आतंकवाद के कारण निवेश को स्थायी रूप से अनिश्चितता और बेहद जोखिम का सामना करना पड़ता है: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

केंद्रीय वित्त मंत्री ने कौटिल्य आर्थिक कॉन्क्लेव-2023 में उद्घाटन पूर्ण सत्र को किया संबोधित

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,21अक्टूबर। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नई दिल्ली में वित्त मंत्रालय के सहयोग से आर्थिक विकास संस्थान द्वारा आयोजित कौटिल्य आर्थिक कॉन्क्लेव -2023 में ‘नेविगेटिंग ए वर्ल्ड ऑन फायर’ विषय पर आयोजित उद्घाटन पूर्ण सत्र को संबोधित किया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की उपलब्धियों को साझा करते हुए वित्त मंत्री ने डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना बनाने में भारत की सफलता और इसके परिणामस्वरूप देश में हुए व्‍यापक वित्तीय समावेशन पर प्रकाश डाला। उन्होंने जलवायु वित्तपोषण और वैश्विक आतंकवाद जैसे महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों से निपटने के लिए प्रतिबद्ध प्रयास करने की नितांत आवश्यकता की भी चर्चा की। अपने संबोधन के दौरान निर्मला सीतारमण ने भारत की अध्यक्षता के तहत जी20 वित्त ट्रैक से जुड़े प्रमुख निष्कर्षों पर भी प्रकाश डाला।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने पूर्ण सत्र के दौरान कहा, ‘दुनिया भर में आतंकवाद का प्रभाव अब कभी-कभार नहीं होता है और कोई भी क्षेत्र इससे अछूता नहीं है। व्यावसायिक निर्णय लेने में इतना ज्‍यादा जोखिम या अनिश्चितता रहने से निवेश को स्थायी रूप से अनिश्चितता और बेहद जोखिम का सामना करना पड़ेगा। निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘ कारोबारियों को अब केवल नीतियों या अर्थव्यवस्था के खुलेपन से ही आकर्षित नहीं किया जा सकता है। निवेशकों और कारोबारियों को अपने निर्णय लेने में जिस जोखिम को ध्यान में रखना होगा, वह वैश्विक आतंकवाद के प्रतिकूल असर से बुरी तरह प्रभावित होगा।’

डिजिटलीकरण के माध्यम से नागरिकों को सशक्त बनाने पर भारत सरकार के फोकस पर केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा, ‘भारत में खुलापन आ रहा है और डिजिटल अर्थव्यवस्था के माध्यम से भारत अधिक-से-अधिक पारदर्शिता ला रहा है। नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए डिजिटलीकरण से अधिक शक्तिशाली कोई साधन नहीं है, अन्यथा नागरिक अपनी विकासात्मक आकांक्षाओं को पूरा करने से बहुत दूर रह जाते।’

भारत सरकार के वित्तीय समावेशन कार्यक्रम का जिक्र करते हुए सीतारमण ने कहा, ‘जन धन खाते देश में वित्तीय समावेशन लाने में सबसे अहम साधन रहे हैं। जब वर्ष 2014 में इसका शुभारंभ किया गया था, तो लोगों ने सवाल उठाए थे और कहा था कि ये जीरो-बैलेंस खाते होंगे और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) पर बोझ होंगे। आज इन जन धन खातों में कुल मिलाकर 2 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा का बैलेंस है।’ केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि कोविड-19 के दौरान इन जन धन खातों की बदौलत ही सबसे गरीब लोगों को अपनी आवश्यक जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकार की ओर से अपने खातों में पैसा मिला।

पर्यावरण स्थिरता पर ध्यान देने के साथ-साथ दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था की आकांक्षाओं को बनाए रखने पर निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने अपनी ‘राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित प्रतिबद्धताओं (एनडीसी)’ को पूरा करने के लिए अपने संसाधनों का उपयोग किया, जैसा कि पेरिस समझौते में उल्लिखित है। जो कोई भी यह कह रहा है कि यह एक स्पष्ट कदम होना चाहिए, उसे यह भी विचार करना चाहिए कि विकासशील देशों के पास इतने व्‍यापक जलवायु वित्तपोषण के लिए वित्तीय क्षमता शायद नहीं है।’

केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा, ‘भारत जैसे देश पर विचार करें, जहां विकासात्मक लक्ष्य और आकांक्षाएं अभूतपूर्व गति से हासिल की जा रही हैं और जहां आबादी के एक बड़े हिस्से को अभी भी सहायता की आवश्यकता है। ऐसे में यह सवाल उठता है: आवश्यक धन कहां से आएगा?’

भारत की जी20 अध्यक्षता के किए गए कार्यों पर प्रकाश डालते हुए सीतारमण ने कहा कि जी20 वित्त ट्रैक का एजेंडा उन विचारों पर चुना गया था जो वैश्विक हैं, जिनमें ये शामिल हैं –

. 21वीं सदी की चुनौतियों के लिए बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) को तैयार
करना।
. क्रिप्टो परिसंपत्तियों का नियमन करना।
. अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा समय पर कार्रवाई न करने के कारण ऋण संकट।
. भविष्य के शहरों का वित्तपोषण।
. भारत की डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) की सफलता।
. कराधान मुद्दों पर दो स्तंभ वाले समाधान।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा, ‘इन एजेंडा बिंदुओं में से प्रत्येक को भारत के तहत जी20 की अध्यक्षता में बहुत अच्छा समर्थन मिला।’

इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ के अध्यक्ष एन के सिंह और साइंस पो (पेरिस) में अर्थशास्त्र के एसोसिएटेड प्रोफेसर और फ्रांस के हार्वर्ड केनेडी स्कूल में रिसर्च फेलो जीन-पियरे लैंडौ ने भी उद्घाटन पूर्ण सत्र में भाग लिया।

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