“हमारा प्रयास है कि हमारे देश के युवाओं के पास एसएंडटी के सभी क्षेत्रों में अनुसंधान करने के लिए गुणवत्तापूर्ण आरएंडडी बुनियादी ढांचे तक पहुंच हो”:डॉ.जितेंद्र सिंह
डॉ. जितेंद्र सिंह ने पूर्वोत्तर क्षेत्र और जम्मू-कश्मीर के विश्वविद्यालयों में नए एवं उभरते क्षेत्रों में स्टार्ट- अप्स तथा अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए विशेष अभियान की घोषणा की
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 25अप्रैल। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी त्तथा पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री ( स्वतंत्र प्रभार ) ; प्रधानमन्त्री कार्यालय ( पीएमओ ) , कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ.जितेंद्र सिंह ने यहां डॉ.अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित ” विश्वविद्यालय अनुसंधान उत्सव 2023 ” में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, तेलंगाना और राजस्थान के अलावा पूर्वोत्तर क्षेत्र, जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के विश्वविद्यालय पारिस्थितिकी तंत्र में बुनियादी ढांचा तथा वैज्ञानिक सुविधाएं प्रदान करके नए और उभरते क्षेत्रों में स्टार्ट- अप तथा अनुसन्धान और विकास ( आर एंड डी ) गतिविधियों के लिए एक विशेष अभियान की घोषणा की।
“ प्रतिस्पर्धी लाभ के लिए भारत के अभियान में हमारे विश्वविद्यालयों और संबंधित संस्थानों को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा के भंडार के रूप में उच्च क्षमता वाले मानव संसाधन सृजित करने की दिशा में एक प्रमुख भूमिका निभाने की आवश्यकता है । हमारे माननीय पीएम की परिकल्पना के इस आलोक में कि भारत की आत्मनिर्भरता -अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचा, प्रौद्योगिकी संचालित प्रणाली, जीवंत जनसांख्यिकी, और मांग के पांच स्तंभों पर आधारित होगी, को देखते हुए राष्ट्र द्वारा एक आत्मनिर्भर भारत के विकास में योगदान करने के लिए,प्रासंगिक अनुसन्धान और विकास ( आर एंड डी ) के बुनियादी ढांचे की नींव को मजबूत करना औचित्यपूर्ण है“।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इन विविध चुनौतियों का सामना करने और विश्वविद्यालयों एवं अन्य संबंधित शैक्षणिक संस्थानों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के बुनियादी ढांचे ( एसएंडटी इंफ्रास्ट्रक्चर ) के लिए समर्थन व्यवस्था तन्त्र ( सपोर्ट सिस्टम ) को मजबूत करने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ( डीएसटी ) उच्च शिक्षा संस्थानों में विभिन्न विश्वविद्यालयों / संस्थानों और अन्य शैक्षणिक संगठनों में अनुसंधान गतिविधियों के लिए अनुसंधान एवं विकास उपकरणों को बढ़ाने / सुविधा प्रदान करने के साथ-साथ उद्योग-शिक्षा जगत के संबंधों को बढ़ावा देने की दिशा में विज्ञान और प्रौद्योगिकी ( एसएंडटी ) अवसंरचना को बेहतर बनाने के लिए धनराशि ( फंड्स फॉर इम्प्रूवमेंट ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इन यूनिवर्सिटीज – फिस्ट – एफआईएसटी ) विश्वविद्यालय शोध और वैज्ञानिक उत्कृष्टता को प्रोत्साहन ( प्रमोशन ऑफ़ यूनिवर्सिटी रिसर्च एंड साइंटिफिक एक्सीलेंस – पर्स – पीयूआरएसई ) तथा परिष्कृत विश्लेषणात्मक उपकरण सुविधा ( सोफेस्टिकेटेड एनालिटिकल इंस्ट्रूमेंट्स फैसिलिटीज – एसएआईएफ ) जैसी विभिन्न बुनियादी ढांचा संबंधी योजनाओं का पोषण और समर्थन करता है। डॉ. सिंह ने पर्स समर्थित विश्वविद्यालयों की उपलब्धियों को प्रदर्शित करने के लिए आयोजित उत्सव में बोलते हुए आगे कहा कि हमारा प्रयास है कि हमारे देश के युवाओं के पास एसएंडटी के सभी क्षेत्रों में अनुसंधान करने के लिए गुणवत्तापूर्ण आरएंडडी बुनियादी ढांचे तक पहुंच हो “।
