जांच में शामिल होने, सवाल पूछने और भारत विरोधी आख्यानों को बेअसर करने के लिए जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय सही जगह है: उपराष्ट्रपति धनखड़
उपराष्ट्रपति ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के 7वें दीक्षांत समारोह को किया संबोधित
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 03फरवरी। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने विद्यार्थियों से गहन प्रश्न पूछने और भारत विरोधी कहानियों को बेअसर करने का आग्रह किया। यह देखते हुए कि समाज के लिए सबसे बड़ी चुनौती लोगों की अज्ञानता का लाभ उठाने वाले जागरूक लोगों द्वारा उत्पन्न की जाती है, उपराष्ट्रपति ने बल देकर कहा कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) “जांच में शामिल होने और इसे नष्ट करने में संलग्न होने के लिए सही जगह, प्रमुख-केंद्र” था। ऐसे झूठे आख्यान भारत और विदेशों में “हमारे संवैधानिक संस्थानों को कलंकित करने, बदनाम करने और अपमानित करने” की कोशिश करने वाले लोगों द्वारा फैलाए गए हैं।
उपराष्ट्रपति ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के 7वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए, विद्यार्थियों से कहा कि वे ऐसे समय में बड़ी दुनिया में कदम रख रहे हैं, जहां देश में “संपूर्ण शासन, सकारात्मक नीतियां और एक ऐसी अर्थव्यवस्था है जो विश्व स्तर पर सम्मानित और रीढ़ की हड्डी में मजबूत है।” उन्होंने इस बात पर बल दिया कि इस प्रकार विद्यार्थियों के पास एक सक्षम प्रणाली होगी जो उन्हें “प्रतिभा और क्षमता का उपयोग करने, महत्वाकांक्षाओं और सपनों को साकार करने” की अनुमति देगी।
ऐसे परिदृश्य की उपस्थिति पर प्रकाश डालते हुए जहां किसी भी व्यक्ति को कानून से ऊपर नहीं माना जाता है, उपराष्ट्रपति ने कहा कि सत्ता के गलियारों को भ्रष्ट तत्वों से मुक्त कर दिया गया है। उन्होंने कहा, “भ्रष्टाचार को अब पुरस्कृत नहीं किया जाता, कानून का सम्मान लागू किया जाता है।” समावेशी विकास के लिए सरकार की पहलों को ध्यान में रखते हुए, उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, “समाज तभी बदलेगा जब आप देश के अंतिम व्यक्ति की देखभाल करेंगे।”
उपराष्ट्रपति ने 22 जनवरी को अयोध्या में ‘राम लला’ के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का जिक्र करते हुए, “देश में उत्सव के वातावरण” की ओर ध्यान आकर्षित किया। यह कहते हुए कि 500 वर्षों का दर्द प्राण प्रतिष्ठा समारोह से दूर हो गया है, उन्होंने कहा, “महत्वपूर्ण बात यह है कि इसे कानून की स्थापित प्रक्रिया के माध्यम से धार्मिकता के प्रति प्रतिबद्धता के साथ फालीभूत किया गया।”
भारत की ‘कमजोर पाँच’ अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने से लेकर शीर्ष पांच वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में सम्मिलित होने तक की यात्रा को रेखांकित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने विद्यार्थियों को उस समय की याद दिलाई जब वैश्विक संस्थाएं भारत को हेय दृष्टि से देखती थीं और कई मामलों में देश को कमजोर मानती थीं। उन्होंने विस्तार से बताया, “लेकिन अब, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने संकेत दिया है कि बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत की वृद्धि सबसे अधिक है।” उन्होंने स्वदेशी रक्षा विनिर्माण में भारत की शक्ति, देश की तकनीकी प्रगति और “लोगों की प्रतिभा” का भी संदर्भ दिया, जो तत्परता के साथ ऐसे तकनीकी परिवर्तनों को अपना रहे थे।
उपराष्ट्रपति ने जी-20 के अध्यक्ष के रूप में भारत के नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए, भारत के नेतृत्व में हुए शिखर सम्मेलन के परिणामों की सराहना की, जिसमें अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्य के रूप में सम्मिलित करना और भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे का शुभारंभ शामिल है। भारत की अध्यक्षता पद के आदर्श वाक्य- ‘एक पृथ्वी-एक परिवार-एक भविष्य’ को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि इस आदर्श वाक्य का सार “5000 वर्षों के हमारे सभ्यतागत लोकाचार में अंतर्निहित” रहा है।
इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री, डॉ. सुभाष सरकार, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति कंवल सिब्बल, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की कुलसचिव प्रोफेसर शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित, संकाय सदस्य, विद्यार्थी और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
You have to neutralize anti-national narratives !
If you observe silence, your silence will resonate in your ears for years to come.
We are a country where iconic status is accorded on parameters that are baffling. We label someone as a great journalist, as a great lawyer. We… pic.twitter.com/BieOUvl0FA
— Vice President of India (@VPIndia) February 2, 2024
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