काशी तमिल संगमम भारत की सांस्कृतिक एकता का जीवंत प्रतीक: उपराष्ट्रपति
रामेश्वरम में काशी तमिल संगमम 4.0 के समापन समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा— काशी और तमिलनाडु का संबंध सभ्यतागत और आध्यात्मिक निरंतरता का उदाहरण
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काशी–तमिलनाडु का संबंध केवल ऐतिहासिक नहीं, बल्कि हजारों वर्षों की सभ्यतागत कड़ी
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महाकवि सुब्रमण्यम भारती के एकीकृत भारत के स्वप्न का प्रतीक है संगमम
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प्रधानमंत्री के ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ दृष्टिकोण को सशक्त करता आयोजन
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विकसित भारत के लक्ष्य की दिशा में सांस्कृतिक आदान-प्रदान अहम
समग्र समाचार सेवा
रामेश्वरम | 30 दिसंबर: भारत के उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने पवित्र तीर्थ नगरी रामेश्वरम में आयोजित काशी तमिल संगमम 4.0 के समापन समारोह को संबोधित करते हुए इसे भारत की कालातीत आध्यात्मिक और सांस्कृतिक एकता का जीवंत प्रतीक बताया।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि काशी और तमिलनाडु के बीच का संबंध केवल इतिहास तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक गहरी सभ्यतागत और आध्यात्मिक निरंतरता को दर्शाता है, जिसने भारत को हजारों वर्षों से एक सूत्र में बांधकर रखा है। उन्होंने कहा कि यह संबंध भारत की सांस्कृतिक चेतना और साझा विरासत का सशक्त प्रमाण है।

महाकवि सुब्रमण्यम भारती का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि काशी तमिल संगमम, भारती द्वारा कल्पित एकजुट, आत्मविश्वासी और समरस भारत की भावना को साकार करता है। उन्होंने कहा कि आज यह सपना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और केंद्रित पहलों के माध्यम से धरातल पर उतर रहा है।
प्रधानमंत्री के एक भारत, श्रेष्ठ भारत के दृष्टिकोण पर प्रकाश डालते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि काशी तमिल संगमम जैसे आयोजन सांस्कृतिक आदान-प्रदान, साझा परंपराओं और आपसी सम्मान को बढ़ावा देते हैं। ऐसे कार्यक्रम राष्ट्रीय एकता को मजबूत करते हुए विविधता में एकता की भावना को और सुदृढ़ करते हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक समृद्धि ही उसकी सबसे बड़ी शक्ति है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सांस्कृतिक समरसता और सभ्यतागत मूल्यों पर आधारित ये प्रयास देश को विकसित भारत के लक्ष्य की ओर मजबूती से आगे ले जाएंगे, जहां सामाजिक एकता और समावेशी विकास साथ-साथ आगे बढ़ेंगे।
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