“चीन के साथ करेंसी शेयर करना असंभव”, ब्रिक्स मुद्रा पर बोले पीयूष गोयल

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 5 फरवरी।
भारत के केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने ब्रिक्स (BRICS) मुद्रा को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत के लिए चीन के साथ करेंसी साझा करना असंभव है। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब ब्रिक्स देशों के बीच संयुक्त मुद्रा बनाने की चर्चा चल रही है।

क्या है BRICS मुद्रा का मामला?

ब्रिक्स (BRICS) एक आर्थिक संगठन है, जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। हाल ही में इस संगठन के तहत एक साझा मुद्रा बनाने की संभावना पर चर्चा हो रही थी, ताकि अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम की जा सके। लेकिन इस विचार पर भारत का रवैया हमेशा से सतर्क रहा है।

पीयूष गोयल ने क्यों कहा “असंभव”?

1. चीन पर भरोसे की कमी:

  • भारत और चीन के बीच राजनीतिक और आर्थिक तनाव बना हुआ है, खासकर सीमा विवाद को लेकर।
  • भारत के लिए चीनी अर्थव्यवस्था पर निर्भरता बढ़ाना जोखिम भरा हो सकता है

2. भारतीय रुपये की मजबूती:

  • भारत ने हाल के वर्षों में अपनी मुद्रा को मजबूत करने और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में रुपये के उपयोग को बढ़ावा देने पर ध्यान दिया है।
  • चीन की अर्थव्यवस्था और उसकी नीतियां भारत के हितों के खिलाफ हो सकती हैं, जिससे रुपये को नुकसान हो सकता है।

3. ब्रिक्स के अन्य देशों की अनिश्चितता:

  • रूस और चीन संयुक्त मुद्रा बनाने के समर्थक हैं, लेकिन भारत और ब्राजील अभी इसे लेकर सावधानी बरत रहे हैं
  • भारत को डर है कि यह मुद्रा चीनी युआन के प्रभाव में आ सकती है, जिससे भारत की स्वतंत्रता पर असर पड़ेगा।

भारत का विकल्प क्या है?

भारत डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिए
रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने की रणनीति अपना रहा है।
अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते कर रहा है, जिससे स्थानीय मुद्राओं का इस्तेमाल बढ़ सके।

निष्कर्ष

पीयूष गोयल का यह बयान दिखाता है कि भारत ब्रिक्स में अपनी मुद्रा नीति को स्वतंत्र रखना चाहता है और चीन पर आर्थिक रूप से निर्भर नहीं होना चाहता। भारत का रुख यह संकेत देता है कि भविष्य में भी BRICS मुद्रा के विचार को स्वीकार करना मुश्किल होगा

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