*कुमार राकेश
रामायण महाग्रंथ के रचयिता महाकवि तुलसी दास ने एक बड़ी बात हज़ारो वर्ष पहले के बात कही थी-जाको रही भावना जैसी,हरि मूरत देखि तिन तैसी.वही हाल आज के महामारी काल में भी विश्व की अति प्राचीन पार्टी कही जाने वाली कांग्रेस की है.आज कोरोना संकट स्थिति में भी कांग्रेस का चेहरा,चरित्र और चाल सवालों क घेरे में हैं.
कोरोना संकट पर कांग्रेसी राजनीति से आम जनता परेशान है तो केंद्र सरकार हैरान है.कांग्रेस सेवा कम ,राजनीति ज्यादा करती हुयी दिख रही हैं.केंद्र सरकार के मुखिया नरेन्द्र भाई मोदी पर कांग्रेस के साथ विपक्ष के सभी दल प्रहार कर रहे हैं ,परन्तु प्रधानमंत्री मोदी उन कथित आरोपों से परे देश सेवा में जुटे दिख रहे हैं.
पिछले बुधवार 12 मई को महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने एक प्रेस कांफ्रेंस किया.लेकिन सारी नैतिकता से परे हटकर.उन्होंने प्रधानमंत्री श्री मोदी और भाजपा के खिलाफ जमकर जहर उगला.वह कर भी क्या कर सकते थे.सिवाय निंदा के,आलोचना के,बुराई के.क्योकि उनके नेता राहुल गाँधी व सोनिया गाँधी भी वही कर रहे हैं.जैसा नेता,वैसा ही मातहत.क्या कांग्रेस की यही नयी संस्कृति हैं?
कांग्रेस अपनी पार्टी के महाराष्ट्र प्रमुख के माध्यम से मोदी सरकार पर प्रहार करवाया.उन्होंने कई बेतुके सुझाव पेश किये.नाना पटोले के सुझाव पर गौर करे तो उन्होंने देश के उच्चतम न्यायालय को सलाह दे डाली कि उच्चतम न्यायालय को टास्क फ़ोर्स नहीं एक समानान्तर सरकार बनाकर देश को कोरोना मुक्त के लिए कार्य करना चाहिये,क्योकि मोदी सरकार इस महामारी के नियंत्रण में पूरी तरह फेल हो चुकी है.तो क्या कांग्रेस सरकारे पास हैं?
गौरतलब हैं उच्चतम न्यायालय ने 8 मई को कोरोना नियत्रंण के मद्देनजर एक राष्ट्रीय टास्क फ़ोर्स गठन के लिए निर्देश दिया था.जो देश के सभी राज्यों में ऑक्सीजन और अन्य सुविधाएँ मुहैया करवाने के लिए उचित व्यवस्था करवाने का कार्य करेंगे.उस फ़ोर्स ने अपना काम करना शुरू कर दिया हैं.लेकिन कांग्रेस को न्यायालय कार्यो में भी राजनीति सूझी और उन्हें भी अपनी कथित राजनीति में घसीटने की कोशिश की.ऐसा क्यों?
मोदी सरकार को कोसने के क्रम में नाना जी शायद ये बात भूल गए थे कि देश में कोरोना को दूसरी लहर के लिए महाराष्ट्र सबसे ज्यादा जिम्मेदार बताया गया हैं.आज भी उनके प्रदेश में कोरोना पीडितो की संख्या सबसे ज्यादा हैं.पहली लहर में भी महाराष्ट्र देश में कोरोना प्रसार का केंद्र बिंदु था. आम जनता मर रही थी परन्तु वहां की सरकार अवैध वसूली में लगी हुयी थी.इसलिए राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ कई तरह के जांच जारी हैं.
आज भी महाराष्ट्र की स्थिति सोचनीय है.दयनीय है .चिंतनीय हैं ,क्योकि वहां भी सेवा कम राजनीति ज्यादा हो रही हैं.इस राज्य सरकार में कांग्रेस भी भागीदार है.तो स्वाभाविक है प्रदेश की इस दुर्भिक्ष स्थिति के लिए कांग्रेस भी उतनी ही बराबर की जिम्मेदार है.कहते हैं घर में नहीं दाने,अम्मा काली भुनाने.कांग्रेस शासित राज्यों में महाराष्ट्र के अलावा छतीसगढ़,राजस्थान ,पंजाब,झारखण्ड,केरल आदि राज्यों में भी कोरोना का कहर बरपा हुआ है.लेकिन कांग्रेस को उसकी चिंता नहीं है.कांग्रेस की तरह झूठ की सिरमौर कही जाने वाली दिल्ली सरकार का भी यही हाल है.
देश में आई महामारी को लेकर सब परेशान हैं.देश में त्राहि माम है.परन्तु कांग्रेस सिर्फ केंद्र सरकार की निंदा करना ही अपना प्राथमिक कार्य समझ लिया है.कौन समझाये उनको? परन्तु सवाल ये भी है क्या कांग्रेस समझना भी चाहती है? कांग्रेस को देश की जनता को ये बताना चाहिए कि राष्ट्रीय स्तर पर उस दल ने कितने गांवों/शहरों में सेवा कार्य किया हैं? केंद्र की मोदी सरकार को कोसने की तुलना में समाज सेवा के लिए कितने निष्काम सेवा कार्य किये हैं? मेरे विचार से वे नहीं बता सकते.क्योकि ऐसा लग रहा है कि कभी विचारवान लोगो की पार्टी का दावा करने वाली कांग्रेस विचारविहीन व सेवाशून्य हो गयी हैं.
