पत्रकारिता के लिए न्याय : कैंडल मार्च में सुरक्षा और समर्थन की माँग

समग्र समाचार सेवा
कौशांबी (केसीएन),12 मार्च।
पत्रकार राघवेंद्र बाजपेयी की निर्मम हत्या के विरोध में राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ द्वारा मूरतगंज, कौशांबी में एक विशाल कैंडल मार्च निकाला गया। यह मार्च संदिपनघाट थाना क्षेत्र में आयोजित किया गया, जिसमें पत्रकारों, व्यापारियों और आम जनता ने भारी संख्या में भाग लिया। प्रदर्शनकारियों ने इस जघन्य अपराध पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया और न्याय की माँग की।

मार्च की शुरुआत राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के इडलगंज कार्यालय से हुई और यह मूरतगंज के मुख्य मार्गों से होकर गुजरा। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि राघवेंद्र बाजपेयी के परिवार को ₹1 करोड़ की आर्थिक सहायता प्रदान की जाए और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए। साथ ही, उनकी पत्नी को उनकी शैक्षणिक योग्यता के आधार पर शिक्षा संबंधी सहायता उपलब्ध कराई जाए।

इसके अलावा, पत्रकार सुरक्षा अधिनियम को शीघ्र लागू करने की माँग की गई ताकि देशभर में पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

इस कैंडल मार्च का नेतृत्व राज्य संयोजक इश्तियाक अहमद ने किया, जिनके साथ मोहम्मद आबिद, मनोज केसरी, कमलेश साहू, जितेंद्र सिंह, अनिल कुमार, नसीम अहमद, इक़रार अहमद, मिथलेश साहू, रविकांत साहू, दिनेश कुमार, तबज़ील अहमद, अब्दुल क़ादिर, सरवन पटेल, रामकरण, अमन विश्वकर्मा, समीर अहमद, अली, अरुण त्रिपाठी और अरविंद केसरी जैसे प्रमुख सदस्य भी उपस्थित रहे। इनके अलावा सैकड़ों पत्रकार, व्यापारी और समाज के अन्य लोग इस आंदोलन में शामिल हुए।

सभा को संबोधित करते हुए इश्तियाक अहमद ने इस हत्या की कड़ी निंदा की और कहा कि पत्रकारों पर हमला, लोकतंत्र पर हमला है। उन्होंने सरकार से माँग की कि दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कानून बनाए जाएं।

वहीं, व्यापारी वर्ग ने भी पत्रकारों के समर्थन में आवाज उठाई और कहा कि पत्रकार समाज में सत्य और न्याय की रक्षा करने में अहम भूमिका निभाते हैं, इसलिए उनकी सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।

कैंडल मार्च के समापन पर प्रदर्शनकारियों ने “राघवेंद्र बाजपेयी को न्याय दो”, “पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करो” जैसे नारे लगाए। राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ ने चेतावनी दी कि अगर उनकी माँगें नहीं मानी गईं, तो आंदोलन और तेज़ किया जाएगा।

यह प्रदर्शन पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंता और मीडिया की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए सरकारी हस्तक्षेप की आवश्यकता को रेखांकित करता है। लोकतंत्र को मजबूत बनाए रखने के लिए पत्रकारों की सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा अनिवार्य है।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.