समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,8नवंबर।
भारत-चीन तनाव के बीच पहली बार चीनी सीमा पर समुद्र तल से 10000 से 16500 फुट तक की ऊंचाई पर ITBP के जवान तैनात रहेंगे। ये जवान यहां से चीन की हर गतिविधि पर पैनी नजर बनाए रखेंगे। जवानों के लिए इन चौकियों पर हेलीकॉप्टर से गर्म कपड़े और रसद सामग्री पहुंचाई जा रही है। वहीं दुंग, बुगडियार और रिलकोट चोकियों पर करीब 700-800 आईटीबीपी के जवान तैनात किए गए हैं। 10 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित रिलकोट, 8898 फुट की ऊंचाई पर बुगडियार और समुद्रतल से 16 हजार 500 फुट की ऊंचाई पर दुंग चौकियों पर चीन सीमा के करीब ये जवान तैनात किए गए हैं।
इसके अलावा व्यास वैली के लिपुलेख में समुद्रतल से 14 हजार फुट और दारमा वैली की अंतिम चौकी दावे में भी 15 हजार फुट की ऊंचाई पर भी जवान तैनात रहेंगे। पिछले वर्ष तक ठंड बढ़ने के बाद जवानों को मिलम और गुंजी शिफ्ट कर दिया जाता था, लेकिन चीन से बढ़ रहे तनाव के बाद जवानों को शीतकाल में वहीं तैनात रहने के आदेश जारी हुए हैं। बर्फबारी से पूर्व जवानों के लिए हेली सेवा से इन चौकियों में खाद्यान्न सामग्री, गर्म कपड़े, डीजल, पेट्रोल सहित अन्य सामान पहुंचाया जा रहा है।
बता दें कि पिथौरागढ़ में भारत की 150 किमी. सीमा चीन से लगी हुई है। चीन के बाद विवाद बढ़ने के बाद आईटीबीपी के साथ-साथ भारतीय सेना के जवान सीमा पर हर गतिविधि पर पैनी नजर बनाए हुए हैं। वहीं चीन की हर गतिविधि पर पैनी नजर रखने के लिए लिपुलेख में एचडी (हाई डेफिनेशन) कैमरे लगाए गए हैं। जिनकी मॉनीटरिंग दिल्ली से की जा रही है। सेना के अलावा अन्य लोगों को वहां आवागमन की मनाही है।
आईटीबीपी की उच्च हिमालयी क्षेत्रों में स्थित दुंग, बुगडियार, रिलकोट, लिपुलेख और दावे में शीतकाल में -15 से -20 डिग्री तापमान रहता है। यहां शीतकाल में 12 से 15 फुट तक बर्फबारी होती है। इस कारण जवानों को निचले इलाकों में शिफ्ट कर दिया जाता था। यह पहला मौका है कि इस बार शीतकाल में हिमवीर अपनी पोस्टों पर डटे रहेंगे।
शीतकाल में सीमा पर भारतीय सेना, आईटीबीपी और एसएसबी की हलचल बढ़ने के बाद सीमांत के गांवों में भी खासी हलचल है। गुंजी, लिपुलेख सहित कई अन्य स्थानों पर स्थानीय लोगों के रेस्टोरेंट खुले हैं। जिससे उनकी आय में भी सुधार हो रहा है।
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