कर्नाटक मंत्री प्रियंक खारगे का CM सिद्धारमैया को पत्र, RSS कार्यक्रमों में सरकारी अधिकारियों की भागीदारी पर कार्रवाई की मांग
समग्र समाचार सेवा
बेंगलुरु, 16 अक्टूबर: कर्नाटक के मंत्री प्रियंक खारगे ने गुरुवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिखकर राज्य के अधिकारियों द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कार्यक्रमों में भागीदारी के मामले में सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। खारगे ने अपने पत्र में कर्नाटक सिविल सेवा (आचार) नियम, 2021 के नियम 5(1) का हवाला देते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारियों के लिए किसी भी राजनीतिक दल या राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेना निषिद्ध है।
पत्र में खारगे ने लिखा, “नियम 5(1) के अनुसार कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं हो सकता, न ही किसी राजनीतिक गतिविधि में शामिल हो सकता है। हाल के समय में यह देखा गया है कि कई सरकारी अधिकारी और कर्मचारी RSS और अन्य संगठनों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं, जो स्पष्ट दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है।”
उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि राज्य के सभी सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को RSS और अन्य संगठनों के कार्यक्रमों में भाग लेने से रोकने के लिए एक सर्कुलर जारी किया जाए और नियम तोड़ने वालों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
प्रियंक खारगे पहले भी मुख्यमंत्री से सरकारी स्कूलों, कॉलेजों और राज्य के मंदिरों में RSS की गतिविधियों पर रोक लगाने की मांग कर चुके हैं। उन्होंने संगठन पर “युवाओं के मन को प्रभावित करने” और “संविधान विरोधी दर्शन” फैलाने का आरोप लगाया है। इसके अलावा, खारगे ने यह भी दावा किया कि उनके इन बयानों के बाद उन्हें पिछले तीन दिनों में धमकी भरे कॉल भी आए।
वहीं, कर्नाटक बीजेपी विधायक महेश तेंगिनकाई ने खारगे की मांग की आलोचना की। उन्होंने ANI से कहा, “प्रियंक खारगे संघ के बारे में ऐसी बातें कर रहे हैं और प्रतिबंध की मांग कर रहे हैं। संघ ने अपने 100 साल पूरे किए हैं, हुबली में 10,000 से अधिक लोग जयंती कार्यक्रम में शामिल हुए। संघ का कार्य हर गांव और वैश्विक स्तर पर फैल रहा है। खारगे इसे सहन नहीं कर पा रहे हैं और अनावश्यक विवाद पैदा करने के लिए बयान दे रहे हैं।”
राज्य में सरकारी अधिकारियों और RSS के बीच इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक बहस तेज होती दिख रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के आरोप और बयान आगामी चुनावी माहौल को भी प्रभावित कर सकते हैं।
प्रियंक खारगे का पत्र राज्य में सरकारी कर्मचारियों की राजनीतिक गतिविधियों और RSS के बढ़ते प्रभाव पर चर्चा को फिर से केंद्र में ला रहा है। अब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर यह जिम्मेदारी है कि वह स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी कर राज्य प्रशासन में नियमों का पालन सुनिश्चित करें।
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