“आइए हम अपने विचारों को एक बच्चे के सक्षम हृदय की क्षमता को सीमित न करने दें” : स्मृति ईरानी
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री ने नई दिल्ली में राष्ट्रीय लोकसंपर्क कार्यक्रम में 'दिव्यांग बच्चों के लिए आंगनवाड़ी प्रोटोकॉल' किया लॉन्च
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 29नवंबर। केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास और अल्पसंख्यक कार्य मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी द्वारा विज्ञान भवन में महिला एवं बाल विकास और आयुष राज्य मंत्री डॉ. मुंजपारा महेन्द्रभाई, महिला एवं बाल विकास सचिव इंदीवर पांडे, डीईपीडब्ल्यूडी के सचिव राजेश अग्रवाल और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार डॉ. के.के. त्रिपाठी की उपस्थिति में आयोजित एक राष्ट्रीय लोकसम्पर्क कार्यक्रम में दिव्यांग बच्चों के लिए आंगनवाड़ी प्रोटोकॉल लॉन्च किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन दिव्यांग बच्चों के बेहतर कल्याण के लिए समग्र पहुंच को मजबूत करने की प्रतिबद्धता को साकार करने के लिए किया गया था।
इस कार्यक्रम में देश भर से महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, राज्य स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अधिकारी, सीडीपीओ, महिला पर्यवेक्षक, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और आशा कार्यकर्ता और राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान (निमहांस) जैसे प्रमुख संगठनों के विशेषज्ञ शामिल हुए।
अपने मुख्य भाषण में, केंद्रीय मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की पहल को समर्थन देने के लिए दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को धन्यवाद दिया। केंद्रीय मंत्री ईरानी ने कहा कि वर्तमान में 3 से 6 वर्ष की आयु के 4.37 करोड़ बच्चों को हर दिन पका हुआ गर्म भोजन और ईसीसीई की सहायता दी जा रही है, 0 से 3 वर्ष की आयु के 4.5 करोड़ बच्चों को घर ले जाने के लिए राशन और उनके घरों के दौरों तथा 0-6 वर्ष आयु वर्ग के 8 करोड़ से अधिक बच्चों को प्रारंभिक शिशु विकास को बढ़ाने के लिए वृद्धि निगरानी और स्वास्थ्य प्रणाली में रेफरल की सहायता प्रदान की जा रही है। केंद्रीय मंत्री ईरानी ने बताया कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा पिछले 4 महीनों में बच्चों के लिए 16 करोड़ गृह दौरे किए गए हैं।
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री ने एक ट्वीट में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अमृत काल में स्वस्थ सुपोषित भारत के विजन के अनुरूप, यह प्रोटोकॉल चरण-दर-चरण दृष्टिकोण के साथ पोषण अभियान के तहत दिव्यांगजनों की समावेशी देखभाल के लिए एक सामाजिक मॉडल का प्रतीक है।
चरण 1: प्रारंभिक विकलांगता लक्षणों की जांच
चरण 2: सामुदायिक कार्यक्रमों में शामिल करना और परिवारों को सशक्त बनाना
चरण 3: आशा/एएनएम और राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) टीमों के माध्यम से रेफरल सहायता।
केंद्रीय मंत्री ईरानी ने कहा कि दिव्यांग प्रोटोकॉल के माध्यम से, प्रत्येक जिला प्रशासन को शिक्षा और पोषण की विशेष आवश्यकताओं पर ध्यान देने, दिव्यांग बच्चों और उनके परिवारों के सशक्तिकरण के लिए स्वावलंबन कार्ड प्रदान करने में मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि पोषण ट्रैकर पर बच्चों की विकासात्मक उपलब्धियों को ट्रैक किया जाएगा और डेटा को संबंधित मंत्रालयों अर्थात स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, डीओएससीएल, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग आदि के साथ संयोजित किया जाएगा। उन्होंने किरण और संवाद हेल्पलाइन के बीच एक समन्वय का भी प्रस्ताव रखा ताकि वे अपनी सर्वोत्तम क्षमताओं के साथ एक साथ आ सकें और शक्तियों का एक साथ लाभ उठा सकें।
