पत्रकारों की समाज की दिशा निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका होती है: अनुसुईया उइके

अनुसुईया उइके ने स्वर्गीय पत्रकारों के शहीद स्तम्भ पर की पुष्पांजलि अर्पित एवं पत्रकारों की कालोनी का फाउण्डेशन स्टोन रखा और मीडिया रिसोर्स सेन्टर का किया शुभारंभ

समग्र समाचार सेवा
इम्फाल, 7 जनवरी। उक्ताशय के विचार राज्यपाल अनुसुईया उइके ने प्रेस क्लब मणिपुर के 49वॉं स्थापना दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में अपने उदबोधन में व्यक्त किये। इस कार्यक्रम का आयोजन आल मणिपुर वर्किन्ग जर्नलिस्ट यूनियन एवंमणिपुर प्रेस क्लब इंफाल द्वारा किया गया था।

कार्यक्रम में युमनाम खेमचंद सिंह, मंत्री मणिपुर हाउसिंग एण्ड अर्बन डेव्हलपमेन्ट, रूरल डेव्हलपमेन्ट एण्ड पंचायत राज डिपार्टमेन्ट, बिजाय काक-चिंग-ताबम, अध्यक्ष, आल मणिपुर जर्नलिस्ट यूनियन, खोगेंद्र खोमद्रम, अध्यक्ष, एडिटर्स गिल्ड, मणिपुर, और बड़ी संख्या में प्रेस रिपोटर्स एण्ड मीडिया पर्सन उपस्थित थे।

राज्यपाल ने अपने गृह जिले के पत्रकारों के साथ अपने संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि मेरे जीवन में पत्रकारों का बड़ा सहयोग रहा है। छत्तीसगढ के पत्रकारों का मुझे बहुत सहयोग मिया एवं मणिपुर के पत्रकारों का भी मुझे निरंतर सहयोग मिल रहा है। जब प्रदेश के पत्रकार राजभवन में मुझसे मिले थे और कार्यक्रम के लिये आमंत्रित किया था तब मैनें तुरंत अपनी सहमति प्रदान कर दी थी। आपदा के समय पत्रकारों ने अच्छी रिपोटिंग की है जिससे जनता को सही जानकारी मिली है। आल मणिपुर वकिंग जर्नलिस्ट यूनियन के वरिष्ठ पत्रकारों का शाल से सम्मान किया। इस अवसर पर प्रेस क्लब का कैलेण्डर और बैच का लोर्कापण किया गया। राज्यपाल ने विकसित भारत अभियान में अपना सहयोग और प्रचार प्रसार करने का आहवान कया।

राज्यपाल ने कहा कि मणिपुर प्रेस क्लब समाज एवं मीडिया लिटरेसी को समान रूप से बढ़ावा दे रहा है। इसके लिये प्रेस क्लब को बधाई देती हूँ। उन्होंने आगे कहा कि डेमोक्रेसी के चौथे पिलर के रूप मीडिया को माना जाता है। इस सम्मान की वजह से मीडिया की रिस्पान्सबिलिटी भी बढ़ जाती है। मणिपुर प्रेस क्लब आज स्वतंत्र और जिम्मेदार प्रेसक्लब के रूप में अपना स्थापना दिवस मना रहा है। क्लब ने पिछले चार दशकों से अपने सदस्यों और प्रेस के कर्त्तव्यों की देखरेख करने वाली एक जिम्मेदार संस्था के रूप में कार्य किया है। प्रेस क्लब ने प्रेस के उच्च मानकों को बनाए रखने का प्रयास किया है। यह भी सुनिश्चित किया है कि प्रेस किसी के भी दबाव में न आए।

 

देश भर में लाखों लोग गतिविधियों से अपडेट होने के लिए सुबह न्यूजपेपर का बेसब्री से इंतजार करते हैं। प्रिंट मीडिया सूचना और समाचार का सबसे सस्ता और बुनियादी स्रोत है। इसके माध्यम से महत्वपूर्ण जानकारी, दूसरों के दृष्टिकोण जानने में मदद मिलती है। प्रिंट मीडिया सभी के लिए अभिव्यक्ति और शिक्षा का माध्यम है। इलेक्ट्रानिक मीडिया ने सूचना प्रणाली में क्रांति ला दी है। प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया से जनमानस त्वरित, सही, तथ्यात्मक, निष्पक्ष और विश्वसनीय न्यूज की अपेक्षा करता है। इसलिये मीडिया को अपनी जिम्मेदारियों के प्रति अवेयर होना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसकी न्यूज रीडर की अपेक्षाओं पर खरे उतरते हों।

 

समाचारों का प्रसारण निष्पक्ष और निर्भीक होकर सत्यता के साथ करे क्योंकि पाठक आपके समाचार पर विश्वास कर अपनी राय और अगला कदम निर्धारित करता है। यदि आपके समाचार में भ्रामकता, असत्यता होगी तो समाज उसी पर चलने लग जायेगा और यह समाज के लिये ठीक नहीं होगा। पत्रकार को संकट की घड़ी में धैर्य रखना चाहिए, समाचारों को सनसनी न बनाकर उसे वास्तविक रूप में प्रस्तुत करना ही आपकी योग्यता और पत्रकारिता धर्म है। समाज में जागरूकता बढ़ाने में मीडिया की अहम भूमिका होती है।

 

देश की विरासत और परंपरा को संरक्षित करने और लोकतंत्र को बढ़ावा देना, नागरिकों को कर्तव्यों का स्मरण कराना भी मीडिया का कार्य है। जाति, धर्म और व्यक्तिगत हितों से परे शांति, सद्भाव और भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए चेतना जगाने में मीडिया की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। विपत्ति के समय लोगों को आपदाओं से निपटने के लिए तैयार करने में भी मीडिया की भूमिका होती है।

 

महिलाओं और बच्चों से संबंधित समाचारों के प्रसारण में भी संवेदनशीलता का परिचय देना चाहिए। विगत दिनों प्रदेश के संकट के समय घटनाओं का प्रस्तुती करण प्रदेश के मीडिया द्वारा संतुलित तरीके से वास्तविकता के साथ किया गया है। राज्यपाल ने कहा कि मैं प्रेस कर्मियों की समस्याओं को समझती हूँ। समस्याओं के उपरांत भी हमारे मीडिया पर्सन किसी भी कीमत पर धमकियों और दबावों में नहीं आते हैं।

 

अंत में, कहा कि महात्मा गांधी जी ने कहा था कि पत्रकारिता का मुख्य ध्येय सेवा है…और उस का असली काम जनता के मस्तिष्क को शिक्षित करना है न कि उसे जरूरी और गैरजरूरी धारणाओं से भर देना है. वहीं मदनमोहन मालवी ने कहा था कि जो वाक्य असत्य, दुखदायी और खोटा हो, उसको किसी भी अवस्था में मुंह से न निकालना यह वाणी का सात्विक तप है” उन्होंने पत्रकारों से अपील की कि आप इन महापुरूषों के विचारों पर चलकर अपनी पत्रकारिता करेगें।

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