जयशंकर का कड़ा संदेश: पाकिस्तान में पनपता आतंकवाद और बदलती वैश्विक व्यवस्था

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 10 जून: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ब्रसेल्स के अपने हालिया दौरे पर एक बार फिर पाकिस्तान में पनप रहे आतंकवाद के मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाया है। इसके साथ ही, उन्होंने ग्लोबल ऑर्डर में यूरोपीय संघ (EU) की अहम भूमिका पर भी खुलकर बात की। उनके बयानों ने भारत के आतंकवाद विरोधी रुख और वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति को स्पष्ट किया है।

ओसामा बिन लादेन: आतंक पर भारत का दृढ़ रुख

विदेश मंत्री जयशंकर ने एक इंटरव्यू में बताया कि दुनिया को यह समझना होगा कि आतंकवाद केवल भारत और पाकिस्तान का मामला नहीं है, बल्कि यह एक वैश्विक खतरा है। उन्होंने ओसामा बिन लादेन का उदाहरण देते हुए कहा कि वह वर्षों तक पाकिस्तान के एक सैन्य छावनी वाले शहर में सुरक्षित क्यों महसूस करता था? यह सवाल अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने पाकिस्तान की दोहरी नीति को उजागर करता है। जयशंकर ने साफ किया कि अगर इस आतंकवाद को रोका नहीं गया, तो यह अंततः अन्य देशों के सामने भी खड़ा हो जाएगा।

कश्मीर, रूस-यूक्रेन संघर्ष और भारत की विदेश नीति

जब जयशंकर से कश्मीर मुद्दे और भारत के सैन्य एक्शन को लेकर रूस-यूक्रेन संघर्ष में भारत के रुख पर सवाल किया गया, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत हमेशा से मानता है कि आपसी मतभेदों को बातचीत के जरिए सुलझाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत को नहीं लगता कि इसका समाधान मोर्चे से निकलेगा।

उन्होंने यह भी बताया कि भारत के यूक्रेन के साथ भी मजबूत रिश्ते हैं। जयशंकर ने जोर देकर कहा कि हर देश अपने अनुभव, इतिहास और हितों के बारे में विचार करता है। उन्होंने याद दिलाया कि आजादी के बाद भारत की सीमाओं को अतिक्रमण का सामना करना पड़ा था, जब पाकिस्तान ने घुसपैठियों को भेजा था। उस समय जिन देशों ने इसे सबसे ज्यादा समर्थन दिया, वे पश्चिमी देश ही थे। ऐसे में जब वही देश, जिन्होंने उस वक्त इसे नजरअंदाज किया, अब अंतरराष्ट्रीय मूल्यों के बारे में बात करते हैं, तो उन्हें अपना इतिहास देखना चाहिए। यह बयान पश्चिमी देशों की दोहरी नीतियों पर भारत की ओर से एक करारा जवाब था।

अमेरिका से रिश्ते: व्यक्ति विशेष से परे भारत का हित

जब विदेश मंत्री से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारत के साथ संबंध गहरे करने को लेकर उनकी गंभीरता पर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि दुनिया को वैसे ही समझा जाता है जैसी वह है। भारत का मकसद ऐसे हर संबंध को आगे बढ़ाना है जो उसके हितों को साधता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अमेरिका के साथ भारत का रिश्ता बेहद अहम है और यह किसी एक व्यक्ति विशेष पर निर्भर नहीं करता। यह बयान भारत की व्यावहारिक और हित-आधारित विदेश नीति को दर्शाता है।

नए जियोपॉलिटिकल ऑर्डर में भारत और EU की भूमिका

जयशंकर ने कहा कि एक बहुध्रुवीय दुनिया (मल्टिपोलर दुनिया) अब एक सच्चाई है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यूरोप के सामने अब यह चुनौती है कि वह अपने हितों के अनुसार फैसले ले। उन्होंने यह भी कहा कि नए ग्लोबल ऑर्डर में यूरोपीय संघ की एक बड़ी और स्वायत्त भूमिका है। इस बयान से भारत और यूरोपीय संघ के बीच बढ़ते सहयोग और दोनों की वैश्विक मंच पर बढ़ती महत्ता पर जोर दिया गया। विदेश मंत्री ने बुधवार को यूरोपीय संसद की अध्यक्ष रॉबर्टा मेटसोला से भी मुलाकात की, जो इन बढ़ते संबंधों का एक और प्रमाण है।

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