चीन के साथ सीमा विवाद पर जयशंकर का दो टूक जबाब, भारत की बढ़ती धाक पर बोले- हमारे सलाह के बिना आगे नहीं बढ़ती दुनिया

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,14 जनवरी। विदेश मंत्री एस जयशंकर अपने बेबाक बोल के लिए जाने जाते हैं। हाजिरजवाबी में उनका कोई सानी नहीं है। देशी हो या विदेशी मंच, अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर उनके जवाब सुनने लायक होते हैं। इसी कड़ी में विदेश मंत्री जयशंकर आज नागपुर के टाउन हॉल में आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे थे। उनसे चीन के साथ चल रहे मसले और दुनिया में भारत की ताकत से संबंधित सवाल पूछा गया। जयशंकर ने दोनों का ही बड़ी बेबाकी से उत्तर दिया। चीन के साथ रिश्तों पर जयशंकर ने दो टूक शब्दों में कहा कि सीमा पर तनाव का हल निकलने तक भारत-चीन के रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते। दुनिया में भारत की बढ़ती धाक पर कहा कि दुनिया का कोई बड़ा मसला ऐसा नहीं है, जिस पर फैसला लेने से पहले भारत से राय-मशविरा न किया जाए।

बिना भारत से सलाह लिए नहीं आगे नहीं बढ़ती दुनिया’
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दुनिया में बढ़ती भारत की धमक से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए कहा कि अब दुनिया का कोई बड़ा मसला तय नहीं होता, जिसमें नई दिल्ली से सलाह-मशविरा न हो। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत बदल चुका है और दुनिया इसे पहले की तरह नहीं देखती। जयशंकर ने आगे कहा कि भारत का स्वभाव ‘स्वतंत्र’ रहने का है। इसी वजह से हमें अलग-अलग लोगों के साथ अपने हितों को साधना होता है, न कि किसी और के अधीन बनना होता है। जयशंकर ने आगे कहा कि भारत का कद लगातार बढ़ रहा है और आज दुनिया उसे पहले की तरह नहीं देखती। उन्होंने कहा, ‘आज कई देश हमारी ताकत और प्रभाव को देखते हैं। हम 10 साल पहले दुनिया की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थे, अब हम पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं और कुछ ही सालों में हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे। हम बदल गए हैं और दुनिया का नजरिया भी हमारे बारे में बदल गया है।’

जब पीएम मोदी अमृत काल की बात करते हैं तो…
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘अमृत काल’ की बात करते हैं, तो समझिए ये 10 साल नींव का काम करेंगे। इन्हीं 10 सालों पर अगले 25 सालों की इमारत खड़ी होगी। उनसे पूछा गया कि भारत कैसे अलग-अलग संगठनों का हिस्सा बनकर काम करती है (जैसे क्वाड और ब्रिक्स में जो परस्पर विरोधी हितों वाले देशों के समूह हैं)? इस सवाल पर विदेश मंत्री ने कहा कि भारत स्वतंत्र है और उसे अलग-अलग लोगों के साथ तालमेल बिठाकर अपने हितों को साधने का तरीका सीखना होगा। जयशंकर ने आगे कहा कि हम कम से कम 5000 साल पुरानी सभ्यता हैं, दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश, दुनिया के सबसे बड़े देशों में से एक और दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था। हमारा स्वभाव आजाद रहने का है। हम किसी और के अधीन या उनकी कंपनी का हिस्सा नहीं बन सकते, न ही बनना चाहिए। क्योंकि हम स्वतंत्र हैं, हमें अलग-अलग लोगों के साथ संबंध बनाकर अपने हितों की रक्षा करनी सीखनी होगी।

चीन को भी क्लियर संदेश
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन को दो टूक शब्दों में क्लियर मैसेज दे दिया। नागपुर के कार्यक्रम में जयशंकर ने साफ शब्दों में कहा कि बॉर्डर पर तनाव का हल निकलने तक भारत-चीन के रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते। जयशंकर ने याद दिलाया कि 2020 में चीन ने सीमा समझौते का उल्लंघन करते हुए लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर सैनिकों की तैनाती बढ़ाई थी। इस वजह से सीमा पर अब भी तनाव बना हुआ है। जयशंकर ने कहा कि मैंने अपने चीनी समकक्ष को साफ कह दिया है कि सीमा पर हल निकलने तक रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते। अगर सीमा पर तनाव बना रहेगा, तो आप उम्मीद न करें कि बाकी रिश्ते भी अच्छे रहेंगे। यह सोचना गलत है कि आप लड़ाई करेंगे और साथ ही हमारे साथ व्यापार भी करेंगे। ऐसा नहीं हो सकता।

1962 के बाद चीन में अपना राजदूत भेजने में लगे 14 साल
जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत और चीन के बीच तनावपूर्ण संबंध दोनों देशों के बीच के महत्वपूर्ण रिश्ते को प्रभावित करेंगे, तो उन्होंने समझाया कि 1962 के युद्ध के बाद से ही दोनों देशों के बीच कुछ समझौते हुए हैं। हालांकि, चीन ने उन समझौतों का उल्लंघन किया। उन्होंने कहा, ‘पिछले कुछ सालों में भारत और चीन के बीच संबंध अच्छे या आसान नहीं रहे हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि हमारे पास उनके साथ कुछ लिखित समझौते थे, जिनका उन्होंने उल्लंघन किया है।’ जयशंकर ने भारत-चीन संबंधों के इतिहास पर रोशनी डाली। उन्होंने बताया कि 1962 में भारत और चीन के बीच युद्ध के बाद दोनों देशों के बीच संबंध काफी तनावपूर्ण हो गए थे। इतने तनावपूर्ण कि हमें चीन में अपना राजदूत भेजने में 14 साल लग गए। उन्होंने आगे कहा, ‘युद्ध 1962 में हुआ था और हमें वहां राजदूत भेजने में 14 साल लग गए। और फिर 26 साल बाद पहली बार हमारे प्रधान मंत्री राजीव गांधी चीन गए थे।’

वो सैनिक लाएंगे तो हमें जवाब देना होगा…
विदेश मंत्री ने कहा कि 2020 में चीन ने समझौते का उल्लंघन किया और एलएसी पर सैनिकों को लाया। जयशंकर ने आगे कहा कि 2020 में, उन्होंने समझौते के बावजूद इसका उल्लंघन किया। उन्होंने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बड़ी मात्रा में सैनिकों को तैनात किया । कोविड के दौरान भी, हमने वहां एक बड़ी सेना तैनात की और अपनी सेना को स्थानांतरित कर दिया और तब से, दोनों पक्षों की सेनाएं एक-दूसरे के खिलाफ हैं। इस बात पर जोर देते हुए कि भारत ने इसकी शुरुआत नहीं की। जयशंकर ने कहा कि अगर वे अपने सैनिकों को हमारे सामने लाते हैं, तो हमें उनका मुकाबला करना होगा।

Comments are closed.