समग्र समाचार सेवा
इस्लामाबाद/तेहरान, 17 जून: ईरान के इस्लामिक रिवॉल्युशनरी गार्ड कोर (IRGC) के वरिष्ठ जनरल और नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के सदस्य मोहसिन रेज़ाई के एक बयान ने सोशल मीडिया पर भूचाल ला दिया है। वायरल वीडियो में दावा किया गया कि अगर इज़राइल ने परमाणु हमला किया, तो पाकिस्तान ईरान के समर्थन में इज़राइल पर परमाणु हमला करेगा।
Iranian National Security Council member Mohsen Rezaei
Pakistan told Iran that “if Israel drops a nuclear bomb in Tehran, we will drop a nuclear bomb on them.” pic.twitter.com/yrtudnLiV5
— Sidhant Sibal (@sidhant) June 15, 2025
हालांकि, पाकिस्तान ने इस बयान को सिरे से खारिज करते हुए इसे “झूठा और गैर-जिम्मेदाराना” करार दिया है।
पाकिस्तान की संसद में आया बयान
सोमवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्री इसहाक़ डार ने नेशनल असेंबली में स्पष्टीकरण देते हुए कहा,
“यह पूरी तरह झूठ और ग़लत जानकारी पर आधारित है। पाकिस्तान की परमाणु शक्ति केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए है, और इसे लेकर दुनिया के कुछ देश परेशान भी रहते हैं।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि पाकिस्तान ने कभी सार्वजनिक रूप से यह नहीं कहा कि वह ईरान के लिए इज़राइल के खिलाफ परमाणु हथियार का इस्तेमाल करेगा।
Pakistan jittery over Iran nuclear support claims; issues denial
Pakistan FM Dar rejects Iran official claims that Pakistan will use its Nuclear Weapons on Israel if the latter uses it on Iran.
Speaks in Pakistan parliament https://t.co/3Jelm7t18U pic.twitter.com/NU9AoVHZQl
— Sidhant Sibal (@sidhant) June 16, 2025
ईरान के समर्थन में राजनीतिक बयान, लेकिन सैन्य संकोच
हालांकि पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख़्वाजा आसिफ़ ने 14 जून को संसद में मुस्लिम देशों से एकता की अपील की थी और कहा था कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ईरान का समर्थन करेगा। उन्होंने OIC से आपात सत्र बुलाने की भी मांग की।
लेकिन सोमवार को ही पाकिस्तान ने ईरान से लगती अपनी सीमाओं को बंद कर दिया। बलूचिस्तान प्रशासन ने पुष्टि की कि चाग़ी, पंजगुर, केच, ग्वादर और वाशुक जिलों में ईरान-पाकिस्तान आवाजाही स्थगित कर दी गई है।
पाक-ईरान संबंध: पड़ोसी लेकिन परछाईं में
भले ही पाकिस्तान और ईरान 750 किलोमीटर लंबी साझा सीमा रखते हैं, लेकिन दोनों देशों के संबंध इतिहास में टकराव और अविश्वास से भरे रहे हैं। एक ओर पाकिस्तान सुन्नी बहुल देश है तो वहीं ईरान शिया प्रभुत्व वाला राष्ट्र है। दोनों के बीच धार्मिक और रणनीतिक मतभेद लंबे समय से कायम हैं।
1979 की ईरानी क्रांति के बाद से ईरान की नीतियों ने पाकिस्तान में शंकाओं को जन्म दिया। वहीं, पाकिस्तान का झुकाव सऊदी अरब और अमेरिका की ओर रहा है। ऐसे में इज़राइल के खिलाफ खुली सैन्य भागीदारी पाकिस्तान के लिए मुश्किल विकल्प है।
ईरानी जनरल का बयान राजनीतिक प्रतीकवाद हो सकता है, लेकिन पाकिस्तान की ओर से आए स्पष्ट स्पष्टीकरण ने यह साफ कर दिया है कि वह परमाणु शक्ति का इस्तेमाल केवल आत्मरक्षा के लिए करेगा। जबकि मुस्लिम एकता की बातें सार्वजनिक मंचों पर जारी हैं, सीमा बंदी और सैन्य दूरी पाकिस्तान की असल रणनीति को दर्शाती है।
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