समग्र समाचार सेवा
वाराणसी, 29 जून: आगामी 11 जुलाई से शुरू हो रही कांवड़ यात्रा को लेकर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने खास हिदायत दी है। उन्होंने कहा कि कांवड़ यात्रा कोई साधारण यात्रा नहीं, बल्कि यह धर्म पालन और अनुशासन का प्रतीक है। शंकराचार्य ने कहा कि हर श्रद्धालु को इस यात्रा में शुद्ध आचरण और सनातन परंपरा का पालन करना चाहिए।
उन्होंने दुकानों पर बोर्ड लगाने की प्रथा पर बोलते हुए कहा कि धर्म की दृष्टि से देखा जाए तो कांवड़ यात्रा करने वाला व्यक्ति कुछ नियमों को अपनाता है — जैसे नंगे पांव चलना, केवल फलाहार करना, ब्रह्मचर्य का पालन करना और झूठ न बोलना। उन्होंने कहा कि यह दीक्षा लेने जैसा है, जिसमें अनुशासन सबसे बड़ा धर्म है।
पकाया हुआ भोजन खरीदने को बताया अपवित्र
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने सनातन संस्कृति का हवाला देते हुए कहा कि हमारे धर्म में पका हुआ भोजन न तो खरीदा जाता है और न ही बेचा जाता है। यह परंपरा पश्चिमी संस्कृति से आई है। उन्होंने कहा कि धर्मशास्त्रों के अनुसार कच्चा माल खरीदना-बेचना अपवित्र नहीं माना गया, लेकिन पका हुआ भोजन खरीदना शुद्ध आचरण के विपरीत है।
बिहार चुनाव में गाय बनेगी मुद्दा
कांवड़ यात्रा के साथ-साथ शंकराचार्य ने बिहार चुनाव को लेकर भी बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के अनुयायी केवल उसी पार्टी या उम्मीदवार को वोट देंगे जो गायों की रक्षा और कल्याण के लिए खड़ा होगा। शंकराचार्य ने कहा कि अब हर विधानसभा क्षेत्र में ऐसा उम्मीदवार खड़ा होगा जो गाय की बात करेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि चाहे कोई भी पार्टी हो, अगर वह गाय के मुद्दे को उठाएगी तभी उसे सनातनियों का समर्थन मिलेगा।
उन्होंने कहा कि गाय सिर्फ आस्था का नहीं बल्कि सनातन संस्कृति का मूल है। इसलिए अब हर चुनाव में यह विषय प्रमुख रहेगा। शंकराचार्य ने संकेत दिए कि जल्द ही गायों के कल्याण के लिए खड़े होने वाले उम्मीदवारों की सूची जारी की जाएगी।
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