खुराना, शीला दीक्षित और केजरीवाल: अब तक 7 चुनावों में कब कौन जीता? जानिए दिल्ली की पूरी चुनावी हिस्ट्री

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,5 दिसंबर।
दिल्ली, भारत की राजधानी, का राजनीतिक सफर उतार-चढ़ाव और ऐतिहासिक बदलावों से भरा हुआ है। 1993 से लेकर अब तक दिल्ली में सात विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। इन चुनावों में भाजपा, कांग्रेस, और आम आदमी पार्टी (आप) ने अपनी-अपनी राजनीतिक ताकत दिखाई। आइए जानते हैं, दिल्ली की चुनावी इतिहास पर एक नज़र।

1993: दिल्ली में पहली विधानसभा चुनाव और भाजपा का वर्चस्व

दिल्ली में पहली बार 1993 में विधानसभा चुनाव हुए। भाजपा ने 49 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया और मदन लाल खुराना मुख्यमंत्री बने। इस चुनाव में कांग्रेस को केवल 14 सीटों पर संतोष करना पड़ा। यह चुनाव भाजपा के लिए दिल्ली में अपनी पकड़ मजबूत करने का पहला कदम था।

1998: शीला दीक्षित का कांग्रेस युग शुरू

1998 के चुनावों में कांग्रेस ने भारी जीत दर्ज की। शीला दीक्षित के नेतृत्व में पार्टी ने 70 में से 52 सीटें जीतीं। यह जीत कांग्रेस के लिए एक नई शुरुआत थी, और शीला दीक्षित ने अगले 15 वर्षों तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहते हुए राजधानी का चेहरा बदल दिया।

2003: कांग्रेस की लगातार दूसरी जीत

शीला दीक्षित की नेतृत्व क्षमता और उनकी विकास योजनाओं ने 2003 में कांग्रेस को फिर से सत्ता में लौटाया। इस चुनाव में कांग्रेस ने 47 सीटें जीतीं, जबकि भाजपा 20 सीटों पर सिमट गई।

2008: कांग्रेस का हैट्रिक जीतना

शीला दीक्षित की लोकप्रियता और कांग्रेस की मजबूत स्थिति ने 2008 के चुनावों में भी जीत दर्ज की। पार्टी ने 43 सीटें जीतीं और भाजपा को 23 सीटों पर रोक दिया। यह शीला दीक्षित का लगातार तीसरा कार्यकाल था।

2013: आम आदमी पार्टी का उदय

2013 के चुनावों में दिल्ली की राजनीति ने एक नया मोड़ लिया। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी ने पहली बार चुनाव लड़ा और 28 सीटें जीतीं। भाजपा 31 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी, लेकिन बहुमत से दूर रही। कांग्रेस को केवल 8 सीटें मिलीं। आप ने कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई, लेकिन 49 दिनों बाद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

2015: आप की प्रचंड जीत

2015 के चुनावों में आम आदमी पार्टी ने इतिहास रच दिया। पार्टी ने 70 में से 67 सीटें जीतीं, जबकि भाजपा केवल 3 सीटें हासिल कर सकी। कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला। यह जीत अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व और जनता के समर्थन का प्रमाण थी।

2020: केजरीवाल की आप का दबदबा बरकरार

2020 के चुनावों में आम आदमी पार्टी ने फिर से एकतरफा जीत दर्ज की। पार्टी ने 62 सीटें जीतीं, जबकि भाजपा को केवल 8 सीटें मिलीं। कांग्रेस का प्रदर्शन इस बार भी शून्य पर रहा। केजरीवाल सरकार की योजनाओं, जैसे मुफ्त बिजली-पानी और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार, ने जनता को आकर्षित किया।

चुनावी पैटर्न और निष्कर्ष

दिल्ली के चुनावों में तीन प्रमुख चेहरे उभरे हैं—मदन लाल खुराना, शीला दीक्षित, और अरविंद केजरीवाल।

  • भाजपा: शुरुआती सफलता के बाद पार्टी को लगातार संघर्ष करना पड़ा।
  • कांग्रेस: शीला दीक्षित के नेतृत्व में पार्टी ने दिल्ली पर लंबा शासन किया, लेकिन 2013 के बाद उसका जनाधार कमजोर हुआ।
  • आम आदमी पार्टी: आप ने नई राजनीति का सूत्रपात किया और दिल्ली की जनता में अपनी गहरी पकड़ बनाई।

दिल्ली की राजनीति का यह सफर दिखाता है कि जनता का मूड बदलने में विकास कार्यों, पारदर्शिता और जनसेवा का सबसे बड़ा योगदान होता है। अब 2025 के चुनावों में कौन बाजी मारेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।

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