डॉ.जितेंद्र सिंह ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री का स्वप्न देश को ‘ अमृत काल ‘ में ‘ आधुनिक विज्ञान के लिए सबसे उन्नत प्रयोगशाला ‘ बनाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में प्रयासों को आगे बढ़ाना है – अगले 25 वर्षों में भारत की स्वतंत्रता की शताब्दी तक . इस परिकल्पना की दिशा में काम करते हुए सरकार देश में अनुसंधान बुनियादी ढांचे के निर्माण पर भारी निवेश करने के लिए प्रतिबद्ध है । एफआईएसटी कार्यक्रम के अंतर्गत विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ( डीएसटी ) ने 3074 विभागों और स्नातकोत्तर ( पीजी ) कॉलेजों को विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों के विभिन्न विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं गणित ( एसटीईएम ) विभागों में वैज्ञानिक बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए लगभग 3130.82 करोड़ रुपए. के कुल बजट में सहायता प्रदान की है । अब तक 950 करोड़ रुपये के निवेश के साथ अत्यधिक चुनौतीपूर्ण अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों को संचालित करने की शक्ति बनाए रखने के लिए देश भर के विश्वविद्यालयों को लचीला बुनियादी ढांचा अनुदान प्रदान किया जा रहा है । राष्ट्रव्यापी पहुंच के साथ विश्वविद्यालय शोध और वैज्ञानिक उत्कृष्टता को प्रोत्साहन ( प्रमोशन ऑफ़ यूनिवर्सिटी रिसर्च एंड साइंटिफिक एक्सीलेंस – पर्स – पीयूआरएसई ) का प्रचार हमारे शिक्षाविदों / वैज्ञानिकों को उच्च अंत अनुसंधान उपकरण उपलब्ध कराकर विश्वविद्यालय के अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन करता है, जिससे हमारे विश्वविद्यालय वैश्विक मानकों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम होते हैं ।
केंद्रीय मंत्री ने कार्यक्रम के दौरान वर्तमान विश्लेषणात्मक उपकरण सुविधाओं ( एआईएफएस ) की कार्यात्मक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए मरम्मत /उन्नयन/ रखरखाव / रिट्रोफिटिंग या अतिरिक्त संलग्नक प्राप्त करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए भारत सरकार द्वारा अपनी तरह का पहला कार्यक्रम सुप्रीम ( सपोर्ट फॉर अपग्रेडेशन प्रिवेन्टिव रिपेयर एंड मेंटेनेंस ऑफ़ इक्विपमेंट – एसयूपीआरईएमई ) नाम से एक नई योजना शुरू की ।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ( डीएसटी ) के सचिव डॉ. एस चंद्रशेखर ने कहा कि वैज्ञानिक अनुसंधान का भविष्य विभिन्न देशों के बीच गहरे और अधिक व्यापक बहु- विषयक सहयोग की मांग करेगा जो शोधकर्ताओं को स्थायी वैज्ञानिक सहयोग हासिल करने की पूर्व शर्त का अनुकूलन करने में सक्षम बनाएगा । भारत जी 20 देशों की मेजबानी करते हुए गहन सहयोग के माध्यम से इसे आगे बढ़ा सकता है ।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने अपने अनुसंधान के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए कई विश्वविद्यालयों का समर्थन किया है क्योंकि वे राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और मिशनों से जुड़े संभावित उच्च प्रभाव, अंतः विषय अनुसंधान ( बुनियादी और अनुप्रयोगात्मक दोनों ही ) की दिशा में प्रयास कर रहे हैं । विश्वविद्यालय अनुसंधान उत्सव द्वारा प्रदान की गई जानकारी को साझा करने के लिए साझा मंच के अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रमों के अंतर्गत समर्थित विश्वविद्यालयों ने अपनी शोध उपलब्धियों, उपन्यास निष्कर्षों और प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित किया । पर्स के अंतर्गत समर्थित विभिन्न विश्वविद्यालयों की उपलब्धियों पर एक पुस्तक का भी विमोचन किया गया ।
Comments are closed.