समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 14 दिसंबर।
संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के कैबिनेट मंत्री किरेन रिजिजू ने संविधान दिवस बहस के दूसरे दिन लोकसभा में सत्ता पक्ष की ओर से शुरुआत की। अपने संबोधन में उन्होंने भारत के संविधान के महत्व पर प्रकाश डाला और बताया कि यह सरकार के कामकाज की आधारशिला है। साथ ही, उन्होंने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर भी चर्चा की।
किरेन रिजिजू ने कहा कि भारत न केवल अपने अल्पसंख्यकों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि उनके लिए सकारात्मक कार्रवाई का प्रावधान भी करता है। उन्होंने सदन में बताया कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों को वहां भेदभाव और अत्याचार का सामना करना पड़ता है, और ऐसे में वे भारत को सुरक्षित आश्रय के रूप में देखते हैं। रिजिजू ने कहा, “पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश की स्थिति सबको पता है। जब इन देशों के अल्पसंख्यकों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है, तो वे भारत में सुरक्षा मांगने आते हैं।”
उन्होंने विपक्ष पर अल्पसंख्यकों के संबंध में फर्जी कहानियां गढ़ने का आरोप लगाया और कहा कि एक “फेक नैरेटिव” बनाया जा रहा है। रिजिजू ने यूरोपियन यूनियन के सर्वे का हवाला देते हुए बताया कि वहां 48% लोग भेदभाव का शिकार हैं, जिनमें से अधिकतर मुस्लिम हैं। उन्होंने फ्रांस और स्पेन जैसे देशों में भेदभाव और आंतरिक घृणा अपराधों की घटनाओं का उदाहरण देते हुए कहा कि अन्य देशों में मुसलमानों के साथ कैसा व्यवहार हो रहा है, इस पर ध्यान देने की जरूरत है।
उन्होंने आगे कहा कि बांग्लादेश और पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ किस प्रकार का व्यवहार होता है, यह सभी को मालूम है। उन्होंने सिख, हिंदू और ईसाई समुदायों के खिलाफ हुए अत्याचारों का भी जिक्र किया और कहा कि भारत उन सभी के लिए एक सुरक्षित देश है। उन्होंने तिब्बत, म्यांमार, श्रीलंका और अन्य पड़ोसी देशों की समस्याओं का उल्लेख करते हुए कहा कि जब भी अल्पसंख्यकों पर अत्याचार होता है, भारत हमेशा उनके लिए आश्रय और सहायता का केंद्र बनता है।
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