसकी अंतर्राष्ट्रीय पहचान भारतीय किसानों के लिये विश्व बाजार के द्वार खोल रही है। प्रधानमंत्री ने कहा, “इस बजट में देश ने मोटे अनाज को अब श्री अन्न की पहचान दे दी है।” उन्होंने कहा कि श्री अन्न को न केवल हमारे छोटे किसानों के लाभ के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा, बल्कि इसलिये भी प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि इस सेक्टर में स्टार्ट-अप्स के विकास की संभावनायें भी बढ़ें।
“भारत के सहकारी सेक्टर में एक नई क्रांति हो रही है,” प्रधानमंत्री ने यह इंगित करते हुये कहा कि यह अब देश के कुछ राज्यों और कुछ इलाकों तक सीमित नहीं रह गई है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष के बजट में सहकारिता सेक्टर को टैक्स से जुड़ी राहत दी गई है, जिससे निर्माण कार्य में लगी नई सहकारी सोसायटियों को लाभ होगा। उन्होंने आगे कहा कि सहकारी सोसायटियों द्वारा तीन करोड़ रुपये तक की नकद निकासी पर टीडीएस नहीं लगेगा। प्रधानमंत्री ने 2016-17 के पहले चीनी से जुड़ी सहकारिताओं द्वारा किये गये भुगतान पर कर छूट के महत्त्वपूर्ण फैसले का भी उल्लेख किया और कहा कि इससे चीनी से जुड़ी सहकारिताओं को 10 हजार करोड़ रुपये का फायदा होगा।
प्रधानमंत्री ने डेयरी और मत्स्यपालन जैसे सेक्टरों पर जोर दिया, जहां पहले सहकारितायें काम नहीं करती थीं, लेकिन आज उन्हें बहुत लाभ होगा। मत्स्यपाल क्षेत्र में मछुआरों के लिये उपलब्ध बड़े अवसरों पर प्रकाश डालते हुये प्रधानमंत्री ने बताया कि देश में मछली उत्पादन पिछले आठ-नौ वर्षों में लगभग 70 लाख मीट्रिक टन तक बढ़ गया है। उन्होंने पीएम मत्स्य सम्पदा योजना के तहत घोषित एक नये उप-घटक का भी उल्लेख किया। इसके तहत 6000 करोड़ रुपये रखे गये हैं, जिससे मत्स्य मूल्य श्रृंखला तथा बाजार को बढ़ावा मिलेगा।
अपने वक्तव्य का समापन करते हुये प्रधानमंत्री ने पीएम प्रणाम योजना और गोबर्धन योजना की चर्चा की, जिनके तहत सरकार प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने और रसायन आधारित खेती को कम करने के लिये काम कर ही है।
Amrit Kaal Budget is aimed at strengthening the agriculture as well as cooperative sectors. Addressing a post-budget webinar. https://t.co/AhP2Wes1lN
— Narendra Modi (@narendramodi) February 24, 2023
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