कर्नाटक वाल्मीकि घोटाला: ED ने कांग्रेस सांसद ई. तुकाराम और 3 विधायकों के ठिकानों पर मारी छापेमारी

समग्र समाचार सेवा,

बेल्लारी/बेंगलुरु, 11 जून: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कर्नाटक में बहुचर्चित महर्षि वाल्मीकि एसटी विकास निगम (KMVSTDC) से जुड़े धन शोधन मामले की जांच के तहत बुधवार को कांग्रेस सांसद ई. तुकाराम और तीन विधायकों के ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के अंतर्गत की गई।

किसके ठिकानों पर हुई छापेमारी?

ED ने बेल्लारी से कांग्रेस सांसद ई. तुकाराम, विधायक नारा भारत रेड्डी (बेल्लारी शहर), जे. एन. गणेश (काम्पली) और एन. टी. श्रीनिवास (कुडलिगी) के आवास और कार्यालय परिसरों पर छापे मारे।
अधिकारियों के अनुसार, बेल्लारी में 5 और बेंगलुरु में 3 परिसरों की तलाशी ली गई है।

क्या हैं आरोप?

जांच एजेंसियों का आरोप है कि वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान KMVSTDC के खातों से फर्जी तरीकों से पैसे निकालकर चुनाव प्रचार और मतदाताओं में नकद वितरण के लिए इस्तेमाल किया गया।

यह मामला तब प्रकाश में आया जब कर्नाटक पुलिस और CBI ने प्राथमिकी दर्ज की, जिसमें करोड़ों रुपये की राशि को फर्जी खातों और संस्थाओं के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग करने का आरोप था।

KMVSTDC: संस्था का उद्देश्य और विवाद

कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि एसटी विकास निगम की स्थापना 2006 में अनुसूचित जनजातियों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए की गई थी। लेकिन वर्ष 2024 में अनियमितताओं की परत तब खुली जब निगम के लेखा अधिकारी चंद्रशेखरन पी की संदिग्ध मौत हो गई।

चंद्रशेखरन का सुसाइड नोट सामने आया, जिसमें निगम के धन को अवैध तरीके से अन्य खातों में ट्रांसफर किए जाने का खुलासा किया गया। यह नोट ED जांच का अहम आधार बना।

पूर्व मंत्री बी. नागेंद्र की गिरफ्तारी

इस मामले में कर्नाटक के पूर्व आदिवासी मामलों के मंत्री बी. नागेंद्र और उनके कथित सहयोगियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। बाद में नागेंद्र को जमानत दे दी गई, लेकिन ED की जांच अब राजनीतिक प्रभावशाली चेहरों तक पहुंच चुकी है।

चुनावी फंडिंग की जांच में कांग्रेस नेताओं की भूमिका?

सूत्रों के मुताबिक, ED यह पता लगाने में जुटी है कि क्या KMVSTDC के धन को कांग्रेस पार्टी के लिए चुनावी फंडिंग के तौर पर इस्तेमाल किया गया था। ED को शक है कि इन नेताओं ने संस्थान से धोखाधड़ी कर करोड़ों की रकम निकाली और उसका इस्तेमाल निजी लाभ और राजनीतिक प्रचार के लिए किया।

अब आगे क्या?

प्रवर्तन निदेशालय की टीम जब्त दस्तावेजों, डिजिटल डेटा और बैंक रिकॉर्ड्स की गहन जांच कर रही है। आगे आने वाले दिनों में इस घोटाले में और राजनीतिक चेहरों के नाम सामने आ सकते हैं।

यह मामला कर्नाटक की राजनीति में भूचाल लाने वाला घोटाला बनता जा रहा है, जिसमें सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के नाम पर भ्रष्टाचार और धन शोधन के गंभीर आरोप लगे हैं।

 

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