समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,11 जनवरी।सीएनएन-न्यूज18 का इंडियन ऑफ द ईयर अवॉर्ड-2023 टीम इसरो को उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए दिया गया है. इसरो ने पिछले साल मून मिशनों की सीरिज में भारत का तीसरा मिशन चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक लॉन्च किया था. इसके साथ ही इसरो ने पहला सोलर मिशन आदित्य एल1 भी सफलता से लॉन्च किया है. इस मौके पर इसरो के चीफ एस सोमनाथ ने News18 के इंडियन ऑफ द ईयर अवॉर्ड को ग्रहण किया.
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ और चंद्रयान-3 परियोजना निदेशक पी वीरमुथुवेल ने बुधवार को केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह से अवॉर्ड हासिल किया. इस मौके पर सोमनाथ ने मंत्री के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी धन्यवाद देते हुए कहा कि पूरा अंतरिक्ष क्षेत्र अब अगले 25 साल के लिए दीर्घकालिक नजरिये के साथ सामने आया है. यह बड़ा भारी समर्थन है और मैं इससे अधिक की उम्मीद नहीं कर सकता. इसरो प्रमुख एस सोमनाथ पहले ही कह चुके हैं कि चंद्रयान-3 मिशन की सफलता लोगों के दिलों से जुड़ी हुई है. चंद्रमा पर उतरने वाला चौथा देश बनना और चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सबसे पहले पहुंचना कोई छोटी उपलब्धि नहीं है. इसरो का ध्यान अब भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम गगनयान पर है.
सीएनएन-न्यूज18 का इंडियन ऑफ द ईयर एक पहल है, जो उन भारतीयों को मान्यता देती है जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और राष्ट्र पर गहरा असर डाला है. 2006 में अपनी स्थापना के बाद से सीएनएन-न्यूज18 इंडियन ऑफ द ईयर ने खुद को समाचार टेलीविजन की दुनिया में सबसे बड़े पुरस्कारों के रूप में मजबूती से स्थापित किया है. इसरो ने सूर्य का अध्ययन करने के लिए देश के पहले सौर मिशन यान ‘आदित्य एल1’ को शनिवार को पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर अपनी अंतिम गंतव्य कक्षा में भी सफलता से स्थापित करा दिया है. भारत का अंतरिक्ष मिशन यान आदित्य एल-1 अंतरिक्ष में 126 दिन तक 15 लाख किलोमीटर की यात्रा करने के बाद शनिवार को सफलतापूर्वक अपने अंतिम गंतव्य पर पहुंच गया. इसरो का ध्यान अब भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम गगनयान पर है.
आदित्य-एल1 यान को दो सितंबर को प्रक्षेपित किया गया था और यह ‘लैग्रेंजियन पॉइंट 1’ पर पहुंच गया है. जहां से यह सूर्य की परिक्रमा करके उसका अध्ययन करेगा. इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि शनिवार को आदित्य-एल1 को सटीक ‘हालो’ कक्षा में स्थापित किया गया. आदित्य एल1 के महत्व को इस बात से समझा जा सकता है कि स्पेसएक्स ने पिछले साल सौर तूफानों में 40 उपग्रह खो दिए थे.
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