जावेद अख्तर ने मुस्लिम पर्सनल लॉ के खिलाफ दिया बयान कहा, तो फिर एक से अधिक पति का हक औरतों को भी मिलना चाहिए

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 6दिसंबर। जावेद अख्तर ने एक साक्षात्कार में ऐसा बयान दिया है जो शायद मुस्लिम कानून के तहत विवाद का कारण बन सकता है।

कॉमन सिविल कोड बिल पर जावेद अख्तर ने मुस्लिम पर्सनल लॉ को आड़े हाथों लिया। अख्तर ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ में एक से ज्यादा बीवी रखने की इजाजत है, ये समानता के खिलाफ है। अगर पति कई पत्नियां रख सकता है तो फिर औरत को भी यही हक मिलना चाहिए। एक से ज्यादा शादी करना हमारे कानून के खिलाफ है। अगर कोई अपनी रिवायतें बरकरार रखना चाहे, तो रखे, लेकिन संविधान से कोई समझौता बर्दाश्त नहीं होगा।

उन्होंने कहा- ‘मैं पहले से ही कॉमन सिविल कोड का पालन करता हूं। मैं अपनी बेटी और बेटे को बराबर की प्रॉपर्टी दूंगा। मुस्लिम पर्सनल लॉ के हिसाब से अगर तलाक हो जाए तो 4 महीने बाद पति, पत्नी को गुजारा भत्ता देने के लिए बाध्य नहीं होता। ये गलत है।

जावेद अख्तर सवालिया अंदाज में कहते हैं- ‘मैं ये जानना चाहता हूं कि जो सियासतदान कॉमन सिविल कोड की बात कर रहे हैं, क्या वे अपनी बहन-बेटियों को संपत्ति में बराबरी का हिस्सा देते हैं? सबसे पहले कॉमन सिविल कोड का ड्राफ्ट आना चाहिए। भारत जैसे बड़े और विविधता वाले देश में, क्या एक कानून हो सकता है? ये भी बहस का मौजूं है। अगर किसी के पर्सनल लॉ हैं तो रहें, लेकिन पर्सनल लॉ और संविधान के बीच में अगर चुनना होगा, तो मैं संविधान को आगे रखूंगा।

हिंदुस्तान में नफरत का माहौल पैदा किए जाने के सवाल पर जावेद अख्तर बोले- ‘मुझे लगता है कि समाज में अजीब सा तनाव है, ये तनाव जमीन से नहीं उगा है। इसे तैयार किया गया है। इसे बनाए रखने में मीडिया भी साथ देती है।

अगर किसी भी हिंदुस्तानी का आप DNA टेस्ट करेंगे तो पता चलेगा कि 8-10 पुश्तों पहले हम सभी भारतीयों के पूर्वज किसान थे। किसान हमेशा मध्यमार्गी होता है। वह कभी एक्सट्रीम नहीं होता। चाहे बात इधर की हो या उधर की, वो बीच में ही रहता है।’

टुकड़े-टुकड़े गैंग, एंटी नेशनल, अर्बन नक्सल जैसी उपमाओं के बढ़ते इस्तेमाल पर अफसोस जताते हुए जावेद साहब बोले- ‘अगर आप सरकार के खिलाफ हैं, तो आप गद्दार हैं? ये बिल्कुल गलत है। 2014 के पहले भी तो सरकार थी। सरकारें आती हैं, सरकारें जाती हैं। विपक्ष हमेशा सरकार के खिलाफ बोलता है, यही उसका काम है।

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