समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 22 जून: विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने पड़ोसी देशों के साथ भारत के संबंधों को लेकर स्पष्ट कहा कि “हमेशा सब कुछ आसान नहीं होगा”। डीडी इंडिया पर एक इंटरएक्टिव सत्र में उन्होंने कहा कि भारत ने क्षेत्रीय स्थिरता के लिए “साझा हितों” पर काम किया है, जिससे किसी भी शासन परिवर्तन के बावजूद संबंधों में स्थायित्व बना रहे।
उन्होंने कहा, “हर पड़ोसी देश को समझना होगा कि भारत के साथ काम करने से लाभ है, और न करने से नुकसान। पाकिस्तान को छोड़ दें तो यह तर्क सभी पर लागू होता है।”
चीन और अमेरिका के साथ रणनीति में बदलाव
जयशंकर ने चीन के साथ तनावपूर्ण संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि पहले की सरकारों ने बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर को नजरअंदाज किया, जो आज की स्थिति में “अविवेकपूर्ण” था। उन्होंने कहा कि एलएसी पर भारत की सुदृढ़ उपस्थिति इस इंफ्रास्ट्रक्चर विकास का परिणाम है।
अमेरिका को लेकर उन्होंने कहा, “हां, वहां अस्थिरता है, लेकिन हमने अधिक से अधिक लिंक और साझेदारी बनाकर संतुलन कायम किया है।”
पड़ोसी देशों के साथ संबंधों का विस्तार
उन्होंने श्रीलंका, मालदीव और नेपाल जैसे पड़ोसियों के साथ संबंधों पर भी बात की। जयशंकर ने कहा, “हमें हमेशा सहजता की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए, लेकिन कठिन समय में भी हाथ खड़े करना सही रणनीति नहीं है।”
आतंकवाद के खिलाफ भारत की नई नीति
विदेश मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि 26/11 मुंबई हमले के बाद भारत ने “अब बहुत हो गया” की नीति अपनाई। उन्होंने 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक, 2019 का बालाकोट एयरस्ट्राइक और हालिया ऑपरेशन सिंदूर का उदाहरण देते हुए कहा, “हमने नई सामान्यता तय की है कि अब पहल सिर्फ विरोधी के हाथ में नहीं रहेगी।”
भारत की बहुध्रुवीय विदेश नीति की दिशा
जयशंकर ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में भारत की विदेश नीति का केंद्रीय विषय “मल्टीपोलर वर्ल्ड” रहा है। भारत ने प्रमुख देशों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखते हुए विभिन्न क्षेत्रों में अपनी स्थिति मजबूत की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उन्होंने “अपने समय के नेता” बताते हुए कहा कि उन्होंने भारत को नई वैश्विक भूमिका दिलाने का रास्ता दिखाया है।
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