जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर विपक्ष के आरोपों को अमित शाह ने किया खारिज, बोले– स्वास्थ्य कारणों से दिया इस्तीफा
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 25 अगस्त: पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक दिए गए इस्तीफे को लेकर उठ रहे राजनीतिक सवालों के बीच, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को स्पष्ट किया कि धनखड़ ने केवल स्वास्थ्य कारणों से पद छोड़ा है। शाह ने विपक्ष के उस दावे को पूरी तरह से खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि धनखड़ “नज़रबंद” थे या उन्हें “चुप” करा दिया गया था।
एएनआई को दिए इंटरव्यू में शाह ने कहा, “धनखड़ साहब का इस्तीफा पत्र अपने आप में साफ है। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है और प्रधानमंत्री सहित मंत्रियों तथा सरकारी साथियों के प्रति आभार भी जताया है। इससे ज़्यादा कुछ भी सोचने की ज़रूरत नहीं है।”
विपक्ष के आरोपों पर कड़ी प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों ने धनखड़ के अचानक इस्तीफे पर सवाल उठाए थे। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा था कि देश के इतिहास में पहली बार किसी उपराष्ट्रपति का इस्तीफा “चुप कराए जाने” के साथ हुआ है।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा देश को “मध्यकालीन दौर” में ले जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को मनमाने ढंग से हटा देती है। “राजा अगर किसी का चेहरा पसंद नहीं करता तो ईडी से केस लगवा देता है और चुना हुआ प्रतिनिधि 30 दिनों में हटा दिया जाता है,” राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा।
वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने तो यहां तक सवाल उठाया कि क्या धनखड़ की अनुपस्थिति को देखते हुए हैबियस कॉर्पस याचिका दायर की जानी चाहिए।
शाह का पलटवार – “सत्य और असत्य का आधार विपक्ष नहीं”
अमित शाह ने विपक्ष के इन आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि सच और झूठ का मूल्यांकन केवल विपक्षी नेताओं के बयानों पर आधारित नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा, “ऐसा लगता है कि सच और झूठ का आधार विपक्षी बयानों पर तय किया जा रहा है। धनखड़ जी संवैधानिक पद पर थे और उन्होंने संविधान के अनुसार ही अपनी जिम्मेदारियां निभाईं। स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने पद छोड़ा है, इस पर अनावश्यक विवाद नहीं होना चाहिए।”
धनखड़ का इस्तीफा और पृष्ठभूमि
जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई 2025 को संसद के मानसून सत्र के पहले दिन इस्तीफा दिया था। उस समय वे राज्यसभा के सभापति के तौर पर कार्यरत थे। इस्तीफा पत्र राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपते हुए उन्होंने लिखा कि वे अब “स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना चाहते हैं और चिकित्सकीय परामर्श का पालन करेंगे।”
धनखड़ 2022 से देश के 14वें उपराष्ट्रपति रहे और अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई संवैधानिक और राजनीतिक चुनौतियों का सामना किया।
जगदीप धनखड़ का इस्तीफा अभी भी राजनीतिक बहस का विषय बना हुआ है। जहां भाजपा और अमित शाह इसे केवल “स्वास्थ्य कारणों” से लिया गया व्यक्तिगत निर्णय बता रहे हैं, वहीं विपक्ष इसे केंद्र सरकार पर सवाल उठाने का अवसर मान रहा है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि धनखड़ सार्वजनिक जीवन में सक्रिय रहते हैं या स्वास्थ्य कारणों से पूरी तरह विश्राम का रास्ता अपनाते हैं।
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