समग्र समाचार सेवा,
नई दिल्ली/बीजिंग, 10 जून: विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने हाल ही में चीन और पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि भारत आतंकवाद को लेकर किसी भी तरह की अस्पष्टता या दोहरे मापदंड को स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने चीन को आगाह किया कि वह आतंकवाद के मामले में अपने रुख को स्पष्ट करे और अपने सहयोगी पाकिस्तान को लेकर निष्पक्ष रवैया अपनाए।
जयशंकर ने कहा, “आतंकवाद एक वैश्विक संकट है और इस पर अस्पष्टता नहीं बरती जा सकती। भारत किसी भी आतंकी हमले का जवाब देने के लिए तैयार है, चाहे आतंकवादी कहीं भी छिपे हों।”
पाकिस्तान और आतंकवाद: भारत की सख्ती
जयशंकर ने पाकिस्तान पर सीधा हमला करते हुए कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच जो झड़पें हुई हैं, वे सीमा विवाद की नहीं, बल्कि आतंकवाद की वजह से हैं। उन्होंने जोर देकर कहा, “यह संघर्ष भारत और आतंकवाद के बीच है। पाकिस्तान आतंकवादियों को शरण देता है और समर्थन करता है, इसलिए हम जहां जरूरत हो, वहां कार्रवाई करेंगे।”
पहलगाम हमला और भारत की प्रतिक्रिया
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने 7 मई को पाकिस्तान-स्थित आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले किए। इस कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक समर्थन मिला। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए आतंकियों की जवाबदेही तय करने की मांग की।
चीन और आतंकवाद पर दोहरा मापदंड
चीन के पाकिस्तान के साथ करीबी रिश्तों को लेकर जयशंकर ने चिंता जताई और कहा कि अगर चीन वैश्विक मंचों पर आतंकवाद की निंदा करता है, तो उसे अपने व्यवहार में भी वही प्रतिबद्धता दिखानी होगी। उन्होंने कहा, “चीन दशकों से पाकिस्तान के साथ जुड़ा रहा है, लेकिन आतंकवाद पर दोहरी नीति नहीं चलेगी।”
भारत-चीन रिश्ते: तनाव के बावजूद संवाद जारी
जयशंकर ने स्वीकार किया कि भारत और चीन के रिश्तों में 2020 की सीमा झड़पों के बाद तनाव आया, लेकिन दोनों देश शांति बनाए रखने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। कोविड के बाद सीधी उड़ानों को फिर से शुरू करने पर भी चर्चा हो रही है।
भारत-अमेरिका संबंध: सहयोग की नई ऊंचाई
जयशंकर ने अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाने की चेतावनी पर कहा कि दोनों देश बाजार तक पहुंच को लेकर समझौते की दिशा में बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा, “भारत-अमेरिका संबंध अब केवल व्यापार तक सीमित नहीं हैं, ये रणनीतिक, तकनीकी और वैज्ञानिक क्षेत्रों में भी गहरे हो गए हैं।” क्वाड जैसे मंचों में अमेरिका और भारत की साझेदारी इसकी मिसाल है।
यूक्रेन युद्ध पर भारत का रुख
जयशंकर ने यूक्रेन युद्ध के जल्द समाधान की आवश्यकता पर जोर दिया। भारत की ओर से शांति और संवाद की वकालत की गई है और भारत की भूमिका एक संतुलनकारी शक्ति के रूप में देखी जा रही है।
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