केजरीवाल का पीएम मोदी को जवाब: “अगर स्वदेशी अपनाना है तो प्रधानमंत्री खुद करें शुरुआत”

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 22 सितंबर: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने के आवाहन पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। केजरीवाल ने कहा कि यदि प्रधानमंत्री वास्तव में चाहते हैं कि जनता विदेशी वस्तुओं की जगह स्वदेशी सामान का उपयोग करे, तो उन्हें खुद इसका पालन करना चाहिए।

उन्होंने सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री रोज़ाना किन विदेशी जहाजों, वस्तुओं और सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं और क्या वे उन्हें छोड़ने के लिए तैयार हैं। केजरीवाल का यह बयान ऐसे समय आया है जब पूरे देश में स्वदेशी आंदोलन और आत्मनिर्भरता को लेकर बहस तेज़ हो गई है।

पीएम पर उठाए सवाल

केजरीवाल ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि केवल भाषण और अपील से स्वदेशी आंदोलन सफल नहीं हो सकता। उन्होंने कहा, “देश की जनता को दिखाना होगा कि प्रधानमंत्री स्वयं स्वदेशी उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं। तभी लोग विश्वास करेंगे और प्रेरित होंगे।”

उन्होंने यह भी जोड़ा कि जनता अब केवल नारों और भाषणों से संतुष्ट नहीं होगी, बल्कि ठोस कदम और स्पष्ट नीतियों की अपेक्षा कर रही है।

अमेरिकी कंपनियों पर सवाल

मुख्यमंत्री ने भारत में काम कर रही चार अमेरिकी कंपनियों को बंद करने की मांग भी की। हालांकि उन्होंने सीधे तौर पर इन कंपनियों के नाम नहीं लिए, लेकिन संकेत दिया कि विदेशी कंपनियों पर निर्भरता घटाए बिना स्वदेशी आंदोलन अधूरा रहेगा।

केजरीवाल ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के हालिया बयानों का ज़िक्र करते हुए कहा कि भारत और भारतीयों के प्रति अपमानजनक टिप्पणियों पर प्रधानमंत्री को सख्त रुख अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ स्वदेशी उत्पादों की बात नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय सम्मान और आत्मनिर्भरता का मुद्दा भी है।

स्वदेशी आंदोलन पर बढ़ी बहस

प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में अपने संबोधन में कहा था कि भारत की आत्मनिर्भरता का रास्ता स्वदेशी उत्पादों के उपयोग से होकर गुजरता है। उन्होंने नागरिकों से अपील की थी कि वे विदेशी वस्तुओं की जगह देशी सामान अपनाएं।

उनकी इस अपील के बाद से राजनीतिक हलकों में बहस तेज़ हो गई है। एक ओर जहां भाजपा समर्थक इसे आत्मनिर्भर भारत की दिशा में अहम कदम मान रहे हैं, वहीं विपक्षी दल सरकार के व्यावहारिक कदमों पर सवाल उठा रहे हैं।

केजरीवाल का बयान इसी बहस को और गहरा करता दिख रहा है। उनका कहना है कि स्वदेशी आंदोलन को सफल बनाने के लिए सिर्फ जनता ही नहीं, बल्कि सत्ता में बैठे नेताओं को भी उदाहरण पेश करना होगा।

जनता की अपेक्षाएं

विशेषज्ञों का मानना है कि स्वदेशी आंदोलन तभी सफल हो सकता है जब सरकार स्पष्ट रोडमैप पेश करे। विदेशी कंपनियों पर निर्भरता घटाने के लिए नीति सुधार, छोटे और मझोले उद्योगों को बढ़ावा और स्थानीय उत्पादों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।

जनता की भी यही अपेक्षा है कि प्रधानमंत्री सिर्फ अपील तक सीमित न रहें, बल्कि अपने जीवनशैली में बदलाव करके देश को एक स्पष्ट संदेश दें।

अरविंद केजरीवाल के बयान ने स्वदेशी आंदोलन की चर्चा को एक नया मोड़ दे दिया है। यह अब केवल भावनात्मक अपील नहीं रह गया, बल्कि एक राजनीतिक बहस और नीति-निर्धारण का मुद्दा बन चुका है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि केंद्र सरकार विपक्ष की इस चुनौती का कैसे जवाब देती है।

 

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