अपने पूर्वजों की पूजा करना बहुत महत्वपूर्ण है- अनुसुईया उइके

समग्र समाचार सेवा
इंफाल, 21नवंबर। मंगलवार को मणिपुर की राज्यपाल अनुसुईया उइके  सनामही मंदिर में सनामही संस्कारों पर आयोजित 15 दिवसीय कार्यशाला में शामिल हुई। यहां उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि अपने पूर्वजों की पूजा करना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि उन्होंने हमें जीवन दिया है और हम उनके इस उपकार से कभी मुक्त नहीं हो सकते हैं। उन्हें याद करने के लिये उनकी पूजा करना उनके उपकारों के प्रति आभार व्यक्त करने के समान है।
इस अवसर पर प्रो. पी. गुनिन्द्रो, कुलपति, मणिपुर संस्कृति विश्वविद्यालय,  विद्यापति सेनजाम, वाईस प्रेसीडेन्ट, सनमही मंदिर बोर्ड, एम शिवदत्त, मेम्बर सेक्रेटरी सनमाही बोर्ड,  एल. राधाकान्ता, रजिस्ट्रार मनिपुर यूनिवर्सिटी आफ कल्चर एवं भक्तगण उपस्थित थे।
राज्यपाल ने मंदिर में पूजा अर्चना की और उत्कृष्ट कार्य करने वालों का सर्टिफिकेट वितरित किये। पूर्वजों की याद में मंदिर परिसर में एक पौधारोपण भी किया।
इस अवसर में राज्यपाल ने अपने संबोधन में भगवान सनामही जी को नमन किया और सभी को हार्दिक शुभकामनाएं दीं सनमाही धर्म मणिपुर राज्य के मेतेइ लोगों में प्रचलित एक धार्मिक परम्परा है, इसे सनामहिजम भी कहते हैं। यह एक जीववादी धर्म है जिसमें पूर्वजों की पूजा की परम्परा है। एक पुरानी मणिपुरी पांडुलिपि साकोक लमलेन के अनुसार सनामही धर्म को “अरेप्पा लाइनिंग“ के रूप में भी जाना जाता है जिसका शाब्दिक अर्थ है धार्मिक सत्य का धर्म।
किसी भी समुदाय के संस्कार उस समुदाय की धार्मिक मान्यताओं का दर्पण होते हैं। जैसा कि हिंदू धर्म के सोलह संस्कार किसी भी व्यक्ति के शरीर, मन और बुद्धि को पवित्र करने के लिए धार्मिक शुद्धिकरण के संस्कार हैं सनामही धर्म के संस्कार – पोकपा (जन्म), लुहोगबा (विवाह) कोरौ नोंगाबा (मृत्यु) संस्कार मीतै सनामही के धार्मिक दर्शन को दर्शाते हैं।
प्राचीन काल से आज तक मीतै जाति के सर्वोच्च देवता लाइनिंगथौ सनामही की मीतै के प्रत्येक घर के दक्षिण-पश्चिमी कोने में स्थापना कर उनकी पूजन की जाती है।  मणिपुर से बाहर बसने वाले मणिपुरी मैतेई जाति के व्यक्ति आज भी पूजा स्थल अपने घर के यथास्थान निर्मित कर पूजा करते चले आ रहे हैं।

इस 15 दिवसीय कार्यशाला में कबुई सनामही अनुयायियों के विद्वान व्याख्यान दे रहे हैं। कार्यशाला में 200 प्रतिभागी शामिल हो रहे हैं जो कि सनामही धर्म के बारे में विस्तार से जान सकेगें और मुझे पूरा विश्वास है कि इस कार्यशाला से उन्हें अवश्य ही लाभ होगा।

आज देखने में आ रहा है कि हमारी युवा पीढ़ी हमारी संस्कृति, धर्म, रीति रिवाजों, कर्म काण्डों को भूलती जा रही है। इसकी वजह यह है कि हम उन्हें इनसे परिचित नहीं करा रहे हैं, जबकि यह बहुत जरूरी हैं। कार्यशाला में लोगों को जन्म से मृत्यु तक के संस्कारों से परिचित कराने का प्रयास किया जा रहा है उनका यह उद्देश्य बहुत ही पवित्र एवं सामयिक है।

राज्यपाल ने सभी प्रतिभागियों से अपेक्षा की कि उन्हें यहॉं पर जो कुछ भी बताया जा रहा है उसे अपने समुदाय के दूसरे सदस्यों को भी बताएं ताकि आपको जो बताया गया है उसका प्रचार प्रसार अधिक से अधिक हो सके।

इस अवसर पर सभी से यह भी अपील की कि आप सभी प्रदेश में शांति, सदभाव, भाईचारा, प्रेम का भाव स्थापित करने में सहयोग करें। किसी भी प्रकार की अफवाह पर विश्वास न करें, प्रशासन एवं सुरक्षाबलों को सहयोग करें और प्रदेश को पहले की तरह खुशहाल बनाने में सहयोग करें।

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