समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 7दिसंबर।
पिछले 11 दिनों से कृषि विधेयक के खिलाफ जारी किसानों के आंदोलन का आज सोमवार को 12वां दिन है। बता दें कि मंगलवार, 8 दिसंबर को किसानों ने भारत बंद का ऐलान किया है जिसे विपक्षी दलों ने पूरा समर्थन दिया है। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस आंदोलन को अपना पूरा समर्थन दिया है। इतना ही नहीं सीएम केजरीवाल ने आंदोलन करने वाले किसानों से मुलाकात भी की है। वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े भारतीय किसान संघ ने आंदोलनकारी किसानों द्वारा बुलाए गए 8 दिसंबर को भारत बंद से दूरी बना ली है।
फरीदकोट के ज़िला प्रधान बिंदर सिंह गोले वाला ने कहा कि कल बंद में सभी हमारा समर्थन कर रहे हैं। सभी अपने आप बाजार बंद करने के लिए कह रहे हैं सभी लोग इस बंद के लिए तैयार हैं वे जानते हैं कि किसान सही है इसलिए वो हमारा समर्थन कर रहे हैं। बंद के दौरान जरूरी सेवाओं पर छूट होगी।’ इससे पहले उन्होंने कहा था, ‘ 9 तारीख को हमारे पक्ष में फैसला आए चाहें नहीं, अगर आता है तो बहुत अच्छा है और अगर नहीं आता है तो हम ये सोच के नहीं आए थे कि हम घर वापस चले जाएंगे। हम यहीं संघर्ष करते रहेंगे। जब तक हम जीत नहीं जाते तब तक हम पीछे नहीं हटेंगे।’
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और दिल्ली सरकार के अन्य मंत्रियों ने सिंघु बॉर्डर के पास गुरु तेग बहादुर मेमोरियल में किसानों से मुलाकात की और उनके लिए की गई व्यवस्थाओं का जायजा लिया। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि हम किसानों की सभी मांगों का समर्थन करते हैं। किसानों का मुद्दा और संघर्ष बिल्कुल जायज है। शुरू-शुरू में जब किसान सीमा पर आए थे तो केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस ने हमसे दिल्ली के नौ स्टेडियम को जेल बनाने की इजाजत मांगी थी। उस समय मेरे ऊपर बहुत दबाव डाला गया। उनकी पूरी योजना थी कि किसानों को दिल्ली आने देंगे और फिर उन्हें पकड़कर स्टेडियम में डाल देंगे और वो वहां पड़े रहेंगे।’
मायावती ने भी जताया अपना समर्थन
मायावती ने इस संबंध में ट्वीट किया और कहा कि तीनों कृषि कानूनों की वापसी को लेकर देश भर में किसान आंदोलन कर रहे हैं। इस क्रम में उन्होंने 8 दिसंबर को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है, इस बंद के लिए बसपा अपना समर्थन देती है और केंद्र से किसानों की मांगों को मानने की भी फिर अपील है।’
गौरतलब है कि शनिवार को केंद्र व किसानों के बीच पांचवे दौर की वार्ता असफल रही। किसानों को सरकार की ओर से विधेयक में संशोधन का भी प्रस्ताव दिया गया लेकिन वे मानने को तैयार नहीं हुए। किसान इन विधेयकों की पूरी तरह वापसी चाहते हैं। अब 9 दिसंबर , गुरुवार को केंद्र और किसानों के बीच जारी गतिरोध खत्म करने के लिए छठे दौर की वार्ता होने वाली है।
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