किसान क्रेडिट कार्ड मालधारी (घुमंतू) समुदाय के लोगों को दिया जाना चाहिए- पुरशोत्तम रूपाला
पुरशोत्तम रूपाला गरीब किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) जारी करने में हुई प्रगति की समीक्षा के लिए केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में संपन्न बैठक में शामिल हुए
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 8जुलाई। केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरशोत्तम रूपाला बैंकों तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों द्वारा पशुपालन, डेयरी तथा मत्स्य पालन क्षेत्र के गरीब किसानों को जारी किए जाने वाले किसान क्रेडिट कार्ड की प्रगति की समीक्षा के लिए केंद्रीय वित्तमंत्री श्रीमती सीतारमण की अध्यक्षता में हुई बैठक में शामिल हुए।
कल हुई इस बैठक में पुरशोत्तम रूपाला ने बैंकों द्वारा परिपालन के लिए कुछ उपाय सुझाए। इन उपायों में सभी बैंकों द्वारा केसीसी दिशानिर्देशों का आवश्यक रूप से पालन करना, आवेदकों को केसीसी आवेदन के लिए उचित प्राप्ति सूचना देने और आवेदन पर निर्णय की समय सीमा तय करना शामिल है। उन्होंने कहा कि आवेदन की नामंजूरी का स्पष्ट कारण दिया जाना चाहिए ताकि फील्ड अधिकारी इसे संशोधित कर सकें और फार्म को फिर से प्रस्तुत कर सकें। रूपाला ने सुझाव दिया कि किसान क्रेडिट कार्ड मालधारी (घुमंतू) समुदाय के लोगों को दिया जाना चाहिए, क्योंकि वे एक जगह नहीं रहते और उनके पास प्रमाण देने के लिए कुछ नहीं होता। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों का उद्देश्य देश में किसान क्रेडिट कार्ड की परिपूर्णता में मत्स्य पालन, पशुपालन तथा डेयरी मंत्रालय के प्रयासों में तेजी लाना होना चाहिए।
बैठक में केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी, पशुपालन तथा डेयरी सचिव अतुल चतुर्वेदी, मत्स्य पालन सचिव श्री जितेंद्र नाथ स्वेन और वित्तीय सेवा विभाग के सचिव श्री संजय मल्होत्रा भी उपस्थित थे।
भारत सरकार ने 2018-19 के बजट में किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) सुविधा का विस्तार मत्स्य पालन तथा पशुपालन किसानों के लिए किया था ताकि कार्य पूंजी आवश्यकताओं को पूरा करने में उनकी मदद की जा सके। केसीसी सुविधा से मत्स्य पालन तथा पशुपालन किसानों को पशुपालन, पोल्ट्री, पक्षियों, मछली, झींगा अन्य जल जंतुओं तथा मछली पालन में उनकी अल्पकालिक ऋण सुविधाओं में मदद मिल सके।
मत्स्य पालन विभाग किसान क्रेडिट कार्ड सुविधा का विस्तार कर इसे मछुआरों को देने की संभावनाओं का पता लगाने का प्रयास कर रहा है। अभी तक इस सुविधा के अंतर्गत मछुआरों को शामिल नहीं किया गया है, क्योंकि उनके पास नौका या अन्य परिसंपत्तियों आदि का स्वामित्व या पट्टा नहीं होता। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को मत्स्य पालन विभाग द्वारा सलाह दी गई है कि वे केसीसी के अंतर्गत पात्र मछुआरों तथा मछली पालकों की पूर्णता की नियमित निगरानी करें और कमियों को दूर करने के लिए संबंधित बैंकों के साथ आगे की कार्रवाई करें तथा केसीसी की शीघ्र मंजूरी सुनिश्चित करें।
Comments are closed.