केंद्रीय मंत्री ईरानी ने आंगनवाड़ी केंद्रों को और अधिक समावेशी बनाने के लिए उनमें सुधार और उन्नयन की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने यह भी बताया कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए 300 करोड़ रुपये आवंटित किए जा रहे हैं और दोहराया कि दिव्यांग बच्चों की पहचान, रेफरल और समावेशन के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के विशेष प्रशिक्षण में डीईपीडब्ल्यूडी का मार्गदर्शन और सहायता अमूल्य होगी।
महिला एवं बाल विकास और आयुष राज्य मंत्री डॉ. मुंजपारा महेंद्रभाई ने भी जनसमूह को संबोधित किया और कहा कि हमारा लक्ष्य प्रत्येक बच्चे को देश के विकास और भविष्य में बराबर का हिस्सा बनाने का है और मान्यता प्राप्त आंगनवाड़ी कार्यकर्ता इस प्रयास की कुंजी हैं। उन्होंने कहा कि आंगनवाड़ी प्रोटोकॉल समावेशन और विषमताओं को दूर करने के इस कार्यक्रम के मुख्य संदेश के साथ दिव्यांग बच्चों की सहायता और विकास के लिए एक पोषण वातावरण बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं में अपना विश्वास और भरोसा जताते हुए तथा भारत और विश्व के लिए समावेशी बचपन देखभाल, शिक्षा और पोषण के लिए सामुदायिक लोकसम्पर्क का एक उज्ज्वल उदाहरण बनने की उनकी क्षमता को दोहराते हुए अपना संबोधन समाप्त किया।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव इंदीवर पांडे ने अपने स्वागत भाषण में दिव्यांग बच्चों के लिए आंगनवाड़ी प्रोटोकॉल के पहलुओं की चर्चा की। उन्होंने कहा कि इस प्रोटोकॉल का निर्माण सरकार द्वारा इस बात की स्वीकृति का परिणाम है कि प्रारंभिक वर्षों में अज्ञात विकलांगता पुनर्वास में विलंब का कारण बन सकती है, और बच्चे के विकास में बाधा उत्पन्न कर सकती है। अध्ययनों से पता चलता है कि भारत में 30 प्रतिशत विकलांगताएं रोकी जा सकती हैं यदि उनका आरंभ में ही पता लगा लिया जाए। 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए सही प्रोत्साहन और सरल खेल-आधारित शैक्षिक गतिविधियों के साथ, विकास संबंधी देरी को और अधिक गंभीर विकलांगता में विकसित होने से रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि आशा कार्यकर्ता आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को बच्चों के परिवारों के घर जाने में सहायता करेंगी और जहां भी आवश्यक हो, बच्चों को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अनुशंसित करने में मदद करेंगी। अपने समापन भाषण में, उन्होंने सभी समुदाय के सदस्यों से दिव्यांग बच्चों के लिए शक्ति के स्तंभ के रूप में अपनी भूमिका को पूरी ईमानदारी से निभाने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि उन्हें उनकी अनूठी क्षमताओं की याद दिलाई जाए और उन्हें अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित किया जाए, का आग्रह किया।
