सिविल सेवकों की जिम्मेदारी यह सुनिश्चित करना है कि शासन की पहुंच सबसे गरीब लोगों के दरवाजे तक हो: उपराष्ट्रपति

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 29मार्च। नई दिल्ली स्थित आईआईपीए के 68वें स्थापना दिवस के अवसर पर आज पहला डॉ. राजेंद्र प्रसाद वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय स्मृति व्याख्यान देते हुए उपराष्ट्रपति ने रेखांकित किया कि शासन का नागरिक-केंद्रित प्रतिमान कुशल सार्वजनिक सेवा वितरण प्रणालियों पर टिका है। यह स्वीकार करते हुए कि इस तरह की प्रणाली को नागरिकों की बढ़ती जरूरतों और आकांक्षाओं के अनुकूल होने में सक्षम होना चाहिए, उन्होंने सार्वजनिक शासन-प्रणाली के जटिल कार्य के प्रमुख घटकों के रूप में समावेश, दक्षता, पारदर्शिता और ईमानदारी पर जोर दिया। उन्होंने आगे कहा, ’’इसलिए, सुशासन की कुछ परिभाषित विशेषताएं व्यापकता, निष्पक्षता, अखंडता, दक्षता और समानता हैं।’’
जरूरतमंदों और वंचितों के लिए प्रशासकों की अधिक पहुंच की आवश्यकता पर जोर देते हुए, श्री नायडु ने कहा कि सिविल सेवकों को समाज के सभी वर्गों से लेकर अंतिम व्यक्ति तक नागरिकों को भारत की विकास गाथा लिखने में सक्रिय भागीदार के रूप में सहयोजित करना चाहिए।

लोकसेवा के अंतिम छोर तक वितरण के महत्व और प्रशासकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, उपराष्ट्रपति ने प्रशासकों के नेतृत्व और प्रशासनिक दक्षताओं को बढ़ाने के लिए तकनीकी और प्रबंधकीय कौशल को सम्मानित करने को लेकर आईआईपीए की प्रशंसा की।
श्री नायडु ने कहा कि सिविल सेवकों को अपने कौशल को उन्नत करने, भारत के भीतर और देश के बाहर की सर्वोत्तम कार्य-प्रणालियों को अपनाने और बढ़ाने के लिए उदार होना चाहिए। उन्होंने कहा, ’’ तभी वे जमीन स्तर पर कार्यक्रमों और नीतियों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए अभिनव व लीक से हटकर रणनीतियां बना सकते हैं और शासन व प्रशासन की जटिल चुनौतियों का समाधान कर सकते हैं।’’
भारत के लिए आईएमएफ के विकास के अनुमानों का हवाला देते हुए, श्री नायडु ने कहा कि वैश्विक महामारी के प्रभाव के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार, एक ’आत्मनिर्भर’ भारत के समावेशी विकास के वादे को पूरा करता है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत आज एक परिवर्तनकारी युग के शिखर पर खड़ा है जिसमें प्रत्येक नागरिक सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन का एक सशक्त उत्प्रेरक बनना चाहता है। सरकार के विभिन्न सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों का उल्लेख करते हुए, उन्होंने लोक प्रशासन के न्याय, नैतिकता और निष्पक्षता के सिद्धांतों पर आधारित अधिक नागरिक केंद्रित होने की कामना की।

यह रेखांकित करते हुए कि देश की प्रगति और सुरक्षा के लिए एकता सर्वोपरि है, श्री नायडु ने भारत को गरीबी, अशिक्षा, भेदभाव, जातिवाद या क्षेत्रवाद से मुक्त बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को भारतीय होने पर गर्व महसूस करना चाहिए।
डॉ राजेंद्र प्रसाद को एक प्रतिष्ठित नेता बताते हुए, श्री नायडु ने कहा कि उन्होंने एक समृद्ध, एकीकृत और मजबूत भारत देखने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने कहा, ’’बाबू राजेंद्र प्रसाद की एक छात्र कार्यकर्ता से स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति तक की उल्लेखनीय यात्रा, देश और समाज के प्रति उनकी अदम्य क्षमता, संकल्प और प्रतिबद्धता की एक महान गाथा है।’’
उन्होंने कहा कि बाबू राजेंद्र प्रसाद ने जाति और पंथ की बेड़ियों से मुक्त एक सामंजस्यपूर्ण और समतावादी भारत का सपना देखा था। श्री नायडु ने उन्हें हमारी मातृभूमि का एक महान सपूत बताया, जिनका जीवन परोपकार, सत्य, सेवा और सादगी के गुणों से परिभाषित होता है। उन्होंने कहा कि आईआईपीए, प्रशासकों के लिए प्रशिक्षण, अनुसंधान और परामर्श गतिविधियों के व्यापक परिदृश्य के माध्यम से कुशल, प्रभावी और नैतिक शासन के लिए एक वातावरण बनाने की मांग कर रहा है, इस प्रकार डॉ राजेंद्र प्रसाद की परिकल्पना को पूरा कर रहा है। उपराष्ट्रपति, जो आईआईपीए के पदेन अध्यक्ष हैं, ने वर्षों से नीति अभिविन्यास के साथ संयुक्त शैक्षणिक उत्कृष्टता की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए संस्थान की सराहना की।
इस अवसर पर केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी व पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि आईआईपीए अपने अस्तित्व के पिछले 67 वर्षों में एक सेवानिवृत्त अधिकारी क्लब के रूप में लंबा सफर तय कर चुका है और अब यह क्षमता निर्माण के क्षेत्र में एक जीवंत और गतिशील संस्थान के रूप में परिणत हो गया है।
उन्होंने कहा कि आईआईपीए ठीक ढंग से काम कर रहा है और डिजिटल पाठ्यक्रम व प्रशिक्षण कार्यक्रम के अपने मिशन में तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि 2021-22 में आईआईपीए ने 69 डिजिटल प्रशिक्षण कार्यक्रम, 27 ऑफलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम और 30 से अधिक शोध अध्ययनों का संचालन किया।

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