विश्व में सौ वर्षो बाद में ये आपदा आई हैं. इसके पहले 1918 में फ़्रांस का प्लेग फैला था.कई देशो की आबादी तबाह हो गयी थी.भारत तब भी चपेट में था,आज भी हैं .इस आपदा के लिए किसी राजनीतिक दल की कोई गलती नहीं कही जा सकती है. परन्तु सभी दलों व सरकारों को परस्पर सहयोग-सेवा की भावना से जनसेवा में शरीक होना चाहिए.
मेरे विचार से इस आपदा की स्थिति में कोई राजनीति नहीं की जानी चाहिए.निष्काम सेवा प्रथम भाव होना चाहिए.किसी भी राजनीतिक दल को घटिया राजनीति का अवसर नहीं दिया जाना चाहिए.वैसे ये भी एक बहुत बड़ा तथ्य हैं कि कोरोना के दूसरी लहर के प्रकोप के लिए केंद्र सरकार से राज्य सरकारों तक कोई भी पूरी तरह तैयार नहीं था.उसके बावजूद, जिस तरह से इस आपदा को नियत्रण करने में मोदी सरकार के साथ कई राज्य सरकारों ने भूमिका निभाई,उसे नज़रअंदाज़ भी नहीं किया जा सकता.परन्तु उन राज्यों में गैर भाजपा राज्यों की भूमिकाये संतोषजनक नहीं कही जा सकती.
ये सबको पता है भारतीय संविधान व्यवस्था के तहत स्वास्थ्य,शिक्षा,कृषि,कानून व्यवस्था आदि राज्यों के विषय हैं.केंद्र सरकार का कार्य सिर्फ नीतियों का निर्माण करना है.धन राशि की भी व्यवस्था करनी है ,जिसे राज्य सरकारें अपने-अपने तरीको से निष्पादन करती रही हैं,लेकिन नीतियों को परे हटाकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल अपने बदनीयती के तहत अपने-अपने स्वार्थपरक राजनीतिक एजेंडे पर काम करने में जुटे हैं ,जो निंदनीय तो है ही ,ऐसे कार्यो को देश द्रोह की श्रेणी में लाये जाने की जरुरत है .
कांग्रेस के कथित आरोपों के बावजूद भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने नेकनीयती भाव से कांग्रेस नेता सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी से अपील की कि वे सब देश के लिए,समाज के लिए काम करे.इस परिस्थिति में सब मिलजुलकर आम जन की सेवा करे,लेकिन वे नहीं माने.श्री नड्डा ने कहा-हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी देश को कोरोना से बचाव के लिए दिन रात एक किये हुए हैं.देश को ऑक्सीजन,बेड और अन्य मदद व दवाइयों की कमी नहीं हो.उसके लिए प्रयासरत हैं.श्री नड्डा का आरोप हैं कि कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री गण अपने अपने राज्यों में कोरोना के बचाव के लिए कम मोदी सरकार को कोसने में ज्यादा परिश्रम कर रहे हैं ,जो कि एक अमानवीय कृत्य है.
यदि आप तथ्यों पर गौर करे तो मोदी सरकार विश्व की पहली केंद्र सरकार होगी जो सिर्फ दो महीनो के अंतराल में देश में ऑक्सीजन,बेड और अन्य सुविधाओ की भरमार करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है.उनके आह्वान पर ४० से ज्यादा देशो से भारत की खुलकर मदद की.हालाँकि इसके पहले भारत ने भी सभी जरूरतमंद देशो को वैक्सीन देकर सेवा कार्य किया था.ये भी एक ऐतिहासिक तथ्य हैं.
कोरोना के टीकाकरण को लेकर भी कई स्तर पर कार्य व संघर्ष जारी है.टीकाकरण को लेकर भी तरह तरह की राजनीति की जा रही हैं.इस मसले पर भी कांग्रेस व विपक्षी राज्यों का रवैया सकारात्मक नहीं होकर नकारात्मक ही रहा है.ये भी देश के लिए एक बड़ा सवाल हैं?
देश में सम्पूर्ण टीकाकरण के परिपेक्ष्य में केंद्र सरकार का दावा हैं कि दिसम्बर 2021 तक या उससे पहले 216 डोज़ की व्यवस्था हो जाएगी,जो भारत जैसे आबादी वाले देश के लिए करीब 90 प्रतिशत आबादी को पूर्ण तौर पर टीकाकृत कर लिया जायेगा. जिस प्रकार से केंद्र सरकार की पहल पर कई राज्यों ने टीका के लिए ग्लोबल टेंडर किया हैं ,उससे ऐसा लगता है ,किसी भी अन्य विकसित देशो की तुलना में भारत पूर्ण रुपेण सुरक्षित हो जायेगा ,जिससे तीसरे लहर की कोई आशंका नहीं रहेगी.
भारत में वसुधैव कुटुम्बकम की विश्वव्यापी संस्कृति हैं.परन्तु पर निंदा व आलोचना की नहीं.कहने का आशय है कि आप कुछ न कर सको तो ठीक हैं ,किसी की आलोचना तो मत करो.यदि आप किसी की आलोचना करते हैं तो आपकी एक अंगुली की तुलना में बाकी तीन अंगुलियाँ खुद की तरफ उठती हैं.जो कांग्रेस की स्थिति बन गयी है.
मेरे को लगता है प्रकृति ने विश्व स्तर पर कोरोना के जरिये मानव समाज को समझाने की कोशिश की हैं कि सबसे प्रेम करो,सबका भला करो.जीवन क्षणिक है.इसलिए कोशिश करो सबका भला हो.शायद इस कहर के बाद विश्व का मानव समाज समय पूर्व संभल जाये.सुधर जाये.यही मंगलकामनायें है अपने भारत के लिए व वैश्विक समाज के लिए …
*कुमार राकेश
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