कांवड़ यात्रा में यूपी क्यूआर कोड आदेश पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई 22 जुलाई को

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 15 जुलाई: कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानों पर क्यूआर कोड लगाने के उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर अब सुप्रीम कोर्ट 22 जुलाई को सुनवाई करेगा। अदालत ने इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार समेत सभी संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

क्या है याचिका का मामला

दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद झा और सामाजिक कार्यकर्ता आकार पटेल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर यूपी सरकार के इस आदेश को चुनौती दी है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि दुकानदारों के प्रतिष्ठानों पर क्यूआर कोड लगाने से उनके नाम और पहचान सार्वजनिक हो जाएगी, जो सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेश का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया है कि क्यूआर कोड स्कैन कर किसी भी दुकान मालिक की जानकारी निकाली जा सकती है, जिससे भेदभाव और प्रोफाइलिंग की संभावना बढ़ जाती है।

पिछले साल क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने

गौरतलब है कि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों को दुकानदारों को नाम और पहचान सार्वजनिक करने के ऐसे ही आदेश से रोका था। तब अदालत ने साफ कहा था कि दुकानदारों को केवल यह बताना होगा कि वे किस तरह का भोजन बेच रहे हैं। उन्हें अपने या अपने कर्मचारियों का नाम बताना जरूरी नहीं होगा।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि चाहे ढाबा मालिक हों, रेस्टोरेंट, सब्जी विक्रेता या फेरीवाले, किसी को भी मालिक या कर्मचारियों की पहचान सार्वजनिक करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। अब इसी आदेश के आधार पर नया आदेश चुनौती दी गई है।

अब क्या होगा

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 22 जुलाई को इस याचिका पर सुनवाई होगी और इसी से जुड़ी बाकी सभी अर्जियों को भी इसी के साथ जोड़ दिया जाएगा। अब देखना होगा कि कोर्ट इस बार क्या फैसला सुनाता है और क्या कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानदारों को क्यूआर कोड लगाने के आदेश से राहत मिलती है या नहीं।

 

Comments are closed.