डॉ. जितेंद्र सिंह की अध्यक्षता में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति की अहम बैठक

हिंदी केवल भाषा नहीं, राष्ट्रीय एकता की जीवंत अभिव्यक्ति”डॉ. जितेंद्र सिंह

  • हिंदी सलाहकार समिति की बैठक पृथ्वी भवन, नई दिल्ली में आयोजित
  • डॉ. जितेंद्र सिंह ने हिंदी को राष्ट्रीय एकता का माध्यम बताया
  • वैज्ञानिक अनुवाद में विषय विशेषज्ञों को शामिल करने पर जोर
  • डिजिटल रिपॉजिटरी और क्विज प्रतियोगिताओं का सुझाव

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 31 दिसंबर: केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह की अध्यक्षता में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति की बैठक आज पृथ्वी भवन, नई दिल्ली में आयोजित की गई। बैठक में हिंदी के माध्यम से वैज्ञानिक ज्ञान के व्यापक प्रसार, जनभागीदारी को सशक्त बनाने और “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की भावना को मजबूत करने पर विस्तृत चर्चा हुई।

बैठक को संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय चेतना और समावेशी संवाद का सशक्त माध्यम है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय में हिंदी सलाहकार समिति की यह बैठक भारत की बहुभाषिक संस्कृति और राष्ट्रीय एकता की जीवंत मिसाल है।

तमिलनाडु से जुड़े अधिकारियों की अहम भूमिका

केंद्रीय मंत्री ने मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की सराहना करते हुए कहा कि तमिलनाडु से जुड़े अधिकारियों के नेतृत्व में हिंदी के प्रचार-प्रसार को नई गति मिली है, जो “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” का उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने बताया कि लगभग दो दशकों बाद ऐसा सकारात्मक संयोग बना है, जब हिंदी कार्यों को संगठित रूप से आगे बढ़ाया जा सका है।

विज्ञान को जन-जन तक पहुँचाने पर जोर

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि विज्ञान को आम लोगों तक पहुँचाने के लिए भाषा का सरल, सुलभ और सटीक होना आवश्यक है। उन्होंने स्पष्ट किया कि हिंदी में कार्य करते समय वैज्ञानिक शब्दावली की मूल पहचान बनी रहनी चाहिए, ताकि छात्रों और शोधकर्ताओं को किसी भी प्रकार का प्रतिस्पर्धात्मक नुकसान न हो।
उन्होंने जानकारी दी कि अब अनुवाद कार्यों में भाषाविदों के साथ-साथ विषय विशेषज्ञों को भी शामिल किया जा रहा है, जिससे गुणवत्ता और प्रामाणिकता सुनिश्चित की जा सके।

डिजिटल रिपॉजिटरी और आउटरीच कार्यक्रम

बैठक में केंद्रीय मंत्री ने 21वीं सदी के भारतीय वैज्ञानिकों को प्रमुखता देने की आवश्यकता पर बल दिया। इसके लिए आधुनिक भारतीय वैज्ञानिकों पर आधारित डिजिटल रिपॉजिटरी विकसित करने पर विचार किया जा रहा है।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि डिजिटल माध्यमों से राष्ट्रीय स्तर की क्विज प्रतियोगिताएं और चैलेंज-आधारित कार्यक्रम आयोजित किए जाएं, ताकि छात्र वैज्ञानिक सोच से जुड़ सकें। डीप ओशन मिशन जैसे कार्यक्रमों को इसका आधार बनाया जा सकता है।

हिंदी बन रही है अवसरों की भाषा

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि हाल के वर्षों में हिंदी का विस्तार स्वाभाविक और मांग-आधारित रहा है। उन्होंने बताया कि कॉरपोरेट और बहुराष्ट्रीय कंपनियों में हिंदी जानने वाले युवाओं को प्राथमिकता मिलने लगी है, जिसका प्रभाव तमिलनाडु और पूर्वोत्तर राज्यों तक दिखाई दे रहा है।

2025 में मंत्रालय की भूमिका

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वर्ष 2025 में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय भारत की विकास यात्रा का एक प्रमुख स्तंभ बन चुका है। डीप ओशन मिशन, तटीय अनुसंधान, भूकंपीय अध्ययन और मौसम विज्ञान जैसे कार्यक्रम आने वाले वर्षों में भारत की आर्थिक और रणनीतिक क्षमता को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे।

अंत में डॉ. जितेंद्र सिंह ने समिति सदस्यों से अपील की कि वे बैठकों के अलावा भी अपने सुझाव ई-मेल या प्रत्यक्ष संवाद के माध्यम से मंत्रालय तक पहुंचाते रहें, ताकि व्यवहारिक सुझावों पर गंभीरता से अमल किया जा सके।

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