सिनेमा के प्रति जुनून और सिनेमा के व्यवसाय के बीच संतुलन बनाना जरूरी: सुनीता ताती
54वें आईएफएफआई गोवा में ‘वित्त जुटाना- रचनात्मक दृष्टिकोण को जीवन में लाना’ पर संवाद सत्र का किया गया आयोजन
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 26नवंबर। गोवा में 54वें आईएफएफआई में ‘वित्त जुटाना- रचनात्मक दृष्टिकोण को जीवन में लाना’ शीर्षक से एक चर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें सिनेमा की अवधारणा से लेकर निर्माण तक फिल्म निर्माताओं की भूमिका के विभिन्न पहलुओं पर विचार विमर्श किया गया।
इसमें फिल्म निर्माता शारिक पटेल, फिरदौसुल हसन और सुनीता ताती के साथ राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) के एमडी और 54वें आईएफएफआई के फेस्टिवल डायरेक्टर पृथुल कुमार शामिल हुए और फिल्मों के वित्तपोषण पर विचार-विमर्श किया।
एनएफडीसी द्वारा फिल्म निर्माण से जुड़ी चयन की प्रक्रिया के बारे में पूछे जाने पर, पृथुल कुमार ने कहा, “मूल्यांकन की प्रक्रिया विस्तृत और निर्धारित है, क्योंकि यह करदाताओं का पैसा है जिसका उपयोग इन परियोजनाओं को वित्तपोषित करने के लिए किया जा रहा है। पिछले 10 वर्षों से, एनएफडीसी द्वारा निर्मित फिल्मों की संख्या आम तौर पर कम रही है, क्योंकि वित्तपोषण अन्य स्रोतों से आ रहा है और उद्योग तेजी से बढ़ रहा है और इस तरह के वित्तपोषण की आवश्यकता नहीं है।”
भारत सरकार की तरफ से फिल्म निर्माण के लिए वित्तपोषण के बारे में बोलते हुए, उन्होंने बताया कि “सिनेमा प्रदर्शनियों और ओटीटी से जुड़ी सामग्री की बढ़ती जरूरत के साथ, भारत सरकार आगे बढ़ रही है और वित्तीय सहायता 10 गुना बढ़ गई है।”
पृथुल कुमार ने यह भी बताया कि आज की पीढ़ी के फिल्म निर्माताओं को अपनी फिल्म को प्रदर्शित करने के लिए विभिन्न नए तरीकों का पता लगाना चाहिए, जिनमें यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म का उपयोग करना या उन्हें ब्रांडों के साथ जोड़ना आदि शामिल हो सकता है। उन्होंने बेहतर मूल्य के लिए फिल्म बाजार और फेस्टिवल जैसे मंचों के महत्व पर जोर दिया।
युवा फिल्म निर्माताओं के साथ बातचीत करते हुए, शारिक पटेल ने कहा, “नुकसान तो होगा ही, यह एक ऐसा व्यवसाय है जहां सफलता का अनुपात बेहद कम है। लेकिन मुनाफा कमाने के लिए इसे जारी रखना होगा, अपने कौशल को बढ़ाते रहना होगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि यह एक निरंतर चलने वाली दौड़ है और इसे जारी रखने के लिए व्यक्ति में जुनून और उत्साह होना चाहिए। इस बात पर आगे और जोर देते हुए सुनीता ताती ने कहा, “ऐसी फिल्में बनाना जो अच्छा प्रदर्शन नहीं करतीं, भविष्य में सफल फिल्में बनाने के लिए एक सीखने से जुड़ा अनुभव है।”
फिल्म निर्माण के व्यवसाय में अपनी पहचान बनाने के बारे में बोलते हुए, फ़िरदौसुल हसन ने कहा, “यह एक जुनून से आगे बढ़ने वाला पेशा है, इसमें पटकथा के पीछे का व्यक्ति मायने रखता है, न कि पटकथा। मैं पहचान बनाने के लिए फिल्में बनाता हूं, सिर्फ पैसा कमाने के लिए नहीं। टिके रहने के लिए पैसे की आवश्यकता होती है लेकिन पहली प्राथमिकता एक अच्छी फिल्म बनाना है और साथ ही, प्रोडक्शन हाउस, निर्देशक, अभिनेता और अभिनेत्री के लिए एक पहचान बनाने पर जोर होता है।
सुनीता ताती ने यह भी बताया कि सिनेमा व्यवसाय और किसी के जुनून के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है। उन्होंने कहा, “सिनेमा के प्रति जुनून के कारण हम इस व्यवसाय में हैं लेकिन हमें सिनेमा के व्यवसाय को समझने में भी समय लगता है। ये पूरी तरह से दो अलग-अलग कार्यक्षेत्र हैं और इस उद्योग में बने रहने के लिए, किसी को सिनेमा के व्यवसाय को समझना चाहिए, चाहे उसमें कितना भी जुनून क्यों न हो।”
इस खंड का संचालन वरिष्ठ पत्रकार कोमल नाथा ने किया और इसमें पूरे सदन की उपस्थिति देखी गई।
Firdausul Hasan, Prithul Kumar, Sunitha Tati, and Shariq Patel engaged in a thoughtful discussion on the subject of "Raising Finance – Bringing Creative Visions to Life" during an In-Conversation Session held at Kala Academy as part of #IFFI54🎥💰💳#IFFI #IFFI54 pic.twitter.com/HhXOCCKBOJ
— PIB India (@PIB_India) November 25, 2023
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