करूर रैली हादसा: भगदड़ में 38 की मौत, कई घायल, सरकार ने राहत और जांच का ऐलान

समग्र समाचार सेवा
करूर, तमिलनाडु, 28 सितंबर: तमिलनाडु के करूर जिले में शनिवार को आयोजित तमिलगा वेत्री कषगम (टीवीके) की रैली एक दर्दनाक हादसे में बदल गई। अचानक मची भगदड़ में 38 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य गंभीर रूप से घायल हुए हैं। इस घटना ने पूरे राज्य को शोक में डाल दिया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हादसे पर गहरी संवेदना व्यक्त की। प्रधानमंत्री कार्यालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि पीएम राहत कोष से मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपए और घायलों को 50 हजार रुपए की अनुग्रह राशि दी जाएगी।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भी इस हादसे को अत्यंत दुखद और पीड़ादायक बताते हुए मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पीड़ित परिवारों की हर संभव मदद करेगी। मुख्यमंत्री राहत कोष से प्रत्येक मृतक के परिवार को 10 लाख रुपए और घायलों को 1 लाख रुपए की सहायता प्रदान की जाएगी।

न्यायिक जांच आयोग का गठन

मुख्यमंत्री ने हादसे की विस्तृत जांच के लिए न्यायिक जांच आयोग गठित करने का आदेश दिया है। इस आयोग का नेतृत्व हाईकोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस अरुणा जगदीशन करेंगी। आयोग को घटना की पूर्ण जांच कर रिपोर्ट सरकार को सौंपने का निर्देश दिया गया है।

पुलिस कार्रवाई और सुरक्षा व्यवस्था

डीजीपी जी वेंकटरमन ने हादसे को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि घटना के बाद तत्काल कार्रवाई की गई। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक डेविडसन के नेतृत्व में 3 पुलिस महानिरीक्षकों, 2 पुलिस उपमहानिरीक्षकों और 10 पुलिस अधीक्षकों समेत 2000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया।

वेंकटरमन ने बताया कि टीवीके के पिछले कार्यक्रमों को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा के अनुरोध पर कार्यक्रम स्थल आवंटित किया गया था। हालांकि आयोजकों को 10 हजार लोगों की उपस्थिति की उम्मीद थी, लेकिन करीब 27 हजार लोग एकत्रित हो गए। विजय के अभियान के दौरान सुरक्षा के लिए केवल 500 पुलिसकर्मी तैनात थे।

पीड़ितों के लिए राहत और समर्थन

इस हादसे ने तमिलनाडु में राजनीतिक रैलियों की सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं। सरकार ने राहत राशि और न्यायिक जांच के साथ-साथ घायलों को चिकित्सा सहायता प्रदान करने की व्यवस्था की है।

करूर रैली हादसा न केवल राज्य के लिए दुखद है, बल्कि यह राजनीतिक आयोजनों में सुरक्षा मानकों पर भी गंभीर चिंतन की आवश्यकता को उजागर करता है।

 

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