उच्च शिक्षा प्रदान करने में महाराष्ट्र देश में अग्रेसर- डा एस एन पठान

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,20 मार्च। 62 विश्वविद्यालय तथा तीन हजार से अधिक महाविद्यालयों के साथ ही महाराष्ट्र उच्च शिक्षा प्रदान करने में देश में अग्रसर है तथा भविष्य में भी इसकी प्रगति होगी और आलेख उन्नत होता जाएगा, यह प्रतिपादन पूर्व उपकुलपति तथा उच्च शिक्षा निदेशक डा एस एन पठान ने आज किया।
महाराष्ट्र परिचय केंद्र की ओर से आयोजित महाराष्ट्र हीरक महोत्सव व्याख्यान श्रृंखला के दूसरे व्याख्यान में “उच्च शिक्षा- कल, आज और कल” विषय पर डा पठान बोल रहे थे. उन्होंने आगे कहा कि महाराष्ट्र मैं विगत 60 वर्षों में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में ऊंची छलांग लगाई है और आज इस राज्य में कुल 62 विश्वविद्यालय तथा तीन हज़ार से भी अधिक महाविद्यालय चल रहे हैं. इनमें 23 राज्य विश्वविद्यालय, 21मानडी (सम या डीम्ड विश्वविद्यालय), 11 निजी विश्वविद्यालयों का समावेश है. राज्य में वर्धा जिला में महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय भी कार्यरत है.

सरकार के साथ ही निजी शिक्षा संस्थानों ने भी राज्य के उच्च शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. कर्मवीर भाउराव पाटील ने स्थापन किए हुए रयत शिक्षण संस्था के भी आज विभिन्न महाविद्यालय सफलता के साथ चल रहे हैं. विदर्भा में शिक्षा महर्षि पंजाब राव देशमुख में स्थापित किए शिवाजी शिक्षा संस्था के भी कहीं महाविद्यालय छात्रों को उच्च शिक्षा दे रहे हैं. पुणे जिले के साथ ही नासिक, अहमदनगर आदि जिलों में भी मराठा विद्या प्रसारक मंडल के कई महाविद्यालय कार्यरत है.
उन्होंने कहा कि राज्य में सहकारिता क्षेत्र ने भी शिक्षा क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया है और सहकारी शक्कर कारखाना ने अपने परिसर में ही पाठशाला एवं महाविद्यालय शुरू कर इसका एक बड़ा नेटवर्क तैयार किया है. डा पठान ने यह भी कहा कि राज्य की शैक्षणिक प्रगति सराहनीय है, परंतु उच्च शिक्षा के समक्ष गुणात्मक शिक्षा देने की चुनौती बनी है. उन्होंने कहा कि ‘अनेकता में एकता’ हमारे देश का बलस्थान है. देश में हुई शैक्षिक प्रगति के कारण देश विकास पथ पर अग्रसर हुआ है और महाराष्ट्र ने इसमें महत्वपूर्ण योगदान दिया है. ब्रिटिश राजकर्ताओं ने भारत को कमजोर बनाने के लिए लॉर्ड मकुले ने अपनी शिक्षा पद्धति कार्यान्वित कर भारतीयों में पश्चिमी शिक्षण का आकर्षण निर्माण करने का प्रयास किया है. यह कार्य उनके ‘बांटों और राज्य करो’ नीति के अंतर्गत योजनाबद्ध तरीके से किया गया परंतु स्वाधीनता के पश्चात भारत में शिक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय परिवर्तन देखने को मिले है और इसमें महाराष्ट्र अगर स्थान पर है.
75 वर्षों में उच्च शिक्षा संस्थानों का बढ़ता आलेख
डा पठान ने कहा कि एक ओर महाराष्ट्र राज्य की स्थापना का हीरक महोत्सव मनाया जा रहा है और साथ ही भारत देश की स्थापना का भी यह अमृतमहोत्सव वर्ष है. विगत 75 वर्षों में देश ने बड़ी संख्या में उच्च शिक्षा संस्थान स्थापन किए हैं. उन्होंने यह भी कहा कि देश को स्वतंत्रता मिलने के पश्चात मुंबई, मद्रास और कलकत्ता (तत्कालीन) जैसे प्रमुख विश्वविद्यालय सहित 24 विश्वविद्यालय अस्तित्व में थे और आज यह संख्या बढ़कर 167 पर पहुंची है और यह सभी विश्वविद्यालय कार्यरत है. इन में 418राज्य विश्वविद्यालय, 124सम विश्वविद्यालय, 54 केंद्रीय विश्वविद्यालय तथा 370 निजी विश्वविद्यालयों का समावेश है. उन्होंने बताया कि देश आजाद हुआ तब 565 महाविद्यालय थे और यह संख्या आज बढ़कर 30 हज़ार के पार पहुँच गई है. साथ ही देश की स्वाधीनता के समय 18 हज़ार छात्र उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे थे और आज यह संख्या 2.4 करोड़ तक आ पहुंची है.

 

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