संभल की जामा मस्जिद: बाबरनामा में दर्ज है मंदिर से मस्जिद बनने की कहानी, जानिए इसका पूरा इतिहास

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,25 नवम्बर।
संभल जिले की जामा मस्जिद को लेकर विवादों और चर्चाओं का एक लंबा इतिहास है। इसे कभी हरिहर मंदिर के नाम से जाना जाता था, जो बाद में मस्जिद में तब्दील कर दी गई। इस बदलाव की कहानी न केवल स्थानीय इतिहास, बल्कि बाबरनामा जैसे ऐतिहासिक दस्तावेजों में भी दर्ज है।

बाबरनामा का जिक्र

बाबरनामा, मुगल सम्राट बाबर द्वारा लिखी गई आत्मकथा, में संभल की जामा मस्जिद का उल्लेख मिलता है। इसमें लिखा गया है कि बाबर के शासनकाल के दौरान कई स्थानों पर मंदिरों को मस्जिदों में बदला गया, जिनमें संभल का हरिहर मंदिर भी शामिल था।

हरिहर मंदिर से जामा मस्जिद तक

इतिहासकारों के अनुसार, संभल का हरिहर मंदिर प्राचीन काल में हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल था। यह मंदिर हिंदू देवी-देवताओं की पूजा का केंद्र था। मुगलकाल के दौरान, इस मंदिर को तोड़कर वहां जामा मस्जिद का निर्माण किया गया।

इस बदलाव को मुगल सम्राट बाबर और उनके सेनापतियों की धर्मनीति और शासन प्रणाली का हिस्सा माना जाता है। यह उस दौर का एक उदाहरण है जब धार्मिक स्थलों का उपयोग राजनीतिक और सांस्कृतिक शक्ति प्रदर्शन के लिए किया जाता था।

पुरातात्विक प्रमाण और विवाद

संभल की जामा मस्जिद के नीचे प्राचीन मंदिर के अवशेष मिलने के दावे भी किए जाते रहे हैं। पुरातात्विक दृष्टि से भी इस स्थल की जांच की गई है, जिसमें प्राचीन हिंदू स्थापत्य कला के चिन्ह मिलने की बातें कही जाती हैं। हालांकि, यह विषय आज भी विवादों में घिरा हुआ है।

वर्तमान स्थिति और विवाद

जामा मस्जिद वर्तमान में मुस्लिम समुदाय के लिए एक प्रमुख प्रार्थना स्थल है। लेकिन इसके इतिहास को लेकर हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच विवाद चलता रहता है। हाल के दिनों में यह मस्जिद फिर से चर्चा में आई है, जब इसे लेकर सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न हुआ।

इतिहास के सबक

संभल की जामा मस्जिद का इतिहास भारतीय समाज के धार्मिक और सांस्कृतिक बदलावों का प्रतीक है। यह हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि अतीत के इन अध्यायों से आज हम क्या सीख सकते हैं।

निष्कर्ष

संभल की जामा मस्जिद सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि यह भारतीय इतिहास का एक ऐसा अध्याय है, जो हमारे समाज की विविधता और संघर्षों की कहानी कहता है। इसे लेकर जो भी विवाद हों, यह आवश्यक है कि हम इतिहास से सबक लें और एकता और शांति की ओर कदम बढ़ाएं।

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