सचिव (डीईपीडब्ल्यूडी) राजेश अग्रवाल ने समावेशन में एक बहुत ही महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में आंगनवाड़ी प्रोटोकॉल के लॉन्च का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि जनगणना 2011 के अनुसार, भारत में 2.2 प्रतिशत लोग दिव्यांगजन हैं, जो वर्तमान जनसंख्या के हिसाब से लगभग 3 करोड़ है। यह शीघ्र कदम उठाए जाने और पहचान किए जाने को महत्वपूर्ण बनाता है। उन्होंने यह भी कहा कि डीईपीडब्ल्यूडी ने 1 करोड़ यूडीआईडी कार्ड या विशिष्ट विकलांगता पहचान पत्र जारी किए हैं और आयु, लिंग, जिले का अलग-अलग डेटा ऑनलाइन अपलोड किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रारंभिक वर्ष, पहले तीन वर्ष, उत्कृष्ट मोटर नियंत्रण, संज्ञानात्मक और मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं और यदि माता-पिता इससे अनजान हैं या भ्रमित हैं, तो इसका अर्थ है कि वे यह अवसर चूक गए है। यह तथ्य आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की भूमिका को और भी अधिक महत्वपूर्ण बनाता है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार डॉ. के.के.त्रिपाठी ने आभार व्यक्त किया और आशा जताई की कि इस प्रोटोकॉल का शुभारंभ प्रधानमंत्री के सभी के लिए स्वास्थ्य विजन के मार्गदर्शन में समावेश और संयोजन का सुनहरा अवसर प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि शीघ्र कदम उठाया जाना एक महत्वपूर्ण समाधान है जो विकलांगता को और अधिक बढ़ने से रोक सकता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की स्क्रीनिंग, रेफरल, समावेशन और संयोजन इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण है।
इस कार्यक्रम में “आंगनबाड़ी केंद्र में प्रारंभिक पहचान, स्क्रीनिंग और समावेशन के लिए रणनीतियाँ” शीर्षक से एक पैनल चर्चा भी आयोजित की गई, जिसमें सर्वोत्तम प्रथाओं पर प्रकाश डाला गया। पैनल में दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर और दिव्यांग बच्चों की विशेषज्ञ डॉ. गीता चोपड़ा, निपमैन फाउंडेशन, व्हील्स फॉर लाइफ के संस्थापक निपुण मल्होत्रा और पूर्व वरिष्ठ प्रोफेसर तथा वर्तमान में निमहांस, बेंगलुरु के बाल एवं किशोर मनोचिकित्सा विभाग संवाद (एमडब्ल्यूसीडी-निमहांस) के सलाहकार डॉ. शेखर शेषाद्री जैसे विशेषज्ञ शामिल थे। डॉ. शेखर शेषाद्री ने पैनल का संचालन किया। पैनल ने विकलांगता में अंतर-निहित जोखिमों और इसके साथ जुड़ी प्रणालीगत चुनौतियों, दोनों पर ध्यान केंद्रित किया।
राष्ट्रीय कार्यक्रम का समापन आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं (सोलापुर, महाराष्ट्र; गुड़गांव, हरियाणा और नोएडा उत्तर प्रदेश से) द्वारा विशेष रूप से दिव्यांग बच्चों के साथ काम करने के अनुभवों को साझा करने के साथ हुआ, ताकि सभी को यह सुनिश्चित करने की सामूहिक जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए प्रेरित किया जा सके कि कोई भी दिव्यांग बच्चा वंचित न रह जाए।
वर्तमान में जारी विकसित भारत संकल्प यात्रा के दौरान लक्षित लाभार्थियों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा शुरू की गई विभिन्न पहलों में से पोषण अभियान भी एक प्रमुख पहल है। मंत्रालय पूरे देश में यात्रा की सहायता करने में सक्रिय रूप से शामिल है। प्रधानमंत्री द्वारा 8 मार्च 2018 को एक समन्वित और परिणाम आधारित दृष्टिकोण अपनाकर समयबद्ध तरीके से 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं की पोषण संबंधी स्थिति में सुधार लाने के उद्देश्य से पोषण अभियान शुरू किया गया था।
Today, India achieves another milestone in its pursuit of holistic nutritional care with the launch of the Anganwadi Protocol for Divyang Children by @MinistryWCD.
Our Anganwadi system stands as a global frontrunner in early childhood care, impacting the lives of over 8 crore… pic.twitter.com/ztOpibTeDF
— Smriti Z Irani (@smritiirani) November 28, 2023
Comments are closed.