ज्ञान संवेदनशीलता को बढ़ावा देता है, और संवेदनशीलता एकता को जन्म देती है: प्रो. एम.एम. गोयल

समग्र समाचार सेवा
सोनीपत,6 मार्च।
“ज्ञान संवेदनशीलता की नींव रखता है, जो ‘नीडोनॉमिक्स’ विचारधारा का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है,” यह विचार प्रो. मदन मोहन गोयल ने व्यक्त किए। तीन बार कुलपति रहे और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में सेवाएं दे चुके प्रो. गोयल ने इस बात पर जोर दिया कि विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों और दार्शनिक दृष्टिकोणों को समझने से साझा मूल्य विकसित होते हैं, जो संवेदनशीलता को बढ़ाते हैं और व्यक्ति को दूसरों के दृष्टिकोण से दुनिया देखने में सक्षम बनाते हैं।

श्रीराम विश्वविद्यालय, सोनीपत द्वारा यूजीसी-मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र (एमएमटीटीसी), जेएनवी विश्वविद्यालय, जोधपुर के सहयोग से आयोजित फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम (एफडीपी) में प्रो. गोयल ने “भारतीय ज्ञान प्रणाली में चार पुरुषार्थ: गीता-प्रेरित नीडोनॉमिक्स और अनु-गीता में आधुनिक व्याख्या” विषय पर ऑनलाइन व्याख्यान दिया। इस अवसर पर एफडीपी समन्वयक एवं कानून विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अंजलि दीक्षित ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और प्रो. गोयल की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।

संवेदनशीलता से एकता की ओर

प्रो. गोयल ने विविधता में एकता के महत्व पर बल देते हुए कहा, “जब हम सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता के भीतर एकता को स्वीकार करते हैं, तो हम परस्पर सम्मान और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की राह खोलते हैं।”

उन्होंने भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) को गीता-प्रेरित नीडोनॉमिक्स से जोड़ने की वकालत की, ताकि शिक्षार्थियों में आत्म-परिचय और गौरव की भावना विकसित की जा सके।

पुरुषार्थों के माध्यम से संतुलित जीवन का संदेश

प्रो. गोयल ने भारतीय ज्ञान परंपरा में वर्णित चार पुरुषार्थों—धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष—के आर्थिक और नैतिक दृष्टिकोण को स्पष्ट किया:

  • धर्म नैतिकता और नैतिक मूल्यों को आर्थिक गतिविधियों के साथ जोड़े रखता है।
  • अर्थ भौतिक स्थिरता और संतुलित संसाधन प्रबंधन को सुनिश्चित करता है।
  • काम व्यक्ति के मानसिक और भावनात्मक कल्याण को बनाए रखता है।
  • मोक्ष आत्मिक शांति और मुक्ति की ओर ले जाता है।

विकसित भारत 2047: ‘स्मार्ट’ दृष्टिकोण की आवश्यकता

प्रो. गोयल ने भारत को “शिक्षित भारत से विकसित भारत” बनाने के लिए “स्मार्ट” दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता बताई:

  • S – सरल (Simple)
  • M – नैतिक (Moral)
  • A – कर्मशील (Action-oriented)
  • R – उत्तरदायी (Responsive)
  • T – पारदर्शी (Transparent)

उन्होंने नीडोनॉमिक्स को गीता के प्रकाश स्तंभ के रूप में परिभाषित किया और चार ‘D’—कर्तव्य (Duty), अनुशासन (Discipline), समर्पण (Dedication), और भक्ति (Devotion)—के माध्यम से संतुलित एवं नैतिक जीवन का खाका प्रस्तुत किया।

नीडोनॉमिक्स: समग्र विकास का मार्गदर्शक

भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के आदर्श वाक्य “योगक्षेमं वहाम्यहम्” (गीता 9:22) का उल्लेख करते हुए, प्रो. गोयल ने कहा कि नीडोनॉमिक्स एक व्यवहारिक और सामान्य समझ पर आधारित दृष्टिकोण है, जो समग्र विकास की दिशा में मार्गदर्शन करता है और नई शिक्षा नीति (NEP 2020) की दृष्टि से मेल खाता है।

उन्होंने निष्कर्ष में कहा कि यदि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाना है, तो हमें भारतीय ज्ञान परंपरा की मूलभूत शिक्षाओं को आत्मसात करते हुए संवेदनशीलता और एकता के मार्ग पर आगे बढ़ना होगा।

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