समग्र समाचार सेवा
वॉशिंगटन, 3 जुलाई: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे पर पानी फेर दिया है जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत-पाकिस्तान के बीच ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद सीजफायर उन्हीं की कोशिशों से हुआ। वॉशिंगटन में क्वॉड शिखर सम्मेलन के इतर पत्रकारों से बातचीत करते हुए जयशंकर ने साफ कहा कि भारत जानता है कि उस वक्त क्या हुआ था और अब उसे वहीं छोड़ देना बेहतर है।
DGMOs की सीधी बातचीत से हुआ युद्धविराम
जयशंकर ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के साथ युद्धविराम का फैसला दोनों देशों के सेना संचालन महानिदेशकों (DGMOs) की सीधी बातचीत का परिणाम था। उन्होंने कहा कि इस पर किसी तीसरे देश की भूमिका नहीं थी। जयशंकर ने कहा, ‘‘उस समय क्या हुआ, इसका रिकॉर्ड एकदम साफ है। युद्धविराम सेना स्तर पर हुई आपसी बातचीत से तय हुआ था, कोई और कहानी नहीं है।’’
ट्रंप के दावे पहले भी खारिज
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप पहले भी यह दावा कर चुके हैं कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच व्यापार को हथियार बनाकर युद्ध रोका। ट्रंप का कहना है कि उनके दबाव और व्यापार वार्ता के लालच में ही दोनों देश सीजफायर पर राजी हुए। भारत पहले भी इस दावे को खारिज कर चुका था और अब विदेश मंत्री ने भी इसे सिरे से नकार दिया है।
ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि
गौरतलब है कि ऑपरेशन सिंदूर पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ठिकानों को जवाब देने के लिए चलाया गया था। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान से आए आतंकवादियों ने 26 भारतीयों की निर्मम हत्या कर दी थी। इसके बाद 6-7 मई की रात भारत ने पाकिस्तान के भीतर घुसकर 9 आतंकी ठिकानों को मिसाइल हमलों से तबाह कर दिया। जवाबी हमले में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के 100 से ज्यादा आतंकियों के मारे जाने की पुष्टि हुई।
सीजफायर के लिए पाकिस्तान ने मांगी थी गुहार
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने जवाबी हमला शुरू तो किया, लेकिन भारत की सख्त कार्रवाई के बाद पाकिस्तान को भारी नुकसान उठाना पड़ा। इसके बाद पाकिस्तान ने युद्धविराम की गुहार लगाई थी। 9-10 मई को DGMOs की सीधी बातचीत के बाद सीजफायर पर सहमति बनी थी। इसके बावजूद ट्रंप इस पूरे घटनाक्रम का श्रेय खुद को देते रहे हैं, जिसे जयशंकर ने अब सिरे से खारिज कर दिया है।
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