राजनैतिक छल-प्रपंच और दिखावे की राजनीति पर विराम आवश्यक

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,7 जनवरी।
देश में राजनीति का स्तर लगातार गिरता जा रहा है, और अब तो ऐसा प्रतीत होता है कि सत्ता हासिल करने के लिए कुछ भी करने और कहने की होड़ मची हुई है। हाल ही में राजनैतिक दलों द्वारा किए गए वादे और उनके पीछे छिपे इरादे इस बात को और स्पष्ट करते हैं।

इमामों को वेतन देने का राजनीतिक दांव:
जब इमामों को वेतन देने की घोषणा की गई, तो इसे एक वर्ग विशेष को खुश करने का प्रयास माना गया। लेकिन यह दांव पूरी तरह सफल नहीं हुआ। जब इससे अपेक्षित राजनीतिक लाभ नहीं मिला, तो अब हिंदू पंडितों और ग्रंथियों को अपनी राजनीति के जाल में फंसाने के लिए नई चाल चली जा रही है।

पुरानी घोषणाओं का क्या हुआ?
विनोद बंसल, राष्ट्रीय प्रवक्ता विहिप, ने इस पूरे मामले पर तीखा प्रहार करते हुए कहा है कि जिन लोगों को 10 साल पहले कुछ वादे किए गए थे, वे आज तक पूरे नहीं हुए। डेढ़ साल से कई लोगों को कुछ भी नहीं मिला। लेकिन अब 10 साल बाद के लिए नई घोषणाएं कर दी गईं हैं। सवाल यह उठता है कि जिनके 10 साल के एरियर का भुगतान तक नहीं हुआ, उनके साथ न्याय कब होगा?

जनता की गाढ़ी कमाई पर राजनीति:
राजनीतिक दलों द्वारा इस प्रकार की घोषणाएं और वादे ऐसे किए जा रहे हैं, मानो वे अपनी जेब से सब कुछ दे रहे हों। लेकिन सच्चाई यह है कि यह जनता की मेहनत की कमाई है, जिसे राजनीतिक दिवास्वप्न और वोट बैंक की राजनीति के लिए लुटाया जा रहा है। यह केवल छल और प्रपंच है, जो जनता के सामने झूठी छवि पेश करने के लिए किया जा रहा है।

चुनाव आयोग को लेना चाहिए संज्ञान:
राजनीतिक दलों और नेताओं द्वारा फैलाए जा रहे इस प्रकार के धोखे और लालच पर रोक लगाने की सख्त आवश्यकता है। चुनाव आयोग को इस पर संज्ञान लेते हुए कठोर कार्रवाई करनी चाहिए। ऐसी घोषणाएं, जो केवल वोट बैंक की राजनीति के लिए होती हैं और जिनका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं होता, उन्हें रोकना चाहिए।

जनता को सतर्क रहने की आवश्यकता:
यह समय है कि जनता इन राजनीतिक चालों को समझे और केवल वादों के आधार पर निर्णय न ले। हमें यह देखना होगा कि जो वादे किए जा रहे हैं, वे व्यावहारिक और निष्पक्ष हैं या केवल वोट हासिल करने का एक जरिया।

निष्कर्ष:
राजनीति में छल और प्रपंच का यह दौर देश के लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। ऐसे में हर नागरिक को जागरूक रहना होगा और सत्ता में बैठे लोगों से जवाबदेही मांगनी होगी। देश के भविष्य के लिए यह आवश्यक है कि राजनीति का आधार केवल सेवा और विकास हो, न कि छल, प्रपंच और दिखावे की राजनीति।

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